Make Time by Jake Knapp & John Zeratsky | Book Summary in Hindi | कंट्रोल लो, नहीं तो पीछे छूट जाओगे | Anil Saharan

 Hello friends! आपका स्वागत है, मैं हूँ आपका दोस्त Anil Saharan। आज हम बात करने वाले हैं  Make Time – Jake Knapp and John Zerats के बारे में...



एक वक़्त था जब हम अपने दिन की शुरुआत उम्मीदों से करते थे — कुछ बड़ा करने की, कुछ नया सीखने की, कुछ खास बनने की।


लेकिन आजकल सुबह आँख खुलते ही सबसे पहला काम — मोबाइल उठाना। फिर WhatsApp, Instagram, YouTube की बाढ़ में हमारा सारा ध्यान बह जाता है।

दिन शुरू होता है तो लगता है "आज कुछ कर के दिखाना है", और रात को बिस्तर पर जाते हुए लगता है, "पता ही नहीं चला दिन कहाँ चला गया।"


क्या आपने भी कभी ये महसूस किया है?


जैसे आप पूरा दिन किसी और की ज़िंदगी जी रहे हों?


जैसे notifications और मीटिंग्स आपको कंट्रोल कर रही हों?


और आप अंदर से बस थक गए हों?


अगर हाँ…

तो ये किताब "Make Time" आपके लिए है।


Jake Knapp और John Zeratsky, जो पहले Google और YouTube जैसे बड़े प्लेटफ़ॉर्म्स में काम कर चुके हैं — उन्होंने भी यही सब झेला है।


लेकिन फिर उन्होंने अपनी लाइफ में एक सिंपल सवाल पूछा:


"क्या मैं अपने दिन का कंट्रोल ले सकता हूँ?"


और इसी सवाल से जन्म हुआ — Make Time सिस्टम का।

एक ऐसा सिस्टम जो आपके पूरे दिन को एक Mission की तरह बना देता है।


इस वीडियो में हम सीखेंगे:


कैसे एक काम पर फोकस करके दिन को जीतें


कैसे बकवास चीजों को कट करें


कैसे energy बनाए रखें, ताकि motivation की ज़रूरत ही न पड़े


और कैसे हर दिन थोड़ा बेहतर बनाकर, धीरे-धीरे एक शानदार जिंदगी बनाई जाए


तो चलिए शुरू करते हैं — एक ऐसे सफर पर, जहां आप सिर्फ समय नहीं बिताओगे…

बल्कि समय को अपना सबसे बड़ा साथी बना लोगे।


हम सब की ज़िंदगी एक दौड़ बन चुकी है — कोई ऑफिस की मीटिंग में अटका है, कोई एग्जाम की तैयारी में, तो कोई अपने ही सपनों से लड़ रहा है।


लेकिन इस भागदौड़ में एक बात हम भूल जाते हैं…


“जिसे हम सबसे ज़्यादा करना चाहते हैं, वो सबसे ज़्यादा पीछे छूट जाता है।”


सुबह से लेकर रात तक हर कोई कुछ न कुछ कर रहा है, लेकिन सच बताओ —

क्या तुम वाकई वही कर रहे हो जो तुम्हें अंदर से जिंदा महसूस कराता है?


Highlight the Laser — एक काम जो सब कुछ बदल सकता है

Jake और John कहते हैं —

"हर दिन की शुरुआत एक laser focus के साथ होनी चाहिए।"


मतलब?


हर सुबह खुद से एक सवाल पूछो:


"आज अगर मैं सिर्फ एक ही काम कर पाऊँ, तो वो कौन सा होगा?"


यही काम होगा तुम्हारा Laser Highlight —

एक ऐसा टारगेट जो उस दिन को मतलब देगा, न कि सिर्फ गुजरने देगा।


🌟 क्यों जरूरी है ये Laser?

क्योंकि जब तुम हर चीज़ पर ध्यान देने की कोशिश करते हो, तो किसी भी चीज़ में अच्छे नहीं बन पाते।


लेकिन जब तुम सिर्फ एक काम चुनते हो — एक ऐसा काम जो तुम्हारे करियर, रिश्ते या खुद के growth से जुड़ा हो —

तो तुम उस दिन को जीत लेते हो।


हर दिन की शुरुआत सोचने से पहले स्क्रॉल करने से नहीं, बल्कि चुनाव करने से करो।


वो एक काम चुनो, जो तुम्हें अंदर से excited करे — चाहे वो किताब पढ़ना हो, कोर्स करना हो, या किसी को कॉल करके माफ़ी मांगना।


पूरा दिन उसी के आसपास बनाओ। बाकी चीज़ें होंगी, लेकिन laser highlight के बाद।


एक स्टूडेंट की सोचो — जो सुबह उठते ही WhatsApp group में चला जाता है, फिर YouTube shorts, फिर दो घंटे गायब।

लेकिन अगर वो सुबह उठकर सिर्फ ये तय करे कि


"आज मुझे सिर्फ एक math chapter पूरी clarity से समझना है"

तो पूरा दिन उसी के मुताबिक चलेगा। distractions आएंगे, लेकिन उस laser के आगे फीके पड़ जाएंगे।


Make Time का ये पहला lesson बहुत सीधा है —

दिन को जीतना है? तो हर दिन एक ही चीज़ पर जीत हासिल करो।


पिछले चैप्टर में हमने सीखा कि हर दिन एक "Laser" चुनना कितना जरूरी है।

लेकिन अब सवाल ये है कि —

जब दिन में 100 चीजें हों, अचानक कोई फ़ोन आ जाए, मीटिंग बढ़ जाए, या दिमाग ही थक जाए — तब क्या करें?


बहुत लोगों का जवाब होगा:

“Time Table बना लो, Planning कर लो, Hour-by-Hour Schedule बनाओ।”


लेकिन सच्चाई ये है —


जितना ज़्यादा हम दिन को कंट्रोल करना चाहते हैं, उतना ही दिन हमें कंट्रोल करने लगता है।


Scrap the Schedule – समय को अपनी मुट्ठी में लेने की नहीं, समझने की ज़रूरत है

Jake और John का मानना है कि ज़िंदगी कोई ट्रेन की तरह नहीं चलती —

जहां हर स्टेशन का टाइम पहले से तय हो।


बल्कि ज़िंदगी एक नदी की तरह है —

कभी तेज़, कभी धीमी, कभी शांत… और हमें सीखना होता है बहना।


"Scrap the Schedule" का मतलब है —

सख्त Time Table को छोड़कर एक लचीला ढांचा बनाना। ऐसा ढांचा जो आपको आज की स्थिति के हिसाब से ढलने दे।


हर दिन एक जैसा नहीं होता — तो planning भी क्यों हो?

अगर आज आपकी energy low है, तो जरूरी नहीं कि आप productivity मशीन बनो।


खुद को guilt-trip देने के बजाय, उस दिन के हिसाब से priorities सेट करो।


Blocks मत बनाओ, Flow बनाओ

Time blocks बनाना — "9 से 10 पढ़ाई, 10 से 11 योग, 11 से 12 Instagram detox" — ये दिखने में अच्छा लगता है।


लेकिन जैसे ही कोई block टूटता है, motivation भी टूटता है।


इसलिए अपने दिन को rigid मत बनाओ, उसको बहने दो — laser के इर्द-गिर्द।


Space रखो – Magic वहीं होता है

हर सेकेंड भरने की ज़रूरत नहीं।


कुछ खाली वक्त रखो — सोचने के लिए, गलती सुधारने के लिए, या अचानक किसी ज़रूरी बात को करने के लिए।


यही space आपको फ्री और present रखती है।


सोचो एक working professional की —

सुबह उठते ही टाइम टेबल बना लिया: 8 बजे मेल्स, 9 बजे मीटिंग, 10 बजे रिपोर्ट्स...


लेकिन 9:15 पर बॉस का कॉल आया, और पूरा शेड्यूल फेल।

अब guilt, frustration और burnout — और दिन गया भाड़ में।


अब वही इंसान अगर लचीले ढंग से सिर्फ ये सोचे कि


"आज मुझे ये 3 चीजें करनी हैं, कैसे और कब — वो मैं mood और energy के हिसाब से adjust कर लूंगा।"

तो न सिर्फ काम होगा, बल्कि मन भी शांत रहेगा।


"Schedule मत बनाओ, System बनाओ"

एक ऐसा सिस्टम जिसमें तुम हर दिन की जरूरत के हिसाब से ढल सको — guilt के बिना, comparison के बिना।


अब जब तुमने Laser चुनना सीख लिया है, और Schedule को तोड़ना भी...

तो अगला कदम है अपने time और calendar को clean करना —

ताकि सच में सिर्फ वही चीज़ें बचें जो तुम्हारे लिए important हैं।


सुबह से शाम तक टास्क, कॉल्स, मीटिंग्स, असाइनमेंट्स, फॉलो-अप्स...

कभी-कभी ऐसा लगता है जैसे हमारा कैलेंडर ही हमारे बॉस बन गया हो।


और सच्चाई ये है —

हम सब “busy” दिख रहे हैं, पर “meaningful” कुछ नहीं कर पा रहे।



इस बीच, अगर आपको ये कहानी पसंद आ रही है, तो like ज़रूर करें, comment में अपनी feelings शेयर करें, और वीडियो को अपने दोस्तों तक पहुँचाएं।

आप देख रहे हैं Anil Saharan — जहाँ हम आपकी पसंदीदा किताबों की कहानियाँ, आपकी अपनी भाषा में लाते हैं।

अगर आप इस किताब को लेना चाहते हैं, तो नीचे description में दिए affiliate link से खरीद सकते हैं — इससे हमें भी थोड़ा सपोर्ट मिलेगा, और आपको एक ज़बरदस्त किताब मिलेगी।

चलिए, अब वापस चलते हैं कहानी की उसी मोड़ पर... जहाँ से सब कुछ बदलने वाला था।"



बहुत सारी चीज़ें करनी होती हैं… लेकिन अगर आप ध्यान से देखो —

तो उनमें से आधी चीज़ें तो बस आदत या guilt या दिखावे के लिए होती हैं।


Ruthlessly Edit Your Calendar – ज़िंदगी से फालतू काम हटाओ, बेशर्मी से

Jake और John साफ कहते हैं —


"हर काम को करना ज़रूरी नहीं होता।"


और ये लाइन सुनने में आसान है, पर करना बहुत मुश्किल।


क्यों?


क्योंकि हमें ‘ना’ कहना आता ही नहीं।


हम सोचते हैं:


“अगर मैं मीटिंग skip कर दूँ तो लोग क्या सोचेंगे?”


“अगर मैं उस दोस्त की मदद ना करूं तो दोस्ती खत्म हो जाएगी?”


“अगर हर चीज़ में ना रहूं तो मैं पीछे छूट जाऊंगा?”


लेकिन यही सोच हमें उन चीज़ों से दूर ले जाती है जो हमारे लिए सबसे ज़रूरी हैं।


हर “Opportunity” जरूरी नहीं होती

कुछ काम सिर्फ इसलिए कैलेंडर में होते हैं क्योंकि हमने कभी "हाँ" कह दिया था।


अब उन्हें हटाना सीखो।

अगर कोई मीटिंग, कॉल, या टास्क तुम्हारे laser या values से जुड़ी नहीं है — तो उसे हटा दो।


“ना” कहना एक कला है

"मुझे अच्छा लगेगा, पर अभी ये मेरे फोकस में नहीं है।"


"शायद बाद में, फिलहाल मैं एक और चीज़ पर काम कर रहा हूँ।"


ये polite तरीके हैं लेकिन clear boundaries सेट करते हैं।


Calendar एक टू-डू लिस्ट नहीं, एक Vision Board होना चाहिए

उसमें सिर्फ वही चीज़ें होनी चाहिए जो तुम्हारे personal goals, mental peace, और growth से जुड़ी हों।


मान लो एक YouTuber या freelancer की —

हर दिन client calls, comments का जवाब, reels बनाना, collaborations, और ऊपर से घर की जिम्मेदारियाँ।


अगर उसने हर किसी की बात मान ली — तो खुद के लिए ना दिमाग बचेगा, ना दिशा।

लेकिन अगर वो हर हफ्ते बैठकर सिर्फ ये सोचे:


“मेरे लिए इस हफ्ते का laser क्या है? और कौन से काम उससे मेल नहीं खाते?”

तो उसका कैलेंडर ताकत बन जाएगा, बोझ नहीं।


“हर बार जब आप ‘ना’ कहते हैं किसी बेमतलब चीज़ को, तो आप ‘हाँ’ कहते हैं अपनी ज़िंदगी को।”


जरा सोचो —

तुम्हारे पास एक साफ़ schedule है, distractions हट चुके हैं, काम भी important है…


फिर भी कभी-कभी ऐसा लगता है जैसे अंदर से दम ही नहीं है।

मन थका हुआ, बॉडी सुस्त, और दिमाग धुंधला।


“Focus रखने के लिए system चाहिए, लेकिन उस system को चलाने के लिए Energy चाहिए।”


Jake और John साफ कहते हैं:


“It’s not just about having time. It’s about having the energy to use that time well.”


हर दिन के युद्ध में तुम बाहर से लड़ाई लड़ सकते हो —

लेकिन असली ताक़त तब आती है जब तुम्हारा मन और शरीर भी साथ दें।


और यही है इस चैप्टर का फोकस —

Energy को खुद से पैदा करना।


 Energy is the real asset

समय तो सबके पास 24 घंटे है। फर्क तब पड़ता है जब तुम अंदर से ज़िंदा महसूस करते हो।


इसलिए शुरुआत अपनी बॉडी और माइंड को recharge करने से करो।


 ठीक से खाओ, क्योंकि खाना सिर्फ पेट नहीं, दिमाग भी भरता है

processed food से brain fog आता है।


हल्का, घर का खाना — fruits, nuts, पानी — ये तुम्हारा mental clarity booster है।


 Body को हिलाओ — ताकि सोच दौड़ सके

रोज़ थोड़ा चलना, दौड़ना, stretch करना — ये तुम्हारी focus capacity को दुगना कर सकता है।


exercise कोई gym membership नहीं है — ये एक signal है अपने दिमाग को: “मैं active हूँ।”


नींद को मत काटो — वो तुम्हारा invisible weapon है

कम सोकर कोई “legend” नहीं बनता।


अगर mind को ज़िंदा रखना है, तो 7-8 घंटे की deep sleep non-negotiable है।


Mindfulness = Mental Muscle

5 मिनट की भी गहरी साँसें, ध्यान, या gratitude practice —

तुम्हें chaos में भी calm बनाना सिखाती हैं।


सोचो एक स्टूडेंट की —

जिसने सारे notes बना लिए, distractions बंद कर दिए, plan ready है…


लेकिन वो लगातार 5 घंटे स्क्रीन देख रहा है, जंक फूड खा रहा है, नींद पूरी नहीं…

तो वो knowledge absorb नहीं कर पाएगा, चाहे जितनी मेहनत करे।


अब वही स्टूडेंट अगर हर दिन बस 30 मिनट वॉक कर ले, खाना सुधार ले और 15 मिनट जल्दी सो जाए —

तो उसका दिमाग literally superpower की तरह काम करने लगेगा।


“Low Energy = Fake Productivity.”

दिखेगा कि तुम busy हो, पर असल में output zero रहेगा।


लेकिन अब सवाल ये है:


“इतनी सारी चीज़ें सीखने के बाद, क्या मैं इन्हें रोज़ follow कर पा रहा हूँ?”

“क्या मैं अपने दिन का director हूँ, या बस एक actor?”


चलो एक सीन इमैजिन करते हैं…


सुबह उठते ही सबसे पहले क्या करते हो?


मोबाइल चेक?

WhatsApp, Instagram scroll?

या फिर कोई और तय करता है कि तुम्हारा दिन कैसे बीतेगा?


यही सबसे बड़ी गलती होती है —

हम दिन को जीते नहीं हैं, बस उसमें फंसे रहते हैं।


Jake और John कहते हैं:


“Don’t default to your day. Design it.”

यानी, दिन को अपने हिसाब से डिज़ाइन करो, वरना दुनिया उसे डायवर्ट कर देगी।


 दिन की शुरुआत “इरादे” से करो, “इनबॉक्स” से नहीं

सुबह उठते ही दूसरों की demands चेक करने से बेहतर है —

खुद से पूछो: आज मेरा सबसे ज़रूरी काम क्या है?


अपने दिन की कहानी खुद लिखो, वरना notifications तुम्हारा प्लॉट चुरा लेंगे।


Laser को दिन की रीढ़ बनाओ

सुबह ही तय कर लो कि तुम्हारा laser क्या है —

यानी वो एक काम जो तुम्हारा दिन बना सकता है।


फिर दिन की बाकी चीजों को उसके आसपास फिट करो, उल्टा नहीं।


हर दिन एक प्रोजेक्ट की तरह सोचो, एक रुटीन नहीं

जैसे कोई artist अपना canvas डिजाइन करता है — वैसे ही तुम भी अपने दिन को art बना सकते हो।


boring tasks को भी थोड़ा playful बना दो — timers, music, challenges, mini rewards।


अपनी energy और focus के हिसाब से छोटे-छोटे joy breaks रखो:

एक walk, chai break, एक गाना, एक phone call — ताकि mind recharge होता रहे।


मान लो एक content creator की —

जिसके पास ideas भी हैं, energy भी, tools भी…

लेकिन दिन की कोई structure नहीं है।


वो scrolling में दिन बर्बाद कर देता है, क्योंकि उसने सुबह से तय ही नहीं किया था कि दिन की दिशा क्या होगी।


अब वही इंसान अगर सुबह 10 मिनट बैठकर सोच ले:


“आज मैं ये एक स्क्रिप्ट लिखूंगा, दो घंटे deep work करूंगा, और दो बार mindful break लूंगा।”

तो उसका दिन बिखरेगा नहीं, बनेगा।


Day को Design करो… वरना Distraction कर देगा Delete।


जहां हमारी सबसे बड़ी दुश्मन है: Distraction.


अब तक हम system बना चुके हैं —


laser चुना ✅


दिन design किया ✅


energy charge की ✅


लेकिन imagine करो —

तुमने सब कुछ perfectly plan कर लिया, लेकिन जैसे ही काम शुरू किया…

📱 टिंग... WhatsApp.

📢 Instagram पे एक नया reel trend कर रहा है.

😵‍💫 दिमाग कहता है: "बस 2 मिनट scroll कर लेते हैं…”


और फिर वो 2 मिनट पूरे 2 घंटे खा जाते हैं।

यहीं असली लड़ाई शुरू होती है।


Plan for the Distraction-Free Zone – एक ऐसी जगह जहां दुनिया की आवाज़ बंद हो जाए

Jake और John कहते हैं —


“Focus का मतलब है: खुद के लिए एक safe zone बनाना — जहाँ तुम uninterrupted काम कर सको।”


Distraction-free zone कोई luxury नहीं है,

ये एक जरूरत है आज के ज़माने में।


 एक Time Slot फिक्स करो – जहाँ दुनिया बंद और ध्यान चालू हो

हर दिन 60 से 90 मिनट का एक ऐसा टाइम स्लॉट तय करो,

जिसमें कोई call नहीं, notification नहीं, even घरवालों को भी inform कर दो कि ये मेरा deep work zone है।


 फोन को दूर रखना काफी नहीं — उसे ‘दुनिया से बाहर’ कर दो

Silent mode से कुछ नहीं होता।


उसे या तो airplane mode में डालो, या दूसरे कमरे में छोड़ दो।

(Pro Tip: अपने laser time से पहले apps temporarily delete कर दो।)


 Distraction-proof Environment तैयार करो

काम करने की जगह को minimalist बनाओ —

सिर्फ वो चीज़ें हों जो तुम्हें उस एक काम में मदद करें।


हर एक distraction को detect करो — और eliminate करो।


 यह टाइम सिर्फ काम के लिए नहीं — खुद के लिए भी हो सकता है

ये समय तुम्हारा “sacred zone” हो सकता है:

चाहे वो journaling हो, writing हो, meditation हो या कोई creative काम।


मान लो एक स्टूडेंट UPSC या किसी competitive exam की तैयारी कर रहा है।

उसने syllabus, plan, timetable सब बना लिया है।

लेकिन हर 15 मिनट में notification आता है, कोई meme भेजता है, या कोई family member बुला लेता है।


Fayda? Zero.


अब वही बच्चा अगर 7–8am को अपना “Focus Zone” बना दे —

सिर्फ वही समय जहां वो full concentration में हो —

तो दिन की productivity literally 5x हो जाती है।


“Distractions तुम्हें पागल नहीं बना रही… वो तुम्हें average बना रही हैं।”


अब तक हमने distraction से लड़ाई लड़ी, energy बनाई, दिन डिज़ाइन किया…

लेकिन अब सामने है वो सबसे मुश्किल चीज़ —

"ना" कहना।


क्योंकि सच्चाई ये है:


दुनिया तुम्हारा टाइम नहीं चुरा रही…

तुम खुद उन्हें दे रहे हो — एक हँसते हुए "हाँ" के साथ।


Embrace the Power of "No" – ‘न’ कहो ताकि खुद से ‘हाँ’ कह सको

चलो एक सीन imagine करते हैं —


तुमने laser चुना, पूरा system सेट किया…

और तभी कोई दोस्त कहता है:

"भाई थोड़ी देर के लिए बाहर आ जा, urgent बात करनी है।"

या कोई random event, family task, last-minute request...


अब तुम सोचते हो —

"क्या फर्क पड़ेगा… चलो थोड़ी देर ‘हाँ’ कर लेते हैं।"


फर्क यही से शुरू होता है।


हर "हाँ" का मतलब है किसी और चीज़ के लिए "न"

अगर तुम किसी unimportant चीज़ को “हाँ” कहते हो,

तो उस वक्त तुम अपने goals, peace और energy को “न” बोल रहे हो — बिना महसूस किए।


"ना" कहना कोई असभ्यता नहीं है – ये आत्म-सम्मान है

दूसरों की feelings को बचाने के चक्कर में

हम अपने सपनों को बार-बार मारते हैं।


“People-pleasing is Time-killing.”


सीधे इनकार नहीं कर सकते? तो ये Gentle ‘No’ Techniques सीखो:

“अभी मेरे पास bandwidth नहीं है।”


“मैं इसपर फोकस कर रहा हूँ, शायद बाद में।”


“माफ करना, ये मेरी current priorities से match नहीं करता।”


सबसे पहले खुद से पूछो: “क्या ये काम मेरी life को better बनाएगा?”

अगर जवाब “नहीं” है, तो boldly कह दो: “No, thank you.”


मान लो एक creator हो —

और तुम्हारे पास हर दिन कोई collaboration, podcast invite, या छोटे-मोटे काम की request आती है।


अगर हर बार हाँ करते गए —

तो तुम कभी deep content नहीं बना पाओगे।


एक strong creator बनने के लिए सबसे ज़रूरी है:

“अपने No की कद्र करना।”


“अगर तुम नहीं चुनोगे, तो दुनिया तुम्हारे लिए चुन लेगी।”

और वो अक्सर तुम्हारे भले के लिए नहीं चुनती।


जहां असली जीत action में नहीं, बल्कि reflection में छुपी होती है।


हमने laser चुना ✅

दिन डिज़ाइन किया ✅

Distraction से लड़े ✅

"ना" कहना सीखा ✅


लेकिन अब सवाल है —

क्या हम वाकई सही रास्ते पर जा रहे हैं?

या बस हर दिन busy दिखने की एक्टिंग कर रहे हैं?


Master the Art of Reflection – रुककर खुद से पूछो: मैं कौन हूँ, और किधर जा रहा हूँ?

अब ज़रा एक सीन imagine करो —

तुम पूरा दिन मेहनत करते हो, वीडियो बनाते हो, लिखते हो, लोगों से मिलते हो…

लेकिन रात को जब सिर तकिए पे जाता है —

तो एक सवाल अंदर से उठता है:


“क्या मैंने आज वो किया जो मुझे वाकई करना था?”


अगर जवाब "नहीं" है — तो शायद दिन बर्बाद हो गया।


हर दिन के End पर Pause करो – खुद से बात करो

ये मत सोचो कि Reflection एक luxury है।


ये एक जरुरी process है — जो तुम्हें खुद से reconnect कराता है।


“Success की सबसे गहरी बातें – silence में मिलती हैं, शोर में नहीं।”


खुद से ये 3 सवाल रोज़ पूछो:

📌 आज मेरा laser क्या था, और क्या मैंने उसे पूरा किया?


📌 कहाँ भटक गया, और क्यों?


📌 कल मैं क्या एक छोटी सी चीज़ बेहतर कर सकता हूँ?


अगर दिन बेकार गया: 🧠 जानो क्या नहीं चला।


Reflection मतलब खुद की honest autopsy करना — ताकि next day stronger बन सको।


एक छोटा सा reflection ritual बनाओ

रात को 5 मिनट जर्नलिंग करो


या अपनी voice में record करो — आज का दिन कैसा था?


इससे तुम अपने thoughts को organize कर पाओगे, और clarity बढ़ेगी।


मान लो एक working professional हो —

हर दिन meetings, emails, calls में बीतता है।

तुम सोचते हो: “मैं तो बहुत busy हूँ…”

लेकिन क्या वाकई busy का मतलब productive है?


Reflection करने पर पता चलता है कि

तुमने दूसरों के goal पूरे किए, अपने नहीं।


“Reflection is the gym of the mind — जहाँ तुम्हारा Focus और Clarity वज़न उठाते हैं।


और हर दिन के reflection से आगे बढ़ने का रास्ता खोज लिया ✅


लेकिन अब अंतिम कदम है — जो शायद सबसे अधिक overlooked किया जाता है।

उसमें क्या है?

खुद को भी ज़िंदगी में थोड़ा space देना।

जो कभी काम में खोकर भूल जाते हैं — वही अपने शौक, हंसी, और खेलने के वक्त को नज़रअंदाज़ कर देते हैं।


Make Time for Play – काम के बीच में खेल और मनोरंजन को शामिल करो

आखिरी चेप्टर में Jake और John कह रहे हैं:


"कभी-कभी काम से बाहर निकलना और बस खेलना, हंसना, मस्ती करना —

यही वो चीज़ है जो तुम्हें अगले दिन और ज्यादा ताकत से काम करने के लिए तैयार करती है।"


काम और खेल का संतुलन ज़रूरी है

लगातार काम करते रहने से तुम्हारा mind और body burnout हो जाएंगे।


यही कारण है कि कुछ वक्त के लिए अपने पसंदीदा शौक या कोई खेल में खो जाना ज़रूरी है।


जब तुम काम करते हो, तो energy देती हो…

जब तुम खेलते हो, तो energy लेते हो।

यह दोनो चीज़ें मिलकर तुम्हारे अंदर power की recharging करती हैं।


खेल को एक creative break समझो, ना कि time waste

Play का मतलब सिर्फ मस्ती करना नहीं है —

बल्कि ये तुम्हारे brain को creative freedom देता है।


चाहे वो painting हो, football हो, chess हो या video games —

यह एक जगह है जहां तुम अपने दिमाग को relax कर सकते हो और नयी perspectives पा सकते हो।


अगर तुम खेल नहीं खेलते, तो तुम एक machine बन जाते हो

कभी-कभी सिर्फ काम करते रहना, और अपना fun time न निकालना —

तुम्हें एक robot बना सकता है।


बेशक, काम ज़रूरी है, लेकिन एक मशीन की तरह काम करते हुए कभी भी खुद को खो मत देना।

Enjoy, unwind, और recharge करो!


सपनों को हासिल करने के लिए फुर्सत और मस्ती जरूरी है

सबसे बड़ा irony यही है —

जब तुम मस्ती करते हो, तो तुम ज़्यादा productive हो जाते हो।


क्योंकि खेल और मस्ती तुम्हें ताजगी देती है,

जिससे तुम next day full energy के साथ काम कर सकते हो।


मान लो तुम एक creator हो —

सारे दिन video editing में, content ideas में खोए रहते हो।

लेकिन तुम्हें एक दिन अचानक लगा:


“पिछले दो हफ्ते से मैंने अपनी पसंदीदा series भी नहीं देखी, या कुछ random चीज़ नहीं की।”

अब तुम सोचते हो: क्या सच में मेरे लिए सिर्फ काम ही सब कुछ है?


फिर तुम एक afternoon break लेते हो —

अपनी favorite series देखते हो, थोड़ी masti करते हो,

और उसी पल में realize करते हो कि तुमने वापस अपने inner joy को पाया है।

जब तुम next day उठते हो —

तुमhara creative energy 5x हो चुकी होती है।

काम में भी और खुद में भी!


"Play is not just for kids. It's a tool for adults to grow, recharge, and become their best."


हमने पूरे इस सफर में सीखा:


Focus: क्या करना चाहिए — और क्या छोड़ना चाहिए


Reflection: क्या सिखा — और क्या सुधारना चाहिए


Balance: काम के बीच में खेल और आनंद को जगह देना ज़रूरी है।


अब तुम हो ready किसी भी challenge से लड़ने के लिए,

क्योंकि तुमने अपनी routine, energy, और mindset को इस तरह से तैयार किया है —

जो तुम्हे sustainable तरीके से बड़े कदम उठाने की ताकत देता है।

अब तुम्हारा अगला कदम क्या होगा?

क्या तुम इसी सिस्टम को daily practice में लाओगे?

क्या तुम अपने नए routines और daily decisions से अपनी नई पहचान बना पाओगे?


Be the daily maker

"अगर आप यहाँ तक सुन चुके हैं, तो मुझे यकीन है कि ये कहानी आपके दिल को ज़रूर छू गई होगी। अगर आपको ये वीडियो पसंद आया हो, तो इसे लाइक ज़रूर करें।


और इसे अपने उन दोस्तों और परिवार के लोगों के साथ शेयर करें, जिनकी ज़िंदगी में आप वाकई कोई पॉज़िटिव बदलाव लाना चाहते हैं।


चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें, ताकि अगली इंस्पायरिंग कहानी आप तक सबसे पहले पहुँचे।


अगर आप इस किताब को खरीदना चाहते हैं, तो उसका लिंक नीचे डिस्क्रिप्शन में दिया गया है। वहाँ से आप इसे ले सकते हैं।


अब मिलते हैं अगली किताब की कहानी में, एक नए सफ़र के साथ। तब तक अपना ख़याल रखें।


और हाँ, कॉमेंट करके ज़रूर बताएं कि इस कहानी की कौन सी बात आपके दिल को सबसे ज़्यादा छू गई।


मैं हूँ आपका दोस्त — अनिल सहारण।"

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Simple Thinking By Richard Gerver | Hindi Book Summary | अपनी लाइफ में Simple सोचना सीखो

The Let Them Theory By Mel Robbins | Hindi Book Summary | लोगों को Let Them Approach से Handle करना सीखें

Strive for Progress, Not Perfection | हिंदी में विस्तार से समझें