The Let Them Theory By Mel Robbins | Hindi Book Summary | लोगों को Let Them Approach से Handle करना सीखें
क्या आप भी हर किसी को खुश रखने की कोशिश में अपनी शांति खो देते हैं? क्या लोगों की राय और जजमेंट्स आपकी जिंदगी पर असर डालते हैं? अगर हां, तो यह वीडियो आपके लिए है।
आज मैं आपको बताने जा रहा हूं 'The Let Them Theory' की कहानी, जो न केवल आपको दूसरों की सोच और राय से आजाद करेगी, बल्कि आपकी जिंदगी को एक नई दिशा भी देगी।
तो चलिए, शुरुआत करते हैं इस कहानी की, जो आपके जीवन को बदल सकती है। वीडियो को अंत तक देखें, क्योंकि इसमें हर सबक आपके लिए खास है।
मैं हूं अनिल, और आपका स्वागत है 'Anil Saharan' चैनल पर, जहां हम आपके लिए लाते हैं प्रेरणा, सीख और आत्म-विकास की कहानियां। चलिए, शुरू करते हैं!
विकास अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा करना चाहता था, लेकिन वो उलझनों और तनाव से घिरा हुआ महसूस कर रहा था। वो अपने कमरे के कोने में रखे सोफे पर चुपचाप बैठा था, सोचता हुआ कि आखिर क्या किया जाए। तभी उसकी नज़र अपनी टेबल पर रखी एक किताब पर पड़ी।
ये वही किताब थी जो उसने महीनों पहले खरीदी थी लेकिन कभी पढ़ने का समय नहीं मिला था। किताब का नाम था "The Let Them Theory" by Mel Robbins।
उसने किताब उठाई और नाम को ध्यान से देखा। "Let Them?" उसने खुद से सवाल किया, "क्या मतलब है इसका?" वो थोड़ी देर तक कवर को निहारता रहा, और फिर उसने सोचा, "आज इसे पढ़ना शुरू करता हूँ। शायद इसमें मेरी समस्याओं का हल छुपा हो।"
जैसे ही उसने पहला पन्ना पलटा, उसे ऐसा महसूस हुआ मानो ये किताब उसी के लिए लिखी गई हो। उसने सोचा कि इसे पढ़ने के बाद न सिर्फ वो खुद को बेहतर समझ पाएगा, बल्कि अपनी जिंदगी के हर रिश्ते और मुश्किल को भी बेहतर तरीके से संभाल सकेगा।
विकास ने किताब खोलते ही पहला पन्ना पलटा और नजर गई पहले लेसन पर:
Let Them Judge You (उन्हें आपको जज करने दें)
इस लाइन ने उसे गहराई से सोचने पर मजबूर कर दिया। वह याद करने लगा कि कैसे लोग अक्सर उसकी मेहनत पर सवाल उठाते थे। जब उसने सरकारी नौकरी की तैयारी छोड़कर खुद का व्यवसाय शुरू करने का सोचा था, तो सभी ने उसे जज किया था। किसी ने कहा, "तुमसे नहीं होगा," तो किसी ने कहा, "पैसे बर्बाद करोगे।"
विकास उन बातों से प्रभावित होकर कई बार रुक गया था। लेकिन अब, इस लेसन ने उसे एक नया नजरिया दिया। किताब में लिखा था:
लोगों को आपके बारे में जो सोचना है, सोचने दें। आप सबको खुश नहीं कर सकते, और उनकी राय आपकी वास्तविकता नहीं बन सकती।
विकास ने पढ़ा एक उदाहरण:
यदि आप एक नया व्यवसाय शुरू करते हैं और लोग कहते हैं कि यह नहीं चलेगा, तो उन्हें ऐसा कहने दें। उनकी बातों में उलझने की बजाय अपने काम पर ध्यान दें। सफलता आपकी मेहनत और विश्वास से तय होती है, न कि दूसरों की राय से।
यह पढ़ते ही विकास का चेहरा खिल उठा। उसने खुद से कहा
लोग क्या सोचते हैं, यह मेरे कंट्रोल में नहीं है। लेकिन मेरी मेहनत और दृढ़ता हमेशा मेरे कंट्रोल में है।
उसने ठान लिया कि अब वह किसी की आलोचना या जजमेंट से डरकर रुकने वाला नहीं है। उसने किताब को उत्सुकता से आगे पढ़ने का फैसला किया।
विकास अब अपने व्यवसाय की शुरुआत कर चुका था। उसने पहले पाठ "Let Them Judge You" को अपने जीवन में उतार लिया था। अब वह लोगों की आलोचनाओं और जजमेंट से प्रभावित हुए बिना अपने लक्ष्य पर काम कर रहा था।
एक दिन, सुबह की चाय के साथ उसने किताब का दूसरा अध्याय पढ़ना शुरू किया। दूसरा अध्याय था:
Let Them Be Themselves (उन्हें उनके जैसा रहने दें)
जैसे ही उसने यह लाइन पढ़ी, उसके दिमाग में अपने दोस्त रोहित का चेहरा सामने आ गया। रोहित उसकी नई कंपनी में काम कर रहा था, लेकिन वह हमेशा मीटिंग्स में देर से आता था। विकास अक्सर इस आदत पर गुस्सा करता और सोचता, "क्यों यह वक्त पर नहीं आ सकता?"
किताब में लिखा था:
हर व्यक्ति अलग होता है। हमें दूसरों को उनके स्वभाव के अनुसार जीने देना चाहिए, बजाय इसके कि हम उन्हें अपने अनुसार बदलने की कोशिश करें।
अगर आपका दोस्त हमेशा देर से आता है, तो बजाय गुस्सा करने के, यह समझें कि उसकी आदत ऐसी है। उसे स्वीकार करें और उसके तरीकों को अपनाने की कोशिश करें।
यह पढ़ते ही विकास ने महसूस किया कि गुस्सा करने से रोहित की आदत तो बदल नहीं रही थी, उल्टा उनके रिश्ते खराब हो रहे थे। उसने तय किया कि अब वह रोहित को उसकी आदतों के साथ स्वीकार करेगा।
अगले दिन, विकास ने एक नई योजना बनाई। उसने मीटिंग का समय रोहित की आदत को ध्यान में रखते हुए थोड़ा आगे बढ़ा दिया। इस बदलाव से न सिर्फ रोहित समय पर आने लगा, बल्कि उनका आपसी रिश्ता भी मजबूत हो गया।
कुछ ही हफ्तों में विकास को यह एहसास हुआ कि जब उसने दूसरों को उनके स्वभाव के साथ स्वीकार करना शुरू किया, तो वह खुद भी ज्यादा शांत और खुश रहने लगा।
धीरे-धीरे विकास ने इस अध्याय को अपने व्यवसाय और व्यक्तिगत जीवन दोनों में लागू करना शुरू कर दिया। उसने महसूस किया कि हर किसी को अपने अनुसार बदलने की कोशिश करने से बेहतर है कि उन्हें उनके तरीके से रहने दें। इससे उसके कर्मचारियों का आत्मविश्वास बढ़ा और वह टीम के साथ बेहतर तालमेल बनाने लगा।
विकास अब किताब के तीसरे पाठ पर पहुंचा:
Let Them Walk Away (उन्हें चले जाने दें)
जैसे ही उसने यह लाइन पढ़ी, उसने गहरी सांस ली। यह पाठ उसके दिल को छू गया क्योंकि उसने हाल ही में अपने करीबी दोस्त अजय को खो दिया था। अजय, जो पहले उसके हर मुश्किल समय में साथ था, धीरे-धीरे उससे दूरी बनाने लगा था। विकास ने उसे रोकने की बहुत कोशिश की थी—कॉल, मैसेज, और हर तरह से बात करने की कोशिश, लेकिन सब बेकार था।
किताब में लिखा था:
अगर कोई व्यक्ति आपकी जिंदगी से जाना चाहता है, तो उसे जाने दें। जबरदस्ती किसी को रोकना आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है।
इसने विकास को सोचने पर मजबूर कर दिया। उसने महसूस किया कि अजय को रोकने के लिए की गई उसकी कोशिशें उसे और भी ज्यादा दुखी कर रही थीं। किताब के उदाहरण ने उसे और अधिक स्पष्टता दी:
अगर कोई दोस्त आपकी जिंदगी से दूरी बना लेता है, तो उसे जाने दें। हर किसी का अपने रास्ते पर चलना जरूरी होता है, और आप दोनों के लिए यह अच्छा हो सकता है।
विकास ने अजय के साथ अपने बीते पलों को याद किया और महसूस किया कि हर रिश्ते की एक मियाद होती है। कुछ लोग हमारे साथ लंबे समय तक रहते हैं, और कुछ का सफर हमारे साथ छोटा होता है। लेकिन हर किसी का जिंदगी में एक उद्देश्य होता है।
उसने अपने आप से कहा,
अगर अजय को अपने रास्ते पर चलना है, तो मैं उसे रोकूंगा नहीं। हो सकता है कि यह उसके लिए और मेरे लिए भी बेहतर हो।
अगले दिन, विकास ने अजय को एक आखिरी मैसेज भेजा:
मैंने तुम्हारी दूरी को समझा और स्वीकार किया। तुम्हारे फैसले का सम्मान करता हूं। मैं हमेशा तुम्हारे लिए शुभकामनाएं दूंगा।
यह मैसेज भेजने के बाद विकास को लगा कि उसने अपने दिल से एक बड़ा बोझ उतार दिया है। उसे अब यह समझ में आ गया था कि किसी को जबरदस्ती रोकने की बजाय, उन्हें उनके रास्ते पर जाने देना ही सही है।

विकास ने महसूस किया कि जब उसने दूसरों को उनकी आज़ादी दी, तो वह खुद ज्यादा शांत और मजबूत महसूस करने लगा। अब वह रिश्तों को जबरदस्ती खींचने की बजाय, उन्हें स्वाभाविक रूप से पनपने देने में विश्वास करने लगा।
विकास ने किताब में तीसरा पाठ "Let Them Walk Away" पढ़कर सीखा था कि किसी को जबरदस्ती रोकने की बजाय, उन्हें उनके रास्ते पर जाने देना ही सही है। उसने अजय को जाने दिया और महसूस किया कि यह उसकी मानसिक शांति के लिए कितना जरूरी था।
अगली सुबह, चाय का कप हाथ में लिए, उसने किताब का चौथा अध्याय पढ़ना शुरू किया।
Let Them Be Wrong (उन्हें गलत होने दें)
जैसे ही विकास ने यह पाठ पढ़ा, उसे याद आया कि पिछले हफ्ते उसका भाई, मनीष, एक बड़े फैसले पर उससे बहस कर रहा था। मनीष ने अपनी बचत का बड़ा हिस्सा एक ऐसा व्यवसाय शुरू करने में लगाया था, जो विकास के अनुसार एक बड़ा जोखिम था। विकास ने उसे बहुत समझाया था कि यह फैसला गलत साबित हो सकता है। लेकिन मनीष ने उसकी एक नहीं सुनी और अपनी बात पर अड़ा रहा।
किताब में लिखा था:
हर किसी को अपनी गलतियों से सीखने का हक है। हर बार सही साबित करने की कोशिश करने से बचें।
इसने विकास को सोचने पर मजबूर कर दिया। वह बार-बार मनीष को सही रास्ता दिखाने की कोशिश करता था, लेकिन क्या यह सही था? किताब में एक उदाहरण भी दिया गया था:
अगर आपका साथी किसी निर्णय में गलत है, तो उन्हें गलत होने दें। इससे वह अपनी गलती से सीख सकते हैं और भविष्य में बेहतर निर्णय ले सकते हैं।
विकास ने एक गहरी सांस ली और तय किया कि वह मनीष को उसके फैसले पर रोकने की बजाय, उसे अपने फैसले का अनुभव करने देगा। उसने सोचा,
हो सकता है कि मनीष गलत हो, लेकिन हो सकता है कि वह सही भी हो। और अगर वह गलत होता है, तो यह उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा सबक होगा।
विकास ने मनीष को कॉल किया और कहा:
भाई, तुम्हारा फैसला तुम्हारा है। मैं तुम्हारे साथ हूं, चाहे जो हो।
मनीष इस बात से चौंक गया और उसने महसूस किया कि विकास अब उसे अपनी आजादी के साथ फैसले लेने दे रहा है।
कुछ महीने बाद, मनीष का व्यवसाय असफल हो गया। वह निराश और हताश था, लेकिन उसने अपनी गलती से बहुत कुछ सीखा। मनीष ने विकास से कहा,
भाई, तुम्हारा मुझे फैसले लेने देना और गलत होने देना मेरी सबसे बड़ी सीख थी। अब मुझे पता है कि मैं अगली बार कैसे बेहतर कर सकता हूं।
विकास ने महसूस किया कि हर किसी को अपनी गलतियों से सीखने का हक है। वह अब दूसरों को बार-बार सही साबित करने की कोशिश करने की बजाय, उन्हें उनके अनुभव से सीखने का मौका देने लगा।
हर किसी को गलत होने का हक दें। उनकी गलतियां ही उनके सबसे बड़े शिक्षक बन सकती हैं।
विकास ने अब तक किताब के चार पाठ पढ़ लिए थे और उन्हें अपनी जिंदगी में लागू भी कर लिया था। उसने सीखा था कि लोगों की आलोचना से प्रभावित हुए बिना काम करना, दूसरों को उनकी आदतों के साथ स्वीकारना, उन्हें अपनी जिंदगी से जाने देना, और गलतियां करने का मौका देना जीवन को बेहतर और शांत बनाता है।
एक दिन, ऑफिस से घर लौटते समय उसने किताब का पाँचवाँ पाठ पढ़ना शुरू किया।
Let Them Not Like You (उन्हें आपको पसंद न करने दें)
जैसे ही विकास ने यह पाठ पढ़ा, उसे अपनी ऑफिस की सहकर्मी सिम्मी की याद आ गई। सिम्मी उसे हमेशा अनदेखा करती थी और उसकी बातों को अहमियत नहीं देती थी। विकास कई बार कोशिश कर चुका था कि वह सिम्मी के साथ अच्छे संबंध बना सके, लेकिन हर बार उसे ऐसा लगा कि सिम्मी उसे पसंद नहीं करती।
किताब में लिखा था:
"यह जरूरी नहीं कि हर कोई आपको पसंद करे। अगर कोई आपको पसंद नहीं करता, तो इसे व्यक्तिगत रूप से न लें।"
यह लाइन पढ़कर विकास को अहसास हुआ कि उसने सिम्मी को खुश करने की कोशिश में कितनी ऊर्जा बर्बाद कर दी थी। किताब में एक उदाहरण भी था:
अगर आपके ऑफिस में कोई सहयोगी आपको पसंद नहीं करता, तो इसे लेकर तनाव न लें। अपने काम पर ध्यान दें और उन लोगों के साथ बेहतर संबंध बनाएं जो आपकी कद्र करते हैं।
विकास ने उस दिन से सिम्मी को खुश करने की कोशिश करना बंद कर दी। उसने अपना ध्यान उन सहकर्मियों पर केंद्रित किया जो उसकी कद्र करते थे और उसके साथ मिलकर काम करना पसंद करते थे।
कुछ ही हफ्तों में, विकास ने महसूस किया कि उसकी प्रोडक्टिविटी बढ़ गई है। अब वह सिम्मी के व्यवहार से प्रभावित हुए बिना अपने काम में बेहतर प्रदर्शन कर रहा था।
एक दिन, ऑफिस की मीटिंग के दौरान, विकास ने अपनी एक नई प्रोजेक्ट रिपोर्ट प्रस्तुत की। सिम्मी ने भी उस रिपोर्ट को सराहा। विकास को समझ में आया कि जब उसने खुद को दूसरों की पसंद-नापसंद से आजाद कर लिया, तो उसकी खुद की काबिलियत ज्यादा साफ और प्रभावी हो गई।
सिम्मी से दूरी बनाकर, विकास ने न केवल अपनी मानसिक शांति को बचाया, बल्कि अपने काम में भी अधिक प्रभावशाली बन पाया। वह अब समझ गया था कि हर किसी को खुश करना या हर किसी से प्यार पाने की कोशिश करना न केवल असंभव है, बल्कि खुद के लिए नुकसानदेह भी है।
उसने खुद से कहा,
जो लोग मुझे पसंद करते हैं, मैं उनके साथ हूं। जो लोग नहीं करते, उन्हें उनकी राय के साथ रहने दूंगा।
यह जरूरी नहीं कि हर कोई आपको पसंद करे। अपनी ऊर्जा उन चीजों में लगाएं, जो आपको खुश और सफल बनाती हैं।

विकास अब तक किताब के छह पाठों से गुजर चुका था। हर पाठ ने उसे जीवन के नए पहलुओं को समझने में मदद की। वह खुद को पहले से ज्यादा शांत और संतुलित महसूस कर रहा था। उसने न केवल अपने सोचने के तरीके को बदला, बल्कि अपने जीवन को भी नई दिशा दी।
एक रविवार की सुबह, चाय का प्याला लिए विकास ने किताब का अंतिम अध्याय पढ़ना शुरू किया।
Let Them Have Their Opinions (उन्हें अपनी राय रखने दें)
इस पाठ को पढ़ते ही विकास के दिमाग में अपने परिवार के साथ हुई पिछली बहस याद आ गई। कुछ दिन पहले, उसके चाचा ने उसकी जीवनशैली पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था,
इतना पढ़ाई और काम में समय देना ठीक नहीं है। थोड़ा आराम भी जरूरी है।
विकास को यह बात बुरी लगी थी क्योंकि वह अपनी जिंदगी को पूरी तरह से संतुलित मानता था। उसने बहस करने की कोशिश की थी, लेकिन अंत में दोनों के बीच बात बिगड़ गई।
किताब में लिखा था:
हर किसी का अपना नजरिया होता है, और हमें दूसरों की राय को स्वीकार करना चाहिए, भले ही वह हमारी सोच से मेल न खाती हो।
यह वाक्य पढ़कर विकास ने महसूस किया कि वह दूसरों की राय को गलत साबित करने में अपनी ऊर्जा बर्बाद कर रहा था। किताब में दिए गए उदाहरण ने उसकी सोच को और मजबूत किया:
यदि आपका कोई रिश्तेदार आपकी जीवनशैली के बारे में अलग राय रखता है, तो उनकी राय को स्वीकार करें और अपने तरीके से जीवन जीते रहें।
उस शाम विकास ने अपने चाचा से बात की। उसने बहस करने की बजाय उनकी बात को ध्यान से सुना और कहा:
चाचा जी, आपकी बात सही हो सकती है। मैं अपनी जिंदगी में बदलाव करने पर जरूर विचार करूंगा।
इस प्रतिक्रिया से उसके चाचा शांत हो गए। विकास ने उनकी राय को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और अपनी प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित रखा।
कुछ ही हफ्तों में, उसने पाया कि अपने काम और जीवनशैली पर सवालों के बावजूद वह ज्यादा शांत और केंद्रित महसूस कर रहा था। उसने दूसरों की राय को स्वीकार करना सीख लिया था, बिना अपनी पहचान को खोए।
किताब के इस अंतिम पाठ ने विकास को वह सिखाया जो वह लंबे समय से समझ नहीं पाया था:
दूसरों की राय सिर्फ उनकी सोच है, आपकी सच्चाई नहीं।
विकास ने किताब को बंद करते हुए खुद से कहा,
मैंने अब खुद को और जीवन को बेहतर तरीके से समझना सीख लिया है। हर किसी को उसकी राय रखने का हक है, और मुझे अपनी राह पर चलने का।
हर किसी का नजरिया अलग होता है। दूसरों की राय का सम्मान करें, लेकिन अपने फैसलों और विश्वासों पर डटे रहें।
Let Them Theory" ने न केवल विकास की जिंदगी बदल दी, बल्कि उसे एक नई दिशा भी दी। वह अब हर चुनौती का सामना शांत मन और सकारात्मक सोच के साथ करता था।
जैसे ही विकास ने किताब का आखिरी पन्ना बंद किया, उसने महसूस किया कि यह सिर्फ एक किताब नहीं थी, बल्कि उसकी जिंदगी को सुधारने का जरिया थी। उसने अपने भीतर एक नई ऊर्जा और आत्मविश्वास का अनुभव किया।
विकास ने खुद से कहा,
यह किताब तो खत्म हो गई, लेकिन यह मेरे लिए एक नई शुरुआत है। अब मुझे अपने जीवन को इन सबक के आधार पर और बेहतर बनाना है।
किताब के सबक को अपनाते हुए, विकास ने अपने लक्ष्य को फिर से स्पष्ट किया और जीवन को और व्यवस्थित तरीके से जीना शुरू किया। उसने न केवल अपने व्यवसाय में सुधार किया, बल्कि अपने रिश्तों और मानसिक शांति को भी प्राथमिकता दी।
विकास को एहसास हुआ कि सच्ची सफलता सिर्फ बाहरी उपलब्धियों में नहीं है, बल्कि यह जानने में है कि कैसे शांत मन के साथ जिंदगी को जिया जाए।

हर अंत एक नई शुरुआत है। दूसरों को उनके अनुसार जीने दें और खुद को अपनी शांति और खुशहाली का रास्ता खोजने दें।
तो दोस्तों, यह थी 'Let Them Theory' की कहानी, जिसने विकास की जिंदगी को बदल दिया और उसे शांत और संतुलित जीवन जीने का तरीका सिखाया। इस किताब के हर सबक ने हमें यह समझाया कि हमें दूसरों को उनकी सोच, राय और कार्यों के साथ स्वीकार करना चाहिए और अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाना चाहिए।"
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