GRIT by Angela Duckworth | Book Summary in Hindi | जिसे सबने छोड़ा… वही जीत गया | Anil Saharan

 Hello friends! आपका स्वागत है, मैं हूँ आपका दोस्त Anil Saharan। आज हम बात करने वाले हैं  Grit by Angela Duckworth के बारे में...



Vinay एक छोटे शहर का लड़का था — सीधा-सादा, मेहनती लेकिन थोड़ा slow learner. IIT की तैयारी कर रहा था। सब कहते थे — “bhaiyya ka dimag tez nahi hai, uska selection mushkil hai.”


हर सुबह 5 बजे उठता, पढ़ता, क्लास जाता… लेकिन mock tests में marks नहीं आते थे।

कभी 110, कभी 98… जबकि बाकी लोग 180+ कर रहे थे।


एक दिन उसके सबसे अच्छे दोस्त Ravi ने AIR 58 लाकर सभी को चौंका दिया। वही दोस्त जिसने उसी किताब से पढ़ा था, उसी क्लास में बैठा था।


Vinay टूटा नहीं… चुप हो गया।


अब उसके लिए coaching जाना torture बन गया था।

लोग पीठ पीछे हँसते, कुछ दोस्त सलाह देते —


"Tu design ya arts dekh le… IIT tere बस की नहीं है।”


वो हर दिन एक ही सवाल में उलझ जाता:


“क्या मुझमें टैलेंट नहीं है? या फिर मैं ही बेवकूफ हूँ?”


एक दिन library में बैठा हुआ था, अकेला, खोया हुआ…

उसी समय, librarian uncle आए और बोले:


“तू आजकल परेशान दिखता है…

ये किताब पढ़, शायद अपने बारे में कुछ नया समझे।”


और उन्होंने उसके सामने रखी:

📘 "Grit by Angela Duckworth"


Vinay ने किताब उठाई, लेकिन बिना खोले ही बैग में रख दी।


रात के 2 बज रहे थे। Vinay की आंखें नींद से भरी थीं, लेकिन दिमाग... उलझा हुआ, भारी और बेचैन था।


उसी बेचैनी में उसने वो किताब खोली, जो पिछले 2 दिन से उसके बैग में दबकर पड़ी थी —

📘 "Grit by Angela Duckworth"


“Our potential is one thing. What we do with it is quite another.”


बस इतनी सी लाइन ने उसे एक झटका सा दिया।


उसने बिस्तर पर लेटे-लेटे खुद से पूछा —


"मैं कितना कुछ सोचता हूँ अपने बारे में, लेकिन करता क्या हूँ?"

"क्या मैं सच में मेहनत कर रहा हूँ, या बस दिन काट रहा हूँ?"


उसके अंदर की आवाज़ आई:


"Hard work sabhi karte हैं, लेकिन Grit... वो अलग चीज़ है।"


 Pehli Haar – Vinay’s Breaking Point

3 महीने पहले की बात थी… Vinay एक scholarship टेस्ट में बैठा था।

पढ़ाई की थी, लेकिन दिल से नहीं — बस डर के मारे।


Result आया — Fail.


जब उस रात घर में माँ ने पूछा, "क्या हुआ बेटा?"

तो पहली बार Vinay चिल्लाया था —


"मुझसे नहीं होगा! मैं धीरे समझता हूँ, बाकी लोग मुझसे तेज़ हैं… मैं कभी जीत नहीं सकता!"


माँ चुप थीं।

बस धीरे से इतना बोलीं:


"बेटा, तेज़ भागने वाला नहीं जीतता... जो बिना रुके भागता है, वही जीतता है।"


उस दिन Vinay को यह बात "समझ नहीं आई थी", लेकिन अब…

Angela Duckworth की किताब के उस पहले lesson में, वो माँ की बात "महसूस" कर रहा था।


Grit = Passion + Perseverance

अगले कुछ दिन Vinay ने एक काम किया — अपने हर हार को कागज़ पर लिखा।

और हर बार खुद से एक सवाल पूछा:


"क्या मैंने वो हार तब मानी, जब मुझे लड़ना चाहिए था?"


हर जवाब “हाँ” था।


उसने जाना कि—


कभी उसने passion छोड़ा…


कभी उसने कोशिश छोड़ दी…


कभी उसने खुद पर से भरोसा छोड़ दिया…


पर जो लोग gritty होते हैं — वो छोड़ते नहीं।


“Grit का मतलब है — जब सब थक जाएं, तब भी आप चलते रहो।”


Vinay का नया experiment

अब Vinay ने अपने लिए एक rule बनाया:


हर दिन 2 घंटे सिर्फ अपने कमजोर टॉपिक पर काम करेगा।


बिना skip किए, 30 दिन तक… चाहे कुछ भी हो।


लेकिन उसने किसी को नहीं बताया — ना दोस्तों को, ना मम्मी-पापा को।

बस खुद से एक deal की।


30 दिन का चैलेंज। अकेले में। बिना applause, बिना complaint.


और उसने कहा —

"अब मैं उस लड़ाई को जीतूंगा, जिसे सब हार मान चुके हैं।


दिन 8 था।

Vinay हर सुबह 4:45 पर उठता, वही कमजोर topic उठाता, वही धीमी रफ़्तार…

कभी-कभी वो एक सवाल 20 मिनट में हल करता, जो औरों को 5 मिनट में हो जाता।


उस दिन, उसने mock test दिया — फिर से कम नंबर आए।

वो library के कोने में बैठा, आँखें भर आईं…


और उसने खुद से सवाल किया:


“मैं इतनी मेहनत कर रहा हूँ, फिर भी मैं उनसे पीछे क्यों हूँ?”

“क्या मैं उतना अच्छा नहीं हूँ जितना वो हैं?”

“क्या मेरी किस्मत ही खराब है?”


उसे याद आया, जब पहली बार coaching क्लास में आया था —

सब नए लड़के इतने तेज़ थे। Board पर कोई नया concept लिखते —

कुछ लोग उसी वक्त answer दे देते।


और Vinay…?


उसे समझ ही नहीं आता था — सवाल भी क्या था।


क्लास खत्म होने के बाद वो घंटों बैठकर वही concept फिर से पढ़ता, वीडियो देखता, notes बनाता।


एक बार एक लड़का बोला था:


“तू इतना time waste क्यों करता है यार, ये तो आसान था!”


वो मुस्कुरा दिया… लेकिन अंदर कुछ टूट गया था।


फिर Vinay ने किताब का अगला चैप्टर पढ़ा:“Talent Overrated Hai”


“People think that being a genius means never failing. But genius is about not giving up after failing.”


उसे ऐसा लगा जैसे कोई उसके दिल की बात कह रहा है।


इस बीच, अगर आपको ये कहानी पसंद आ रही है, तो like ज़रूर करें, comment में अपनी feelings शेयर करें, और वीडियो को अपने दोस्तों तक पहुँचाएं।

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चलिए, अब वापस चलते हैं कहानी की उसी मोड़ पर... जहाँ से सब कुछ बदलने वाला था।"


Angela लिखती हैं:


“जो लोग जल्दी सीखते हैं, वो हमेशा सफल नहीं होते।

बल्कि, जो लोग बार-बार try करते हैं, वही असली winner होते हैं।”


Vinay की आँखों में आंसू आ गए…

क्योंकि ये लाइन सिर्फ एक idea नहीं थी — ये उसकी पूरी ज़िंदगी थी।


“Slow Learner होना Weakness नहीं है”

उसे समझ आया —


“मैं धीमा हूँ… लेकिन मैं लगातार चल रहा हूँ।

मैं रोज़ गिरता हूँ… लेकिन मैं रोज़ उठता भी हूँ।”

“और शायद यही मेरी ताकत है।”


imagine करो:


कोई लड़की जो NEET की 3rd बार तैयारी कर रही है।


कोई लड़का जो coding सीख रहा है, पर logic समझ में नहीं आता।


कोई office employee जो बार-बार rejection झेल रहा है।


ये सब Vinay हैं।

क्योंकि सबके अंदर एक ही डर बैठा है —


“क्या मैं दूसरों जितना तेज़ नहीं हूँ?”

“क्या मैं ही कमज़ोर हूँ?”


लेकिन Grit सिखाती है:


“तेज़ भागने वाला नहीं जीतता, जो बिना रुके चलता है… वही जीतता है।”


Vinay ने उस रात mirror में खुद को देखा और कहा:


“मैं genius नहीं हूँ।”

“मैं fast learner भी नहीं हूँ।”

“लेकिन मैं कभी हार नहीं मानूंगा।”

“और ये ही मेरी जीत होगी।”


दिन 14 था।

Vinay रोज़ वही routine कर रहा था — सुबह उठना, पढ़ाई करना, notes बनाना, doubt पूछना।


लेकिन उसके अंदर एक सवाल लगातार गूंज रहा था:


“क्या मैं बस mechanical हो गया हूँ?”

“क्या ये पढ़ाई मेरे लिए सही है भी या नहीं?”

“बाकियों को देखो — वो तो बड़े passion से पढ़ते हैं, मेरे अंदर वो fire क्यों नहीं है?”


Library में बैठा था, सामने किताब खुली थी — लेकिन दिमाग कहीं और।


📘 Angela की एक लाइन ने उसे रोक लिया:

“Passion is not love at first sight… it’s love after many dates.”


वो चौंक गया…


“मतलब, passion कोई बिजली नहीं है जो अचानक गिरे।

ये तो practice से, connection से, धीरे-धीरे बनता है?”


उसने फिर पढ़ा:


“Grit वाले लोग passion को पैदा करते हैं।

शुरू में वो भी confused रहते हैं, लेकिन एक direction पकड़ कर लगातार चलते हैं।”


उसे याद आया — जब वो 7वीं क्लास में था, तब उसे drawing पसंद आ गई थी।


शुरू में उसे कुछ नहीं आता था — उसका art teacher हँसते थे:


“अरे बेटा, ये हाथी है या साइकिल?”


लेकिन उसने drawing छोड़ी नहीं। हर हफ्ते practice करता गया… और कुछ ही महीनों में स्कूल की दीवार पर उसका sketch टंग गया था।


“तो क्या वहीं rule यहाँ भी लागू होता है?”

“क्या पढ़ाई भी वैसी चीज़ है, जिसे बार-बार करने से लगाव होने लगता है?”


उस दिन Vinay ने एक काम किया —

उसने सिर्फ syllabus की किताबें नहीं पढ़ीं…

वो concepts के पीछे की कहानी पढ़ने लगा।


Thermodynamics सिर्फ formula नहीं था — वो एक scientist की decades की मेहनत थी।


Organic chemistry सिर्फ reactions नहीं थी — वो molecules की love story थी!


धीरे-धीरे उसे मज़ा आने लगा —

ना इसलिए कि subject बदल गया,

बल्कि इसलिए कि उसका नज़रिया बदल गया।


“Interest बना… क्योंकि उसने give-up नहीं किया।”


अगर तुम अभी confused हो…

अगर तुम्हें ये नहीं पता कि life में क्या करना है…

अगर तुम्हें किसी चीज़ में दिलचस्पी नहीं लगती…


तो इसका मतलब ये नहीं कि तुम बेमकसद हो।

इसका मतलब बस ये है — तुमने अभी तक उस चीज़ को निभाया नहीं, जिससे रिश्ता बन सके।


Passion Tinder पे नहीं मिलेगा… वो तो time देके, भरोसा रखके, practice से बनता है।


अब Vinay ने अपना नजरिया fix कर लिया था:


"मुझे IIT से प्यार नहीं था...

लेकिन अब मैंने मेहनत करके उस प्यार को पैदा कर लिया है।"


दिन 22 था।


Vinay की routine अब इतनी सेट हो गई थी कि कोई देखता तो कहता —


“भाई तू तो अब machine बन गया है!”

लेकिन अंदर से Vinay जानता था —

उसे अब भी improvement की तलाश है।


उस रात उसने अपने पुराने mock test उठाए —

हर page पर उसे अपनी ही बेवकूफियाँ दिखने लगीं…


जहाँ उसका answer गलत था, वहाँ उसने दोबारा वही गलती की थी।


कुछ सवाल तो ऐसे थे जो उसने तीन बार गलत किए, फिर भी कभी गहराई से समझने की कोशिश नहीं की।


वो चौंक गया…


“मैं मेहनत तो कर रहा हूँ, लेकिन क्या मैं smart तरीके से कर रहा हूँ?”


📘 Angela Duckworth कहती हैं:

“Practice doesn’t make you perfect.

Only deliberate practice does.”


और deliberate practice के तीन पार्ट होते हैं:


Purposeful Effort – मतलब हर बार कुछ specific improve करना।


Feedback लेना – खुद से या दूसरों से।


Mistakes पकड़ना और उन्हें सुधारना।

 “Mujhe Sirf Rattna Nahi Hai”

Vinay ने खुद से पूछा:


“मैं रोज़ 6 घंटे पढ़ रहा हूँ, लेकिन क्या मैं हर दिन कुछ नया सीख रहा हूँ?”

“क्या मैं वही गलती बार-बार repeat कर रहा हूँ?”

“क्या मैंने कभी feedback माँगा?”


जवाब था: नहीं।


अगले दिन से Vinay ने कुछ changes किए:


अब वो हर दिन एक छोटा topic चुनता, जिसमें उसे दिक्कत थी।


उस topic पर वो 2 घंटे सिर्फ इसलिए देता, कि गलती कहाँ हो रही है ये समझ सके।


उसने अपने teacher से कहा —


“मुझे हर हफ्ते honest feedback चाहिए। बताइए कि मैं कहाँ weak हूँ। Sugarcoat मत कीजिए।”


🔄 First Feedback = First Reality Check

एक हफ्ते बाद teacher ने कहा:


“Vinay, तुम concept तो समझते हो, पर तुम सवालों को analyze नहीं करते।

तुम सोचते हो जल्दी solve हो जाए, लेकिन तुम्हारा दिमाग shortcuts ढूंढता है।”


ये बात कड़वी थी… लेकिन सही थी।


अब Vinay ने हर रात एक छोटी सी notebook में 3 सवाल लिखने शुरू किए:


आज मैंने क्या नया सीखा?


आज मैंने कहाँ गलती की?


कल उस गलती को कैसे सुधारूंगा?


धीरे-धीरे ये notebook उसका success tracker बन गई।


“तुम भी सोचते हो — ‘मैं तो 8 घंटे पढ़ता हूँ।’

लेकिन क्या तुम हर दिन उसी concept पर फँसे हो?

क्या तुमने कभी अपने weak point को face किया है?”


मेहनत करो… पर smart तरीके से।

Grit वाले लोग खुद को रोज़ uncomfortable करते हैं — ताकि improvement हो सके।


 “अब मैं सिर्फ पसीना नहीं बहाता… मैं दिमाग भी लगाता हूँ”

Vinay ने अपने study table पर एक line लिख दी थी:


“Don’t just work hard. Work better.

रात के 1:17 बजे

Vinay table पर झुका बैठा था। आँखें लाल हो चुकी थीं, दिमाग सुन्न।


Physics का एक सवाल पिछले दो घंटे से सुलझ नहीं रहा था।


उसने pen फेंका, माथा पकड़ लिया —


“क्यों कर रहा हूँ मैं ये सब?”

“क्या सच में मैं इस लायक हूँ?”

“क्या वाकई में IIT जाने से ज़िंदगी बदल जाएगी?”


एक गहरी चुप्पी थी कमरे में... और उससे भी गहरी बेचैनी उसके अंदर।


उसे याद आया —

वो दिन जब उसके पापा खेत से लौटे थे…

कंधे झुके हुए थे, कपड़े गीले पसीने से… और हाथ में सिर्फ 240 रुपये।


वो जानते थे कि अगले दिन Vinay की coaching fee जमा करनी है।


Vinay ने कहा था,


“पापा, रहने दो इस बार। मैं YouTube से पढ़ लूंगा।”


लेकिन पापा ने बस एक बात कही थी:


“बेटा, तू किताबों से लड़… खेतों से नहीं।”


उस दिन पहली बार Vinay ने देखा था —

उसके पापा एक warrior हैं… पर अब चाहते हैं कि उनका बेटा मैदान बदले।


🌌 Angela Duckworth लिखती हैं:

“Grit deepens when your work becomes about something bigger than yourself.”


Vinay को समझ आ गया था —

अब यह उसके marks की लड़ाई नहीं है।

अब ये उसके पापा की उम्मीदों की लड़ाई है।

उस गाँव की लड़ाई है, जहाँ हर साल सिर्फ एक बच्चा college तक पहुँच पाता है।


अब ये mission है —

“मैं अगर succeed करता हूँ, तो कई और बच्चे विश्वास करेंगे कि वो भी कर सकते हैं।”


🧠 Vinay ने Study Table पर एक फोटो चिपका दी

पापा की…

जिसमें उनकी आँखों में थकावट थी — लेकिन उम्मीद भी थी।


हर बार जब Vinay थकता, जब उसे लगता “बस अब और नहीं”…

वो उस फोटो को देखता और खुद से कहता:


“अब ये सिर्फ मेरी जीत नहीं है — ये सबकी उम्मीद है।”


“क्या तुम भी सिर्फ rank के लिए पढ़ रहे हो?

क्या तुम्हारे पास भी कोई mission है, कोई वजह जो तुम्हें उठाए जब तुम्हारा मन हार मान ले?”


याद रखो — सबसे बड़ी grit वहां पैदा होती है, जहाँ इंसान अपने लिए नहीं… किसी और के लिए लड़ रहा हो।


अब Vinay की grit level-up हो चुकी थी।

उसने अपने diary में लिखा:


“अब मैं नहीं रुकूंगा — क्योंकि अब मैं सिर्फ अपने लिए नहीं पढ़ता।”


एक हफ्ता बचा था scholarship test के लिए।


Vinay हर दिन 12 घंटे की तैयारी कर रहा था।

हर टॉपिक, हर weak area को वो grind कर चुका था।


लेकिन जिस दिन mock test हुआ…

Result आया: सिर्फ 41%


वो टूट गया।


😢 “Main Aur Kya Karun?”

उस रात Vinay खामोश बैठा था।

Phone पर scroll करते हुए उसे एक पुराना video मिल गया —

जिसमें वो अपनी पहली day-1 vlog बना रहा था — चश्मा तिरछा, आवाज़ कांपती हुई।


उसने देखा, तब भी वो डर रहा था… लेकिन हँस भी रहा था।

और फिर याद आया —

पापा की वो लाइन:


“बेटा, हार तब माननी चाहिए जब दिल भी कहे कि अब कुछ नहीं बचा।”


लेकिन Vinay का दिल अब भी कह रहा था —

“खेल खत्म नहीं हुआ है।”


📘 Angela Duckworth कहती हैं:

“Grit is not about being cheerful all the time.

It’s about standing back up after every fall and saying — ‘I’m not done yet.’”


💪 Vinay का नया मंत्र: “Girna allowed hai… rukna nahi”

अगले दिन उसने एक paper पर bold letters में लिखा:


“I won’t quit.”

और उसे अपने ceiling पर चिपका दिया — ताकि सुबह आंख खुले तो सबसे पहले वही दिखे।


Vinay ने समझ लिया था —

Hope का मतलब सिर्फ positive सोचना नहीं होता।


Hope का मतलब होता है — हर बार गिरकर भी उठते रहना।


अब वो हर failure को feedback की तरह लेता,

हर setback में next step देखता।


“तुम भी जब बार-बार fail होते हो… क्या खुद को खत्म मान लेते हो?”

“क्या तुमने कभी सोचा कि शायद जीतने वाले लोग भी रोज़ हारते हैं — लेकिन फर्क ये है कि वो रुकते नहीं?”


याद रखो —

Hope का मतलब यह नहीं कि सब अच्छा होगा,

बल्कि ये भरोसा कि मैं तब भी आगे बढ़ूंगा जब कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा होगा।


Vinay ने अपनी diary में लिखा:


“ये ज़रूरी नहीं कि मैं आज जीत जाऊँ,

लेकिन ये ज़रूरी है कि मैं आज भी लड़ता रहूँ।”


अब वो लड़ाई डर के खिलाफ नहीं, खुद से हारने के डर के खिलाफ थी।


Vinay library में बैठा था।

पास में बैठा एक लड़का — Ayush — हर सवाल का जवाब दे रहा था।

हर chapter उस जैसे फटाफट याद हो जाता था।


Vinay का confidence फिर डगमगाया।


“शायद मैं उस जैसा तेज नहीं हूँ…”

“शायद ये उसके लिए बना है, मेरे लिए नहीं…”


लेकिन तभी उसे याद आया —

उसके खुद के पुराने doubt:

“Physics नहीं आएगा…”

और आज वही उसका सबसे strong subject है।


📘 Angela Duckworth कहती हैं:

“Grit isn’t something you’re born with.

It’s something you learn.”


Vinay समझ गया —

Ayush शायद तेज है, लेकिन अगर मैं हर दिन practice कर रहा हूँ,

हर failure को dissect कर रहा हूँ,

तो मैं भी Ayush को पीछे छोड़ सकता हूँ — बस थोड़ा देर से।


Vinay ने एक sticky note पर लिखा:


“Main Aaj Jo Hoon, Kal Usse Behtar Ban Sakta Hoon”


और ये उसके mind का wallpaper बन गया।


अब अगर किसी test में कम score आता —

तो वो खुद से कहता:


“This is not who I am.

This is just where I am today.”


🧠 Angela कहती हैं:

“Role models से inspiration लो, लेकिन compare मत करो।”

“हर fail एक data point है — एक feedback है — एक direction है।”


Vinay अब YouTube पर उन लोगों की कहानी सुनता जो fail होकर भी आगे बढ़े।

IAS बनने से पहले reject हुए,

NEET 5 बार में clear किया,

IIT 4 साल drop किया…


अब वो comparison से नहीं, inspiration से सीख रहा था।


“क्या तुमने कभी खुद को कहा है — ‘मैं ऐसा ही हूँ’?”

“क्या तुम मान बैठे हो कि तुममें grit नहीं है?”


तो याद रखो —

Grit सीखी जाती है।

हर इंसान के अंदर potential होता है उसे develop करने का —

बस ज़रूरत है “सीखने की आग” और “खुद से मिलने की हिम्मत” की।


Vinay अब डरता नहीं था fail होने से —

अब डरता था सीखना बंद कर देने से।


“Grit is not born in blood — it is built in belief.”


Test के ठीक दो दिन पहले —

Vinay mentally टूट चुका था।

पिछले हफ्ते की थकावट, syllabus का प्रेशर और mock results — सब कुछ उसे खा रहा था।


वो फोन उठाकर पापा को कॉल करता है — पहली बार खुद से नहीं, दिल से।


“पापा, लग नहीं रहा clear होगा…

सब मुझसे आगे हैं, मैं बहुत पीछे छूट गया हूँ।”


थोड़ी देर फोन पर खामोशी थी…

और फिर पापा ने कहा:


“तो क्या हुआ? पीछे रह कर चलना छोड़ देगा?”

“तू हारने से डर रहा है या लड़ने से थक गया है?”

“बेटा, तू ये लड़ाई खुद के लिए नहीं लड़ रहा — हम सब के लिए लड़ रहा है।”


Vinay की आँखों में आँसू आ गए —

लेकिन इस बार डर से नहीं… हौसले से।


📘 Angela Duckworth इस बारे में लिखती हैं:

“Grit develops in supportive yet demanding environments.”

“जब कोई आपसे उम्मीद करता है और उसी समय आपको सपोर्ट भी करता है — वहाँ Grit पनपती है।”


Vinay के पापा सिर्फ motivate नहीं करते थे —

वो challenge भी करते थे।

वो कहते थे:


“तेरे सपनों की कीमत हम चुका रहे हैं… तू मेहनत से चुका।”


Coaching में एक teacher था — Mr. Prashant।

सख्त थे, लेकिन Vinay की कमजोरी को पहचान गए थे।


हर हफ्ते Vinay को बुलाते —

उससे tough सवाल पूछते।

कभी-कभी डाँटते भी।


एक दिन Vinay ने पूछ ही लिया:


“Sir, आप मुझसे इतना expect क्यों करते हैं?”


Prashant Sir ने कहा:


“क्योंकि मुझे पता है तू कर सकता है।

अगर तू fail करेगा तो मुझे दुख नहीं होगा…

लेकिन अगर तू try करना छोड़ देगा — तब अफ़सोस होगा।”


🔥 Vinay को समझ आ गया:

Grit अंदर से आती है, लेकिन उसे बाहर की कुछ आवाज़ें मजबूत बनाती हैं।

और वो आवाज़ें होती हैं —

माँ-पापा की उम्मीदें और Mentors की सख्ती।


“क्या तुम्हारे जीवन में कोई ऐसा है जिसने तुमसे कहा हो —

‘तू कर सकता है, बस रुक मत?’”


“क्या तुमने उनकी बातों को सुना है, या ignore कर दिया ये सोचकर कि वो तो बस बातें कर रहे हैं?”


👉 सच ये है —

कई बार हमारी grit हमसे नहीं, उन लोगों से आती है जो हमें टूटते हुए देखकर भी हमें छोड़ते नहीं।


Vinay अब तैयार था…

Mentally, emotionally, spiritually.


अब ये उसके हाथ में किताबें नहीं थीं —

अब उसके हाथ में भरोसा था… खुद पर, और उन पर जिन्होंने उसमें भरोसा रखा।


Vinay अब final test से ठीक एक रात पहले, library में था।

पूरा syllabus revise हो चुका था।

अब सिर्फ शांति चाहिए थी…

लेकिन तभी उसकी नजर चार लड़कों पर गई —


चारों देर रात तक पढ़ रहे थे,

revision कर रहे थे,

एक-दूसरे को questions पूछ रहे थे।


उन्हीं में से एक लड़का — Yash — Vinay के पास आया:


“Bhai, तेरे पास वो formula sheet है क्या? Tension मत लेना, हम सब clear करेंगे इस बार।”


Vinay को कुछ समझ नहीं आया…

जब सारी दुनिया उसे पीछे छोड़ती थी, ये लोग उसे अपने साथ खींच रहे थे।


📘 Angela Duckworth लिखती हैं:

“Grit isn’t just an individual trait — it’s cultural.”

“Surround yourself with gritty people, and you’ll act gritty too.”


Vinay अब समझ गया कि अकेले grit बनाने की कोशिश करना ज़रूरी है —

लेकिन gritty culture में रहना, उसे बनाए रखने का तरीका है।


अब Vinay रोज़ उनके साथ बैठता,

उनके साथ doubts discuss करता,

late-night group study करता — लेकिन सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं…

energy absorb करने के लिए।


जब कोई हार मानता —

दूसरा कहता: “बैठ, समझा देते हैं।”

जब किसी का test बिगड़ता —

तीसरा कहता: “अगली बार, better करेंगे।”


Vinay को लगने लगा,


“मैं अकेला नहीं लड़ रहा… अब ये लड़ाई हमारी है।”


"अगर आप उन 5 लोगों के बीच रहो जो हर छोटी बात पर हार मान लेते हैं —

तो आप भी हारना सीख जाओगे।"


"लेकिन अगर आप उन 5 लोगों के बीच रहो जो गिरकर भी मुस्कुराते हैं —

तो आप भी लड़ना सीख जाओगे।"


“क्या तुम्हारे आस-पास ऐसे लोग हैं जो तुम्हारी आग को बुझा देते हैं?”

“या ऐसे लोग हैं जो तुम्हें खुद पर भरोसा दिलाते हैं?”


👉 याद रखो,

आपका grit आपका asset है —

लेकिन आपका circle, आपका environment… वो उसका firewall है।


Vinay अब अकेला fighter नहीं था —

अब वो एक gritty culture का हिस्सा बन चुका था।

और उस culture ने उसे push किया उस दिन, उस exam hall में…

जहाँ वो डर के साथ नहीं,

भरोसे के साथ गया।


“क्योंकि मेरे जैसे चार और हैं… और हम सब लड़ते हैं — जब तक जीत ना जाएं।”


Test खत्म हो चुका था।

Vinay exam hall से निकला तो न उसके चेहरे पर खुशी थी, न डर —

बस एक अजीब-सी शांति।


दोस्तों ने पूछा:


“कैसा गया?”

उसने मुस्कुरा कर कहा:

“अब फर्क नहीं पड़ता… क्योंकि मैं रुकूंगा नहीं।”


🪞एक हफ्ते बाद – जब result आया

हाँ, Vinay clear कर गया था।

लेकिन असली जीत वो नहीं थी।

वो तो बस एक check-point था।


उस दिन रात को, उसने पहली बार अपनी diary में लिखा —


“अब मैं एक ऐसी कहानी बनाना चाहता हूँ,

जिसे कोई और पढ़े…

और कहे — मैं भी लड़ सकता हूँ।”


🧠 Angela Duckworth के आखिरी chapter में लिखा है:

“Grit वाले लोग अपने छोटे goals को किसी बड़े goal से जोड़ते हैं।”

“वो सिर्फ आज के लिए नहीं लड़ते… वो किसी mission के लिए लड़ते हैं।”


और इसी तरह Vinay ने अपने अंदर के writer को जगाया।


🧩 Goal Hierarchy: Vinay की नज़रों से

🪜 Top Goal: एक ऐसी किताब लिखना, जो youth को बदल दे।


🔁 Mid Goal: हर हफ्ते एक blog, एक short story।


📆 Low Goal: रोज़ 1 घंटा लिखना — चाहे जैसे भी हो।


अब वो हर दिन keyboard खोलता था…

कभी थका होता था, कभी inspired —

लेकिन एक चीज़ fix थी —

वो रुका नहीं।


“तुम हर दिन क्या करते हो?”

“क्या वो किसी बड़े सपने से जुड़ा है — या बस बीत रहा है?”


👉 याद रखो —

जिस दिन तुम्हारा सबसे छोटा goal भी किसी बड़े मकसद से जुड़ जाता है,

उसी दिन grit तुम्हारा lifestyle बन जाती है।


अब Vinay किसी exam के लिए नहीं पढ़ रहा था।

अब वो खुद को sharpen कर रहा था —

एक बड़ा काम करने के लिए।


उसने एक quote अपनी wall पर चिपका दी:


"एक इंसान जो रुकेगा नहीं —

दुनिया की कोई ताकत उसे हरा नहीं सकती।"



और यही वो कहानी है जो हर उस बच्चे की है,

जो खुद से नहीं, हालात से हारता है…

लेकिन एक दिन खुद को जीता हुआ पाता है।


"अगर आप यहाँ तक सुन चुके हैं, तो मुझे यकीन है कि ये कहानी आपके दिल को ज़रूर छू गई होगी। अगर आपको ये वीडियो पसंद आया हो, तो इसे लाइक ज़रूर करें।


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अब मिलते हैं अगली किताब की कहानी में, एक नए सफ़र के साथ। तब तक अपना ख़याल रखें।


और हाँ, कॉमेंट करके ज़रूर बताएं कि इस कहानी की कौन सी बात आपके दिल को सबसे ज़्यादा छू गई।


मैं हूँ आपका दोस्त — अनिल सहारण।"



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