The Art of Risk By Richard Harris Book Summary in Hindi Leadership और Creativity सीखें

 "स्वागत है आप सभी का, जहाँ हर दिन नई सीख और प्रेरणा मिलती है। मैं हूँ अनिल सहारण, और आज हम एक ऐसे सफर पर चलेंगे, जो आपकी जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकता है।"





आज हम रिचर्ड हैरिस की किताब "द आर्ट ऑफ रिच" के साथ निलुफ़ा की कहानी लिखेंगे। निलुफ़ा एक बड़ी कंपनी में एक अच्छी पोस्ट पर काम करती है और अपने काम से बेहद प्यार करती है। उसे किताबें पढ़ना ज़्यादा पसंद नहीं है, लेकिन उसके बेस्ट फ्रेंड ने उसे यह किताब पढ़ने के लिए दी। निलुफ़ा ने किताब घर में रख दी और उसे पढ़ने की तरफ ज़्यादा ध्यान नहीं दिया।


एक दिन जब वह अपने घर की सफाई कर रही थी, तो उसे यह किताब मिली। जैसे ही उसने किताब के कवर को देखा, उसमें किताब पढ़ने की इच्छा जागी। कवर पर एक आकर्षक चित्र था और शीर्षक ने उसकी जिज्ञासा को बढ़ा दिया। निलुफ़ा ने सोचा कि एक बार किताब पढ़कर देखना चाहिए।



जैसे ही निलुफ़ा ने किताब का पहला अध्याय पढ़ना शुरू किया, वह "जोखिम की परिभाषा और महत्व" के बारे में था। उसमें लिखा था कि जोखिम वह चीज़ है जो हमें अपने आराम क्षेत्र से बाहर ले जाती है। यह व्यक्तिगत और पेशेवर विकास के लिए आवश्यक है। जोखिम उठाना हमें नए अवसरों और अनुभवों के लिए तैयार करता है।


यह विचार निलुफ़ा के मन में गहराई से बैठ गया। उसने महसूस किया कि अपनी जिंदगी में वह कितनी बार सुरक्षित रास्ता चुनती रही है और नए अवसरों को अपनाने से बचती रही है। इस अध्याय ने उसे प्रेरित किया कि वह अपने जीवन में जोखिम उठाने से डरे नहीं, बल्कि इसे अपने विकास और सफलता का हिस्सा बनाए।


इस तरह निलुफ़ा ने "द आर्ट ऑफ रिच" को पढ़ना जारी रखा और उसमें लिखी बातों से प्रेरित होकर अपनी सोच और जीवनशैली में बदलाव लाने लगी। अब वह न केवल अपने काम से प्यार करती है, बल्कि नई चुनौतियों का सामना करने और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए भी तैयार है।


उसने सोचा कि अब वह अपने काम और व्यक्तिगत जीवन में सुरक्षित विकल्पों के बजाय उन अवसरों को भी अपनाएगी, जिनमें थोड़ा जोखिम हो। इसके बाद वह उत्सुकतापूर्वक अगले अध्याय की तरफ बढ़ी।


अगला अध्याय था "जोखिम लेने की मानसिकता।" नीलुफ़ा ने पढ़ना शुरू किया और उसमें लिखा था कि जोखिम लेने के लिए एक विशेष मानसिकता की आवश्यकता होती है। इसमें आत्मविश्वास, धैर्य और असफलता से सीखने की क्षमता जैसे गुण महत्वपूर्ण होते हैं। नीलुफ़ा ने सोचा कि क्या वह इन गुणों को अपने अंदर देखती है।


जैसे-जैसे वह पढ़ती गई, उसे समझ में आया कि जोखिम लेने का मतलब सिर्फ सफलता पाने का नहीं है, बल्कि हर असफलता से कुछ नया सीखना और आगे बढ़ना है। उसने महसूस किया कि आत्मविश्वास उसके अंदर है, लेकिन धैर्य और असफलता से सीखने की क्षमता को और अधिक विकसित करने की जरूरत है।


नीलुफ़ा ने सोचा कि अगर वह इन गुणों को अपनाएगी, तो वह न केवल अपने पेशेवर जीवन में बल्कि अपने व्यक्तिगत जीवन में भी बेहतर निर्णय ले सकेगी। उसने ठान लिया कि वह अब हर चुनौती को एक अवसर की तरह देखेगी और असफलताओं से घबराए बिना उनसे सीखते हुए आगे बढ़ेगी।


इस सोच के साथ, नीलुफ़ा ने अगले अध्याय की तरफ बढ़ने का निर्णय लिया, जिसमें और भी महत्वपूर्ण सबक छुपे हुए थे। वह अब इस किताब को केवल पढ़ नहीं रही थी, बल्कि उसमें बताए गए हर पाठ को अपने जीवन में उतारने के लिए तैयार थी।


नीलुफ़ा की सोच पर किताब का गहरा असर होने लगा था, और वह खुद भी यह महसूस कर रही थी। अब वह हर दिन अपने काम और जीवन के प्रति एक नए दृष्टिकोण के साथ देख रही थी। इस दौरान वह "जोखिम और इनाम का संतुलन" नामक तीसरे अध्याय पर पहुंच चुकी थी।


इस अध्याय में लिखा था, "हर जोखिम के साथ एक संभावित इनाम जुड़ा होता है। यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने फैसलों में जोखिम और इनाम का सही संतुलन बनाए रखें। बिना सोचे-समझे जोखिम उठाना हानिकारक हो सकता है।"


नीलुफ़ा ने तुरंत इस सिद्धांत को अपने ऑफिस के अनुभवों से जोड़कर देखना शुरू किया। पहले, जब भी ऑफिस में कोई नया प्रोजेक्ट आता था, वह सुरक्षित विकल्प चुनती थी, ताकि कोई गलती न हो। लेकिन अब उसने सोचना शुरू किया कि अगर वह थोड़ा जोखिम उठाए और नए प्रोजेक्ट्स में हिस्सा ले, तो उसे अधिक सीखने और आगे बढ़ने का मौका मिल सकता है।


एक दिन ऑफिस में एक बड़ा क्लाइंट प्रोजेक्ट आया, जिसे लेकर टीम में थोड़ी घबराहट थी। नीलुफ़ा ने अपने पुराने डर को पीछे छोड़ते हुए आगे बढ़कर यह प्रोजेक्ट अपने हाथ में लिया। उसने सोचा, "यह एक बड़ा जोखिम है, लेकिन अगर मैं इसे सफलतापूर्वक पूरा कर लूं, तो यह मेरे करियर के लिए एक बड़ा इनाम होगा।"


प्रोजेक्ट के दौरान कई चुनौतियाँ आईं, लेकिन नीलुफ़ा ने अपने नए सीखे हुए सबक का इस्तेमाल किया। उसने टीम के साथ मिलकर योजनाबद्ध तरीके से काम किया, हर संभावित जोखिम का आकलन किया और सही फैसले लिए। प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक पूरा हुआ, और कंपनी को क्लाइंट से बहुत सराहना मिली।


इस अनुभव ने नीलुफ़ा को यह समझने में मदद की कि सही जोखिम उठाने और उनके संभावित इनाम को ध्यान में रखकर निर्णय लेना कितना महत्वपूर्ण है। उसने महसूस किया कि उसके फैसले अब ज्यादा सोच-समझकर और संतुलित हो गए हैं। ऑफिस में भी सबने उसकी इस नई सोच की तारीफ की और उसे अधिक जिम्मेदारियों के साथ नए प्रोजेक्ट्स देने लगे।



नीलुफ़ा ने जाना कि जीवन में हर जोखिम को तौलना और उसके इनाम को समझना ही असली सफलता की कुंजी है। अब वह हर दिन खुद को और अधिक आत्मविश्वासी और संतुलित महसूस कर रही थी।


नीलुफ़ा अब "द आर्ट ऑफ रिच" के चौथे अध्याय पर पहुँच चुकी थी, जिसका शीर्षक था "डर और असफलता का सामना।" उसने ध्यान से पढ़ना शुरू किया और उसमें लिखा था, "जोखिम लेने का मतलब है डर और असफलता का सामना करना। असफलता को एक सीखने के अनुभव के रूप में देखना चाहिए। डर को हमें रोकने के बजाय प्रेरित करना चाहिए।"


यह पढ़कर नीलुफ़ा ने सोचा कि उसकी ज़िंदगी में कितनी बार उसने डर के कारण अच्छे अवसरों को गंवाया है। पहले जब भी उसे कोई मुश्किल या अनिश्चित काम मिलता था, तो वह डर जाती थी और पीछे हट जाती थी। लेकिन अब इस अध्याय ने उसे एक नई दृष्टि दी थी—कि डर को एक प्रेरणा के रूप में देखा जा सकता है, न कि एक रुकावट के रूप में।


ऑफिस में एक हालिया अनुभव उसकी आंखों के सामने आया। एक महत्वपूर्ण प्रेजेंटेशन उसे देना था, लेकिन वह हमेशा से पब्लिक स्पीकिंग से डरती थी। पहले वह इस तरह की जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश करती थी, लेकिन इस बार उसने अपने डर का सामना करने का फैसला किया। उसने खुद से कहा, "यह डर मुझे रोकने के बजाय मुझे बेहतर करने के लिए प्रेरित करेगा।"


प्रेजेंटेशन की तैयारी के दौरान, उसने पूरी मेहनत की और असफलता के डर को अपने दिमाग से निकाल दिया। प्रेजेंटेशन के दिन, जब उसने स्टेज पर कदम रखा, तो उसे थोड़ी घबराहट जरूर हुई, लेकिन उसने अपने डर को अपने आत्मविश्वास में बदल दिया। परिणामस्वरूप, उसकी प्रेजेंटेशन सफल रही और सभी ने उसकी प्रशंसा की।


इस अनुभव ने नीलुफ़ा को यह सिखाया कि असफलता से डरने के बजाय उसे एक सीखने का मौका मानना चाहिए। उसने महसूस किया कि डर हमेशा रहेगा, लेकिन हमें इसे अपने नियंत्रण में रखना चाहिए और इसे अपनी प्रेरणा का स्रोत बनाना चाहिए।


इस अध्याय के बाद, नीलुफ़ा की सोच और भी मजबूत हो गई। वह जान गई थी कि असफलता से घबराने की बजाय उसे अपनाना चाहिए और उससे सीखते हुए आगे बढ़ना चाहिए।


नीलुफ़ा अब "द आर्ट ऑफ रिच" के पांचवें अध्याय पर पहुँच चुकी थी, जिसका शीर्षक था "जोखिम प्रबंधन।" उसने पढ़ना शुरू किया और उसमें लिखा था, "सफल लोग अपने जोखिमों का प्रबंधन करना जानते हैं। इसमें जोखिम की पहचान, मूल्यांकन और उसे कम करने की योजना शामिल है। यह प्रक्रिया हमें बेहतर निर्णय लेने में मदद करती है।"


यह पाठ नीलुफ़ा के लिए बेहद महत्वपूर्ण था, क्योंकि उसने महसूस किया कि अब वह केवल जोखिम लेने के बारे में नहीं सोच रही थी, बल्कि उन्हें सही तरीके से प्रबंधित करने की ओर कदम बढ़ा रही थी। उसने समझा कि हर जोखिम को केवल उठाना ही नहीं, बल्कि उसे समझदारी से संभालना भी जरूरी है।


ऑफिस में एक बार फिर से एक बड़ा प्रोजेक्ट आया, जिसमें बहुत सी अनिश्चितताएँ थीं। पहले, नीलुफ़ा केवल अपने आत्मविश्वास के सहारे इसे संभालती, लेकिन अब उसने अपनी नई सीख को लागू किया। उसने पहले प्रोजेक्ट के हर पहलू का गहराई से मूल्यांकन किया, संभावित जोखिमों की पहचान की और उनकी योजना बनाई कि उन जोखिमों को कैसे कम किया जा सकता है।


उसने अपने टीम के साथ मिलकर एक रणनीति बनाई, जिसमें हर कदम पर ध्यान दिया गया। उन्होंने संभावित समस्याओं के लिए बैकअप प्लान तैयार किए और नियमित रूप से प्रोजेक्ट की प्रगति की समीक्षा की। इस बार न केवल प्रोजेक्ट सफल रहा, बल्कि पूरी टीम ने नीलुफ़ा की सूझबूझ और प्रबंधन कौशल की तारीफ की।


नीलुफ़ा को यह देखकर खुशी हुई कि उसके ऑफिस के लोग उसके इस बदलाव से आश्चर्यचकित थे। पहले जहां वह केवल बातचीत में अच्छी मानी जाती थी, अब वह अपने प्रोजेक्ट प्रबंधन और जोखिम संभालने की क्षमताओं के लिए भी सराही जा रही थी।


उसने महसूस किया कि सही जोखिम प्रबंधन न केवल उसे बेहतर निर्णय लेने में मदद कर रहा था, बल्कि उसकी टीम और कंपनी के लिए भी फायदेमंद साबित हो रहा था। नीलुफ़ा अब समझ चुकी थी कि सफल होने के लिए जोखिम उठाने के साथ-साथ उनका सही प्रबंधन करना भी कितना जरूरी है। यह नई सोच उसे हर दिन और बेहतर बना रही थी,


नीलुफ़ा के जीवन में हो रहे बदलावों को उसकी बड़ी बहन ने भी नोटिस किया। नीलुफ़ा पहले से कहीं ज्यादा आत्मविश्वासी, संगठित और सकारात्मक लग रही थी। एक दिन, जब वे दोनों बैठी थीं, उसकी बहन ने उससे पूछा, "नीलुफ़ा, तुममें ये बदलाव कैसे आ रहे हैं? तुम पहले से बहुत अलग और बेहतर लग रही हो।"


नीलुफ़ा मुस्कुराई और अपनी बहन को बताया कि यह सब एक किताब की वजह से हो रहा है। उसने "द आर्ट ऑफ रिच" के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि इस किताब ने उसकी सोच और जीवन के प्रति नजरिया बदल दिया है।


उसने अपनी बहन को यह भी बताया कि वह अभी छठे अध्याय "जोखिम और नवाचार" पर पहुंची है। उसने पढ़ना शुरू किया और उसमें लिखा था, "नवाचार के लिए जोखिम लेना आवश्यक है। बिना जोखिम के, नए विचार और आविष्कार असंभव हैं। जो लोग जोखिम लेते हैं, वे दुनिया में बदलाव लाने में सक्षम होते हैं।"


यह पढ़कर नीलुफ़ा ने सोचा कि ऑफिस में भी कई बार उसे नए विचारों को अपनाने से डर लगता था, क्योंकि वह असफलता से बचना चाहती थी। लेकिन अब उसने समझ लिया था कि नवाचार के लिए जोखिम उठाना जरूरी है।


उसने अपनी बहन से कहा, "इस किताब ने मुझे सिखाया है कि अगर हम कुछ नया करना चाहते हैं, तो हमें जोखिम उठाने से डरना नहीं चाहिए। हर नया विचार एक मौका है कुछ बड़ा करने का।"


ऑफिस में भी नीलुफ़ा ने इस सोच को अपनाया। एक मीटिंग में जब टीम नए प्रोडक्ट के विचारों पर चर्चा कर रही थी, तो नीलुफ़ा ने अपने कुछ अनोखे और नए विचार प्रस्तुत किए। पहले वह शायद इसे करने से कतराती, लेकिन अब वह जानती थी कि बिना जोखिम उठाए, कोई बड़ा बदलाव नहीं आ सकता।


उसके विचारों को टीम ने सराहा और उन पर काम करने का फैसला लिया। कुछ महीनों बाद, उन विचारों से कंपनी को बड़ी सफलता मिली। नीलुफ़ा को यह देखकर गर्व हुआ कि उसने अपने डर को पीछे छोड़ते हुए नवाचार के लिए जोखिम उठाया और उसका परिणाम सकारात्मक रहा।


नीलुफ़ा की बहन ने भी उसके बदलावों को देखकर प्रेरणा ली और कहा, "तुम्हारे बदलाव से मैं भी सीख रही हूं। यह सच में अद्भुत है कि एक किताब ने तुम्हें इतना बदल दिया है।"


इस तरह, नीलुफ़ा का जीवन अब केवल बेहतर ही नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन गया था।


नीलुफ़ा अब "द आर्ट ऑफ रिच" के सातवें अध्याय पर पहुँच चुकी थी, जिसका शीर्षक था "सामाजिक जोखिम।" उसने अकेले बैठकर यह अध्याय पढ़ना शुरू किया और उसमें लिखा था, "सामाजिक जोखिम लेने का मतलब है अपने विचारों और विश्वासों को व्यक्त करना, भले ही वे लोकप्रिय न हों। यह व्यक्तिगत और सामाजिक बदलाव के लिए महत्वपूर्ण है।"


नीलुफ़ा ने इस पर गहराई से सोचना शुरू किया। उसने महसूस किया कि अपने जीवन में कई बार उसने समाज के डर से अपने विचारों को दबा दिया था। कई बार ऑफिस में भी वह ऐसे मुद्दों पर चुप रही थी, जिन पर वह अपनी राय देना चाहती थी, क्योंकि उसे डर था कि उसकी राय दूसरों को पसंद नहीं आएगी या वह अकेली पड़ जाएगी।


यह सोचते हुए नीलुफ़ा अपनी पुरानी गलतियों को याद करने लगी। उसने सोचा कि कैसे कई बार वह अपने विचारों को व्यक्त करने से कतराती रही, चाहे वे कितने ही सही क्यों न हों। उसने महसूस किया कि अगर वह पहले सामाजिक जोखिम लेने का साहस दिखाती, तो शायद कई चीजें अलग होतीं।


इस नए सबक से प्रेरित होकर, नीलुफ़ा ने ठान लिया कि अब वह अपने विचारों को खुलकर व्यक्त करेगी, चाहे वे लोकप्रिय हों या नहीं। अगले ही दिन ऑफिस में एक मीटिंग के दौरान एक अहम मुद्दे पर चर्चा हो रही थी। यह एक संवेदनशील विषय था, और नीलुफ़ा को पता था कि उसकी राय टीम के बाकी सदस्यों से अलग हो सकती है।


पहले शायद वह चुप रहती, लेकिन इस बार उसने अपनी राय खुलकर व्यक्त की। उसने टीम के सामने अपने विचार रखे, यह जानते हुए कि यह एक सामाजिक जोखिम है। आश्चर्यजनक रूप से, उसकी राय ने कई लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया और अंततः टीम ने उसके सुझाव को अपनाया।


यह अनुभव नीलुफ़ा के लिए एक बड़ा बदलाव था। उसने महसूस किया कि सामाजिक जोखिम लेना न केवल उसके लिए बल्कि उसके आसपास के लोगों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। अब वह अपने विचारों और विश्वासों को व्यक्त करने में हिचकिचाती नहीं थी।


नीलुफ़ा की इस नई सोच और साहस को देखकर ऑफिस के लोग भी उसकी सराहना करने लगे। उसने खुद को और अधिक आत्मविश्वासी और साहसी महसूस किया। यह नया पाठ उसे सिखा चुका था कि कभी-कभी सामाजिक बदलाव के लिए जोखिम लेना जरूरी होता है, और यही जोखिम व्यक्तिगत विकास का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।


नीलुफ़ा अब "द आर्ट ऑफ रिच" के आठवें अध्याय पर पहुँच चुकी थी, जिसका शीर्षक था "जोखिम लेने की व्यक्तिगत कहानियाँ।" इस अध्याय में विभिन्न लोगों की कहानियाँ साझा की गई थीं, जिन्होंने अपने जीवन में बड़े जोखिम उठाए और सफलता पाई। इन कहानियों को पढ़ते हुए नीलुफ़ा को एहसास हुआ कि जोखिम लेना न केवल संभव है, बल्कि इससे जीवन में बड़ी उपलब्धियाँ भी हासिल की जा सकती हैं।


पहली कहानी एक छोटे से गाँव के एक व्यक्ति की थी, जिसने अपनी नौकरी छोड़कर एक नया बिजनेस शुरू किया। शुरुआती असफलताओं के बावजूद, उसने हार नहीं मानी और अपने बिजनेस को एक बड़े ब्रांड में बदल दिया। दूसरी कहानी एक महिला की थी, जिसने अपनी सुरक्षित नौकरी छोड़कर अपनी पैशन को फॉलो किया और आज वह एक प्रसिद्ध कलाकार बन गई थी।


नीलुफ़ा ने इन कहानियों को पढ़ते हुए महसूस किया कि सभी ने अपने-अपने जीवन में किसी न किसी प्रकार का बड़ा जोखिम उठाया था। उन्होंने अपनी सुरक्षित और आरामदायक स्थिति को छोड़कर अनिश्चितताओं को अपनाया और अंततः बड़ी सफलताएँ पाईं।


यह अध्याय नीलुफ़ा को गहराई से प्रेरित कर रहा था। उसने सोचा कि वह भी अपने जीवन में छोटे-बड़े जोखिम लेकर कुछ नया और बड़ा कर सकती है। उसने अपने पुराने जीवन के बारे में सोचा, जहाँ वह हमेशा सुरक्षित विकल्प चुनती थी और कभी भी अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर नहीं निकलती थी। लेकिन अब उसकी सोच बदल चुकी थी।



नीलुफ़ा ने ठान लिया कि वह भी अपने जीवन में नए अवसरों का स्वागत करेगी, चाहे उनमें कितना भी जोखिम क्यों न हो। उसने सोचा, "अगर ये लोग अपने डर और असफलताओं को पीछे छोड़कर सफल हो सकते हैं, तो मैं क्यों नहीं?"


इस सोच के साथ, नीलुफ़ा ने अपनी ज़िंदगी के हर पहलू में जोखिम लेने का साहस दिखाने का फैसला किया। उसने महसूस किया कि जोखिम ही उसे उस मुकाम तक ले जाएगा, जहाँ वह अपने सपनों को हकीकत में बदल सकेगी।


नीलुफ़ा अब "द आर्ट ऑफ रिच" के अगले अध्याय पर पहुँच गई थी, जिसका शीर्षक था "जोखिम लेने के लाभ।" इस अध्याय में उसने पढ़ा, "जोखिम लेने के कई फायदे हैं, जैसे आत्मविश्वास में वृद्धि, नई क्षमताओं का विकास, और बेहतर निर्णय लेने की क्षमता। यह हमें अपनी सीमाओं को बढ़ाने में मदद करता है।"


यह पढ़कर नीलुफ़ा ने अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ पर गौर किया। उसने देखा कि जब से उसने जोखिम उठाने शुरू किए थे, तब से उसकी ज़िंदगी में कई सकारात्मक बदलाव आए थे।


पहले, नीलुफ़ा हमेशा अपने फैसलों में सतर्क रहती थी। लेकिन अब वह नए अनुभवों को अपनाने के लिए तैयार थी। उसने कुछ नई हॉबीज़ शुरू कीं, जैसे ट्रेकिंग और पेंटिंग, जिनसे उसे अपनी सीमाओं को और आगे बढ़ाने का मौका मिला। आत्मविश्वास में वृद्धि के कारण अब वह अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुलकर अपने विचार साझा करती थी। उसकी पर्सनल लाइफ में एक नया जोश और उत्साह आ गया था।


ऑफिस में भी नीलुफ़ा की मेहनत और साहस रंग ला रहे थे। उसने अपने काम में नई-नई रणनीतियाँ अपनाईं, जिनसे उसे सफलता मिली। उसके बेहतर निर्णय लेने की क्षमता ने उसे टीम में एक लीडर की तरह उभारा। अब उसके सहकर्मी भी उसकी सलाह लेने लगे थे, और उसकी मेहनत के कारण उसे प्रमोशन भी मिला।


नीलुफ़ा ने महसूस किया कि जोखिम लेने से उसे आत्मविश्वास में बढ़ोतरी हुई है। जहाँ पहले वह कई चीजों से घबराती थी, अब वह आत्मविश्वास से भरी हुई थी। नई क्षमताओं का विकास भी उसके जीवन का हिस्सा बन गया था। उसने सीखा कि हर नया अनुभव उसे कुछ नया सिखाता है और उसकी स्किल्स को बेहतर बनाता है।


इस अध्याय ने नीलुफ़ा को यह सिखाया कि जोखिम लेना केवल सफलता के लिए जरूरी नहीं है, बल्कि यह हमारी खुद की सीमाओं को तोड़ने और जीवन में नई ऊँचाइयों तक पहुँचने का जरिया भी है। अब नीलुफ़ा को यकीन हो चुका था कि जोखिम लेना एक नई और बेहतर जिंदगी का रास्ता है।


नीलुफ़ा अब "द आर्ट ऑफ रिच" के अगले अध्याय, "जोखिम और नेतृत्व," पर पहुँच गई थी। इस अध्याय में उसने पढ़ा, "अच्छे नेता वे होते हैं जो जोखिम लेने से नहीं डरते। वे अपने निर्णयों में साहसी होते हैं और अपनी टीम को भी प्रेरित करते हैं कि वे भी अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलें।"


यह पढ़कर नीलुफ़ा ने अपने ऑफिस और रिश्तों में हुए बदलावों पर विचार किया।


नीलुफ़ा अब ऑफिस में एक प्रमुख भूमिका निभा रही थी। उसकी साहसिक सोच और जोखिम लेने की क्षमता ने उसे टीम का एक सफल नेता बना दिया था। वह अपने सहकर्मियों को भी प्रेरित कर रही थी कि वे नए विचारों और चुनौतियों को अपनाने से न डरें।


एक बार, ऑफिस में एक नया प्रोजेक्ट आया जो बेहद चुनौतीपूर्ण था। टीम में कई लोग इस प्रोजेक्ट को लेने से हिचकिचा रहे थे, लेकिन नीलुफ़ा ने आगे बढ़कर इसे स्वीकार किया। उसने अपनी टीम को भी प्रेरित किया कि वे अपने डर को पीछे छोड़कर इस प्रोजेक्ट में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की कोशिश करें।


उसके नेतृत्व में टीम ने न केवल प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक पूरा किया, बल्कि कंपनी के लिए एक बड़ी सफलता भी हासिल की। नीलुफ़ा की नेतृत्व क्षमता और जोखिम लेने की मानसिकता ने उसे टीम में एक आदर्श बना दिया था। अब टीम के सदस्य भी अपने विचारों को खुलकर व्यक्त करने और जोखिम उठाने में पीछे नहीं हटते थे।


अपने रिश्तों में भी नीलुफ़ा ने नेतृत्व की भूमिका निभाना शुरू कर दिया था। उसने अपने परिवार और दोस्तों के साथ अपने विचारों को साझा करने में संकोच करना छोड़ दिया था। वह अब अपने करीबी रिश्तों में भी साहसी और ईमानदार हो गई थी।


एक बार, जब उसके एक करीबी दोस्त को एक महत्वपूर्ण फैसले में मुश्किल हो रही थी, तो नीलुफ़ा ने उसे अपने अनुभव साझा किए। उसने अपने दोस्त को भी जोखिम लेने के फायदों के बारे में बताया और उसे अपने फैसले में आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद की।


नीलुफ़ा ने आखिरकार "द आर्ट ऑफ रिच" को पूरी तरह से पढ़ लिया था। यह उसकी जिंदगी में एक बड़ा मील का पत्थर था, क्योंकि यह पहली बार था जब उसने कोई किताब पूरी की थी। किताब पूरी करने की खुशी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी, लेकिन उसे एहसास हुआ कि असली सीख तो अब शुरू हुई है।


आखिरी अध्याय में उसने पढ़ा, "जोखिम लेने की कला को सीखने के लिए अभ्यास और अनुभव की आवश्यकता होती है। छोटे-छोटे जोखिम लेकर शुरू करें और धीरे-धीरे बड़े जोखिम लेने के लिए तैयार हों।"


नीलुफ़ा इस बात से बेहद खुश थी कि उसने किताब के हर पाठ को न केवल पढ़ा, बल्कि उसे अपने जीवन में उतारना भी शुरू कर दिया था। उसने महसूस किया कि वह अब पहले से कहीं ज्यादा आत्मविश्वासी और साहसी हो गई है।


आखिरी पाठ ने नीलुफ़ा को यह समझाया कि जोखिम लेने की कला एक दिन में नहीं आती। इसके लिए निरंतर अभ्यास और अनुभव की जरूरत होती है। उसने सोचा कि कैसे उसने छोटे-छोटे जोखिम लेकर शुरुआत की थी और अब वह बड़े फैसलों में भी साहस दिखा रही थी।


नीलुफ़ा ने ठान लिया कि वह इस आखिरी सबक को भी अपनी जिंदगी में उतारेगी। उसने यह तय किया कि वह अपने जीवन में छोटे-छोटे जोखिम उठाना जारी रखेगी, ताकि वह धीरे-धीरे और बड़े जोखिम लेने के लिए तैयार हो सके। उसने महसूस किया कि हर छोटा कदम उसे एक नई सीख और अनुभव प्रदान कर रहा है, जो उसे भविष्य में और भी मजबूत बनाएगा।


नीलुफ़ा ने खुद के लिए एक नई योजना बनाई। वह जानती थी कि यह यात्रा यहीं खत्म नहीं होती। उसने तय किया कि वह नियमित रूप से अपने फैसलों का विश्लेषण करेगी, नए अनुभवों को अपनाएगी, और जोखिम लेने की अपनी क्षमता को लगातार बढ़ाएगी।


अब नीलुफ़ा के पास आत्मविश्वास की एक नई ऊँचाई थी। उसने यह महसूस किया कि जोखिम लेने की कला ने उसकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को पूरी तरह से बदल दिया है।


नीलुफ़ा के लिए यह किताब न केवल एक पढ़ाई का अनुभव था, बल्कि यह एक जीवन बदलने वाली यात्रा भी थी। उसने अपने जीवन में जो बदलाव किए थे, वे अब उसके रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन गए थे। अब वह जानती थी कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए साहसिक फैसले और जोखिम लेना कितना महत्वपूर्ण है।


नीलुफ़ा ने खुद से वादा किया कि वह इस सीख को हमेशा याद रखेगी और अपनी जिंदगी में आगे भी इसे अपनाती रहेगी। वह जानती थी कि यह सिर्फ एक किताब नहीं थी, बल्कि उसके जीवन की नई शुरुआत थी, जहाँ हर जोखिम उसे एक नई ऊँचाई तक ले जाएगा।




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