Rich Dad Poor Dad by Robert Kiyosaki | Book Summary in Hindi | अमीर बनने का सही तरीका
"क्या अमीर बनने के लिए अमीर घर में पैदा होना जरूरी है?"
"क्या सिर्फ अच्छी नौकरी करने से कोई करोड़पति बन सकता है?"
"या फिर पैसा कमाने का कोई सीक्रेट है जो अमीरों को पता होता है, लेकिन गरीबों को नहीं?"
आज हम जानेंगे वह सीक्रेट जो स्कूल में नहीं सिखाया जाता!
"Rich Dad Poor Dad by Robert Kiyosaki"—ये सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि अमीर बनने का फॉर्मूला है!
अगर आप भी पैसे की साइंस समझना चाहते हैं और अपनी लाइफ को फाइनेंशियली मजबूत बनाना चाहते हैं, तो इस वीडियो को पूरा देखें, क्योंकि आज की इस Hindi Book Summary में आपको वो सब मिलेगा, जो आपके पैसों की सोच को पूरी तरह बदल सकता है!
तो चलिए शुरू करते हैं!
मैं हूँ अनिल सहारण, और आप देख रहे हैं एक लाइफ-चेंजिंग वीडियो!
राजस्थान के एक छोटे से शहर में प्रदीप और मनोज नाम के दो दोस्त रहते थे। दोनों बचपन से ही साथ पढ़े, साथ खेले और साथ बड़े हुए। लेकिन उनके घरों का माहौल बिल्कुल अलग था।
प्रदीप के पापा की एक छोटी सी दुकान थी। वे हर दिन सुबह जल्दी उठकर अपनी दुकान खोलते और देर रात तक मेहनत करते। उन्होंने अपने बेटे को बचपन से यही सिखाया कि अगर जिंदगी में कुछ पाना है, तो मेहनत करो, काम करो और पैसे कमाओ।
मनोज के पापा एक सरकारी स्कूल में टीचर थे। वे हमेशा अपने बेटे को कहते—
"बेटा, अच्छे नंबर लाओ, अच्छी पढ़ाई करो, और फिर एक अच्छी सरकारी नौकरी पाकर जिंदगी सेट कर लो।"
दोनों दोस्त अपने-अपने पापा की बातें ध्यान से सुनते थे और उसी तरह सोचते थे। लेकिन एक दिन उनकी सोच को झकझोरने वाला एक मोड़ आया...
स्कूल के बाद एक दिन मनोज और प्रदीप पार्क में बैठे थे, तभी उनका सीनियर अर्जुन आया। अर्जुन उन लड़कों में से था जो हर वक्त नई-नई किताबें पढ़ता और सोचने के नए तरीके ढूंढता।
उस दिन उसके हाथ में एक किताब थी— "Rich Dad Poor Dad"।
मनोज ने हंसते हुए पूछा: "अब कौन-सी नई किताब ले आए हो अर्जुन?"
अर्जुन मुस्कुराया: "एक ऐसी किताब, जो तुम्हारी जिंदगी बदल सकती है!"
प्रदीप (किताब को उलट-पलटकर देखते हुए): "पर ये किताब है किस बारे में?"
अर्जुन: "ये किताब बताती है कि अमीर लोग और गरीब लोग पैसों के बारे में अलग तरीके से सोचते हैं। अगर तुम अभी से सही सोच अपनाओगे, तो जिंदगी में कभी पैसों की दिक्कत नहीं होगी!"
मनोज (हैरानी से): "सही सोच? पैसे कमाने के लिए अच्छी नौकरी चाहिए, बस!"
अर्जुन ने सिर हिलाया: "यही तो गलती है! नौकरी से सिर्फ पैसे कमाए जाते हैं, लेकिन अमीर लोग पैसा बनाते हैं।"
प्रदीप: "पैसा बनाते हैं? मतलब?"
अर्जुन (मुस्कुराते हुए): "यही तो इस किताब की सबसे बड़ी सीख है!"
मनोज और प्रदीप अभी भी उलझे हुए थे। पैसा कमाने और पैसा बनाने में क्या फर्क हो सकता है? अर्जुन ने देखा कि वे दोनों पूरी तरह से कंफ्यूज हो चुके हैं।
अर्जुन: "तुम दोनों मेरे साथ चलो।"
मनोज (हैरानी से): "कहाँ?"
अर्जुन: "बुक स्टोर!"
अर्जुन दोनों को पास की बुक शॉप पर ले गया। वहाँ जाकर उसने "Rich Dad Poor Dad" की दो कॉपियां खरीदीं और मनोज और प्रदीप को देते हुए कहा—
अर्जुन: "ये किताब तुम दोनों के लिए मेरी तरफ से गिफ्ट है। इसे पढ़ो, और फिर बताना कि क्या तुम्हारी सोच बदली या नहीं।"
प्रदीप (हिचकिचाते हुए): "पर हम इसे क्यों पढ़ें? हमें तो अभी पढ़ाई पर फोकस करना है।"
अर्जुन: "यही तो दिक्कत है! स्कूल हमें मैथ, साइंस और हिस्ट्री सिखाता है, लेकिन पैसे के बारे में कुछ नहीं सिखाता। अमीर लोग पैसों को समझते हैं, इसलिए वे और अमीर बनते जाते हैं। गरीब लोग बस पैसे के पीछे भागते रहते हैं, लेकिन असली खेल कुछ और है!"
मनोज (किताब के कवर को देखते हुए): "अगर ये सच में इतना ज़रूरी है, तो मैं इसे ज़रूर पढ़ूँगा!"
प्रदीप (थोड़ा सोचते हुए): "ठीक है, मैं भी पढ़ूँगा। लेकिन अगर ये बस एक और बोरिंग सेल्फ-हेल्प बुक निकली, तो फिर मैं अर्जुन से पैसे वापस लूँगा!"
अर्जुन (मुस्कुराते हुए): "डील! लेकिन यकीन मानो, जब तुम इस किताब को पढ़ोगे, तो तुम्हारी सोच हमेशा के लिए बदल जाएगी।"
अगले दिन स्कूल के बाद, मनोज और प्रदीप पार्क में मिले।
अर्जुन की दी हुई किताब को पढ़ने के बाद मनोज और प्रदीप की सोच में हलचल मच गई थी।
मनोज (उत्साहित होकर): "भाई, मैंने पहला चैप्टर पढ़ लिया! इसमें लिखा है कि "अमीर लोग पैसों के लिए काम नहीं करते!""
"भाई, इस किताब ने मेरी आँखें खोल दीं! इसमें साफ लिखा है— गरीब और मिडिल क्लास लोग पैसे के लिए काम करते हैं, लेकिन अमीर लोग पैसा अपने लिए काम करवाते हैं।"
प्रदीप (थोड़ा उलझते हुए): "लेकिन इसका क्या मतलब है? अगर हमें पैसे चाहिए, तो हमें काम तो करना ही पड़ेगा ना?"
मनोज (मुस्कुराते हुए): "बिल्कुल! लेकिन सोचो—हमारे पापा कैसे सोचते हैं?"
प्रदीप (सोचते हुए): "मेरे पापा हमेशा कहते हैं कि काम मेहनत से करो, बिजनेस बड़ा करो, पैसा खुद-ब-खुद आएगा।"
मनोज: "और मेरे पापा कहते हैं कि अच्छे नंबर लाओ, सरकारी नौकरी पाओ, और जिंदगी भर सुरक्षित रहो।"
प्रदीप: "तो इसमें गलत क्या है?"
मनोज: "गलत कुछ नहीं है, लेकिन यहाँ पर सोच का फर्क है! मेरे पापा मानते हैं कि सिर्फ नौकरी ही सुरक्षा देती है, जबकि तुम्हारे पापा बिजनेस में जोखिम उठाते हैं। और किताब में लिखा है कि अमीर लोग ना तो नौकरी के भरोसे रहते हैं, ना ही सिर्फ मेहनत पर। वे पैसा ऐसे लगाते हैं कि पैसा उनके लिए काम करे!"
प्रदीप: "मतलब?"
मनोज (उदाहरण देते हुए): "देखो, मेरे पापा की नौकरी की एक लिमिट है। वे चाहे जितनी मेहनत कर लें, उनकी सैलरी फिक्स है। लेकिन तुम्हारे पापा अगर अपना बिजनेस सही तरीके से बढ़ाएं, तो उनकी कमाई की कोई सीमा नहीं!"
प्रदीप (धीरे-धीरे समझते हुए): "तो अमीर लोग सीमित पैसे कमाने की जगह पैसा बनाने पर फोकस करते हैं?"
मनोज: "बिल्कुल! इसलिए वे पैसा इन्वेस्ट करते हैं, बिजनेस खड़ा करते हैं, और ऐसे सिस्टम बनाते हैं, जो उनके लिए पैसे कमाए।"
प्रदीप: "ओह… तो इसका मतलब ये नहीं कि अमीर लोग काम नहीं करते, बल्कि वे पैसा कमाने के तरीके अलग अपनाते हैं?"
मनोज (मुस्कुराते हुए): "बिल्कुल सही पकड़ा!"
अब तक दोनों की सोच बदल चुकी थी, लेकिन उनके रास्ते अलग थे।
प्रदीप का परिवार बिजनेस माइंडसेट रखता था, इसलिए उसके लिए "पैसा बनाने" वाली सोच अपनाना आसान था।
मनोज के घर में हमेशा "नौकरी की सुरक्षा" की बात हुई थी, इसलिए वह असमंजस में था।
मनोज के मन में सवाल उठने लगे—
"क्या सच में सिर्फ नौकरी पर निर्भर रहना सही है?"
"क्या मैं भी पैसा अपने लिए काम पर लगा सकता हूँ?"
अब तक प्रदीप और मनोज समझ चुके थे कि अमीर लोग पैसा अपने लिए काम करवाते हैं, लेकिन असली खेल यहीं खत्म नहीं होता था।
एक दिन, स्कूल के बाद दोनों फिर से पार्क में मिले।
प्रदीप (जोश में): "भाई, अब मैं समझ चुका हूँ! अगर मुझे अमीर बनना है, तो मुझे नौकरी के बजाय ऐसा कुछ करना होगा जिससे पैसा मेरे लिए काम करे!"
मनोज: "सही बात है, लेकिन अब अगला सवाल—क्या सिर्फ ज्यादा पैसे कमाने से कोई अमीर बन सकता है?"
प्रदीप: "हम्म… शायद हाँ? अगर मेरे पास बहुत पैसा होगा, तो मैं अमीर ही कहलाऊँगा, है ना?"
मनोज (मुस्कुराते हुए): "यही गलती सब करते हैं!"
प्रदीप (हैरान होकर): "मतलब?"
मनोज: "मैंने कल Lesson दो Why Teach Financial Literacy? पढ़ा। इसमें बताया गया है कि अमीर बनने के लिए सिर्फ ज्यादा पैसा कमाना काफी नहीं है, असली खेल पैसे को मैनेज करने का है!"
प्रदीप (थोड़ा उलझकर): "पर अगर मेरे पास करोड़ों रुपए होंगे, तो मुझे पैसे को मैनेज करने की क्या जरूरत?"
मनोज (एक उदाहरण देते हुए): "ठीक है, तो सोचो—अगर किसी इंसान को हर महीने 5 लाख रुपये की सैलरी मिले, लेकिन वह हर महीने 5 लाख से ज्यादा खर्च कर दे, तो क्या वह अमीर होगा?"
प्रदीप (झट से): "नहीं, वह तो कंगाल हो जाएगा!"
मनोज: "बिल्कुल! और इसी को कहते हैं— Financial Illiteracy यानी आर्थिक अनपढ़ता।"
प्रदीप (सोचते हुए): "ओह… तो सिर्फ पैसा कमाना ही काफी नहीं है, बल्कि उसे सही तरीके से इस्तेमाल करना भी ज़रूरी है?"
मनोज: "हाँ! और इसीलिए अमीर लोग पहले Financial Literacy सीखते हैं। वे जानते हैं कि पैसा कैसे बचाना, कहाँ इन्वेस्ट करना, और पैसे को कैसे अपने लिए काम पर लगाना है।"
प्रदीप: "तो हमें भी यही सीखना होगा?"
मनोज: "बिल्कुल! अर्जुन ने बताया था कि अगर कोई इंसान लाखों रुपए कमाता है, लेकिन उसे पैसे का सही इस्तेमाल नहीं आता, तो वह कभी अमीर नहीं बन सकता!"
अब तक मनोज और प्रदीप को ये समझ आ चुका था कि पैसा सिर्फ कमाने की चीज़ नहीं, बल्कि उसे सही तरीके से मैनेज करना भी ज़रूरी है।
प्रदीप के पापा – बिजनेस करते थे, लेकिन वे ज्यादा पैसे को बिजनेस में ही लगाते थे। उन्हें इन्वेस्टमेंट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी।
मनोज के पापा – सरकारी नौकरी में थे, उनकी सैलरी फिक्स थी और वे पैसे को सिर्फ सेविंग अकाउंट में रखते थे।
दोनों के परिवार में कोई Financial Literacy के बारे में नहीं सोचता था।
मनोज (थोड़ा गहराई से सोचते हुए): "भाई, ये किताब सच में कमाल की है! अब तक तो हम यही सोचते थे कि सिर्फ ज्यादा पैसा कमाना ही ज़रूरी है, लेकिन अब समझ आया कि असली खेल पैसे को बचाना, बढ़ाना और सही जगह लगाना है!"
प्रदीप: "तो हमें क्या करना चाहिए?"
मनोज: "हमें Financial Education सीखनी होगी। अर्जुन से मिलते हैं, शायद उसके पास इसके बारे में कुछ और गजब की बातें हों!"
अगले दिन, स्कूल के बाद दोनों फिर से अर्जुन से मिलने पहुंचे।
प्रदीप (जोश में): "भाई, हम दोनों ने अब तक दो बड़े लेसन सीख लिए हैं—पहला, अमीर लोग पैसा अपने लिए काम करवाते हैं, और दूसरा, ज्यादा पैसा कमाने से ज्यादा जरूरी उसे मैनेज करना है। लेकिन अब सवाल है कि आखिर पैसे को लगाएं कहाँ?"
अर्जुन (मुस्कुराते हुए): "यही सवाल है जो ज्यादातर लोग नहीं पूछते! और इसलिए वे जिंदगी भर सिर्फ नौकरी पर निर्भर रहते हैं।"
मनोज (हैरान होकर): "मतलब?"
अर्जुन: "देखो, यही इस किताब का तीसरा बड़ा सबक है—Mind Your Own Business। इसका मतलब है कि सिर्फ जॉब पर निर्भर मत रहो, बल्कि अपनी संपत्ति (Assets) बनाओ!"
प्रदीप: "पर नौकरी करना बुरा तो नहीं है, है ना?"
अर्जुन: "बिल्कुल नहीं! लेकिन समस्या तब होती है जब कोई सिर्फ नौकरी के भरोसे रहता है और अपनी खुद की संपत्ति (Assets) नहीं बनाता।"
मनोज: "संपत्ति से तुम्हारा क्या मतलब है?"
अर्जुन: "मतलब बहुत सिंपल है—
Poor और Middle-Class लोग सिर्फ नौकरी करते हैं और अपनी पूरी सैलरी खर्च कर देते हैं।
Rich लोग नौकरी के साथ-साथ ऐसे Assets बनाते हैं, जो उन्हें हमेशा पैसा देते रहें!"
प्रदीप: "Assets? मतलब कोई घर या कार?"
अर्जुन (मुस्कुराते हुए): "यही गलती सब करते हैं! घर, कार, और महंगी चीज़ें Assets नहीं होतीं, अगर वे तुम्हारे लिए पैसा नहीं बना रही हैं। असली Assets वो होते हैं जो तुम्हारी जेब में और पैसा डालें!"
मनोज: "तो असली Assets क्या हैं?"
अर्जुन: "देखो, अमीर लोग Assets बनाने पर फोकस करते हैं, और ये Assets हो सकते हैं—
बिजनेस – ऐसा कुछ जो तुम्हारे बिना भी चले और पैसा लाए।
रियल एस्टेट – किराए पर दिए गए घर, दुकान या प्रॉपर्टी।
शेयर मार्केट और इन्वेस्टमेंट – जैसे Nifty 50 ETF और Gold ETF
डिजिटल एसेट्स – ब्लॉग, यूट्यूब चैनल, या ऑनलाइन बुक्स, जो बिना मेहनत किए भी पैसा कमाते रहें!"
प्रदीप (जोश में आकर): "मतलब नौकरी के साथ-साथ हमें अपने लिए भी कुछ बनाना होगा, जो हमें हर महीने पैसा देता रहे?"
अर्जुन: "बिल्कुल! यही असली अमीरी का रास्ता है।"
अब मनोज और प्रदीप को समझ आ चुका था कि सिर्फ नौकरी करना काफी नहीं है, बल्कि हमें अपनी खुद की संपत्ति (Assets) बनानी होगी।
प्रदीप के पापा – बिजनेस कर रहे थे, लेकिन पूरा पैसा खर्च हो जाता था, इन्वेस्टमेंट पर फोकस नहीं था।
मनोज के पापा – नौकरी कर रहे थे, लेकिन उनका पूरा ध्यान सेविंग्स पर था, इन्वेस्टमेंट नहीं करते थे।
मनोज (सोचते हुए): "तो असली सवाल ये है—हम अपनी जॉब या पढ़ाई के साथ ऐसा क्या करें, जिससे हम अपनी Assets बना सकें?"
अर्जुन: "यही सोचने की बात है! अगला स्टेप है—"Assets vs. Liabilities", यानी कैसे पहचानें कि हम सही चीज़ों में इन्वेस्ट कर रहे हैं या नहीं!"
अब तक मनोज और प्रदीप ने ये सीखा था कि पैसा कमाना और उसे सही तरीके से मैनेज करना ज़रूरी है, और सिर्फ जॉब पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि खुद की संपत्ति बनानी चाहिए! लेकिन अब, अर्जुन ने एक और महत्वपूर्ण सवाल उठाया
अर्जुन (गंभीर होकर): "तुम दोनों अब समझ गए हो कि अपनी संपत्ति (Assets) बनानी जरूरी है, लेकिन अगली सबसे बड़ी बात है— टैक्स!"
मनोज (हैरान होकर): "टैक्स? क्या टैक्स में कुछ खास है?"
अर्जुन (मुस्कुराते हुए): "जी हाँ! अमीर लोग टैक्स सिस्टम को समझते हैं और उसका फायदा उठाते हैं।"
प्रदीप (अभी भी उलझे हुए): "लेकिन टैक्स तो सभी को देना पड़ता है, चाहे आप अमीर हों या गरीब?"
अर्जुन: "यही तो सबसे बड़ी गलती है! टैक्स देने की प्रक्रिया को समझे बिना हम खुद को मुश्किल में डालते हैं। क्या तुम्हें पता है कि अमीर लोग टैक्स से बचने के लिए कैसे काम करते हैं?"
मनोज (उत्सुक होकर): "मतलब वे टैक्स नहीं देते?"
अर्जुन (हंसते हुए): "नहीं, ऐसा नहीं है! लेकिन वे टैक्स के अंदर छुपे हुए सारे नियमों को समझते हैं और उनका फायदा उठाते हैं!"
अर्जुन ने उन्हें Lesson चार The History of Taxes and the Power of Corporations के बारे में और विस्तार से बताया
अर्जुन: "यहाँ दो चीज़ें हैं जो तुम्हें समझनी होंगी—
किसी भी देश में टैक्स सिस्टम कैसे काम करता है
कंपनियों का इस्तेमाल कैसे किया जाता है
पब्लिक (सामान्य लोग) टैक्स भरते हैं, जबकि कॉर्पोरेशन्स (कंपनियाँ) इसका फायदा उठाती हैं। क्या तुम जानते हो कि अमीर लोग अपनी कंपनियों को इस्तेमाल करके टैक्स बचाते हैं?"
मनोज (सोचते हुए): "लेकिन कंपनियों के बारे में तो मैं ज्यादा नहीं जानता।"
अर्जुन: "ज्यादा लोग यही सोचते हैं, लेकिन कंपनियाँ असल में अमीरों के सबसे बड़े हथियार होती हैं!"
प्रदीप: "तो इसका मतलब कंपनियों का फायदा उठाकर अमीर लोग टैक्स कम करते हैं?"
अर्जुन (साधारण उदाहरण देते हुए): "हां, बिल्कुल! मान लो तुमने एक कंपनी बनाई और उसमें कुछ इन्वेस्ट किया। अब, तुम अपनी कंपनी के खर्चों को टैक्स से पहले कवर कर सकते हो। इसका मतलब तुम्हारे पास अपनी कमाई पर कम टैक्स लगेगा। उदाहरण के लिए, अगर तुम अपने बिजनेस के लिए कार खरीदते हो, तो तुम उस खर्च को बिजनेस खर्च मान सकते हो और टैक्स से बच सकते हो!"
मनोज (आश्चर्यचकित होकर): "तो जो चीज़ हमें आमतौर पर टैक्स में कट जाती है, उसे हम बिजनेस के जरिए बचा सकते हैं?"
अर्जुन (मुस्कुराते हुए): "हां, बिल्कुल! अमीर लोग टैक्स से बचने के लिए जो तरीके अपनाते हैं, वे बहुत सी बातें समझने के बाद होते हैं। लेकिन अगर तुम कंपनी बनाकर सही तरीके से काम करते हो, तो टैक्स बचाना बहुत आसान हो सकता है!"
अब तक मनोज और प्रदीप को यह समझ में आ चुका था कि अमीर लोग टैक्स सिस्टम को समझते हैं और उसका सही तरीके से इस्तेमाल करते हैं।
मनोज के पापा – सरकारी नौकरी में थे, उन्होंने कभी टैक्स बचाने के तरीके नहीं सीखे, इसलिए वे हमेशा अपनी सैलरी पर टैक्स भरते थे।
प्रदीप के पापा – बिजनेस करते थे, लेकिन उन्होंने कभी कंपनी बनाने के बारे में नहीं सोचा, और इस वजह से टैक्स में ज्यादा पेमेंट करते थे।
प्रदीप: "तो क्या अगर मेरे पापा भी कंपनी बना लें, तो वे भी टैक्स कम कर सकते हैं?"
अर्जुन: "बिल्कुल! अगर वे बिजनेस को सही तरीके से चलाते, तो वे टैक्स को काफी हद तक बचा सकते थे!"
मनोज: "और अगर हम अपना खुद का बिजनेस शुरू करें, तो क्या हम भी टैक्स बचा सकते हैं?"
अर्जुन: "हाँ, लेकिन इसके लिए सही तरीके से Financial Education और Business Knowledge होना जरूरी है।"
अब तक मनोज और प्रदीप ने समझ लिया था कि अमीर लोग टैक्स को समझते हैं और इसका फायदा उठाते हैं, लेकिन अब वे यह जानना चाहते थे कि असली अमीर बनने के लिए अगला कदम क्या है? अर्जुन ने उन्हें "The Rich Invent Money" के बारे में और भी गहरे तरीके से समझाया।
एक शाम, पार्क में बैठकर अर्जुन ने कहा:
अर्जुन (गंभीर होकर): "तुम दोनों अब समझ चुके हो कि टैक्स सिस्टम को समझना और अपनी संपत्ति बनाना कितना ज़रूरी है। लेकिन असली सवाल ये है—पैसा बनाते कैसे हैं?"
प्रदीप (उत्सुक होकर): "हम जानते हैं कि हमें अपनी संपत्ति (Assets) बनानी चाहिए, टैक्स को समझना चाहिए, लेकिन पैसा बनाने के नए रास्ते क्या हैं?"
मनोज (गहरी सोच में): "हाँ, और हम अगर अपनी नौकरी या बिजनेस से ज्यादा पैसे कमाने की कोशिश करें, तो क्या वो सही होगा?"
अर्जुन: "इसका जवाब है—पैसा बनाने के लिए नए मौके ढूंढो और अपने फाइनेंशियल एजुकेशन को बढ़ाओ!"
मनोज: "क्या मतलब है तुम्हारा? ऐसा क्या रास्ता है जो हम नहीं देख पा रहे?"
अर्जुन: "मतलब ये कि अमीर लोग सिर्फ पैसे कमाने के लिए मेहनत नहीं करते, वे नए मौके (opportunities) बनाते हैं। वे ऐसे रास्ते ढूंढते हैं जिनके बारे में दूसरों ने सोचा ही नहीं!"
प्रदीप (चिंतित होकर): "मुझे तो लगता था कि बस मेहनत करो और पैसे मिल जाएंगे!"
अर्जुन (मुस्कुराते हुए): "ठीक यही सोच गरीबों और मिडिल क्लास की होती है! वे मेहनत करते हैं, लेकिन नए मौके नहीं ढूंढते। लेकिन अमीर लोग हमेशा नए रास्तों और मौके ढूंढते हैं, जिससे वे पैसे कमाते हैं।"
अर्जुन ने फिर Lesson पांच The Rich Invent Money के बारे में और गहराई से समझाया—
अर्जुन: "अमीर लोग समझते हैं कि पैसा खुद नहीं आता, तुम उसे बनाते हो! और वे इसे कैसे करते हैं? वे नए बिजनेस आइडिया, इन्वेस्टमेंट के मौके, और ऐसे नए रास्ते ढूंढते हैं, जिनसे वे पैसे को अपने लिए काम पर लगा सकें।"
मनोज: "उदाहरण दो, ताकि समझ सकें!"
अर्जुन: "ठीक है, उदाहरण के तौर पर—तुमने सुना है कि अमीर लोग अपना खुद का इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाते हैं? वे नई कंपनियां शुरू करते हैं, नए प्रोडक्ट्स बनाते हैं, और ऐसे बिजनेस ढूंढते हैं जिनमें थोड़ा रिस्क होता है, लेकिन अच्छा रिवॉर्ड भी मिलता है!"
प्रदीप (गहरी सोच में): "लेकिन अगर हम किसी नई कंपनी को शुरू करें, तो क्या वो काम करेगा?"
अर्जुन (संवेदनशील होकर): "सिर्फ स्मार्ट काम करना ज़रूरी है, hard work नहीं! जैसे—तुम अपने टैलेंट को सही दिशा में लगा सकते हो। तुम्हें अपने फाइनेंशियल एजुकेशन को बढ़ाना होगा ताकि तुम समझ सको कि किस चीज़ में पैसा लगाना है और कौन से मौके सही हैं!"
मनोज (उत्साहित होकर): "अरे, तो इसका मतलब अगर हम सही मौके ढूंढें और अपनी समझ बढ़ाएं, तो हम भी पैसा बना सकते हैं!"
अर्जुन: "बिल्कुल! यही असली तरीका है—Rich people create opportunities. They don’t wait for opportunities to come to them."
अब तक मनोज और प्रदीप को यह समझ में आ चुका था कि अमीर लोग सिर्फ मेहनत नहीं करते, वे नए मौके ढूंढते हैं।
मनोज के पापा – सरकारी नौकरी में थे, उनकी जिंदगी एक ही रास्ते पर चल रही थी। वे ज्यादा पैसे कमाने के लिए मेहनत करते थे, लेकिन कभी नए मौके नहीं ढूंढते थे।
प्रदीप के पापा – बिजनेस करते थे, लेकिन वे भी वही पुराने तरीके अपनाते थे। वे नए बिजनेस आइडिया और अवसरों की तलाश में नहीं थे।
मनोज (सोचते हुए): "भाई, क्या हमें भी अपनी सोच बदलनी चाहिए? अगर हम भी नए मौके ढूंढते हैं तो हम भी अमीर बन सकते हैं?"
प्रदीप: "हां, लेकिन कैसे? हम कहाँ से शुरुआत करें?"
अर्जुन: "सबसे पहले, तुम्हें अपने फाइनेंशियल एजुकेशन पर ध्यान देना होगा। दुनिया में ढेरों मौके हैं, बस तुम उन्हें पहचानने के लिए तैयार रहो। अगर तुम जानते हो कि कहां निवेश करना है और कैसे सोच बदलनी है, तो कोई भी मौका तुम्हारे हाथ से नहीं जाएगा!"
मनोज (स्माइली के साथ): "तो फिर हम कहाँ से शुरू करें?"
अर्जुन (हंसते हुए): "सुनो, अगला बड़ा कदम है—Assets vs. Liabilities समझना। इस बारे में हम आगे बात करेंगे!"
अब तक मनोज और प्रदीप ने सीखा था कि अमीर लोग नए मौके ढूंढते हैं और पैसे को खुद बनाते हैं, लेकिन अब सवाल था—अगर हम किसी नौकरी में हैं, तो उसका असली उद्देश्य क्या होना चाहिए? अर्जुन ने उन्हें "Work to Learn, Don’t Work for Money" के बारे में और गहराई से बताया।
एक दिन, जब मनोज और प्रदीप अपने स्कूल से लौट रहे थे, अर्जुन ने उन्हें एक नई सीख दी—
अर्जुन (सोचते हुए): "तुम दोनों अब समझ चुके हो कि अमीर बनने के लिए अपने फाइनेंशियल एजुकेशन को बढ़ाना जरूरी है, लेकिन क्या तुमने कभी ये सोचा है कि अगर नौकरी करते हो, तो उसका उद्देश्य क्या होना चाहिए?"
प्रदीप (हैरान होकर): "नौकरी का उद्देश्य? क्या मतलब है?"
अर्जुन (मुस्कुराते हुए): "ज्यादातर लोग नौकरी सिर्फ पैसे के लिए करते हैं। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या तुम नौकरी सिर्फ पैसे के लिए कर रहे हो, या तुम कुछ सीखने के लिए नौकरी कर रहे हो?"
मनोज (चौंकते हुए): "क्या मतलब है?"
अर्जुन: "Lesson छः Work to Learn, Don’t Work for Money का यही मतलब है। अमीर लोग काम करते हैं ताकि वे नए कौशल (skills) सीख सकें। वे खुद को बेहतर बनाते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि जिस दिन उनका skill set बढ़ जाएगा, उस दिन पैसा खुद उनके पास आएगा!"
प्रदीप (सोचते हुए): "तो क्या हमें नौकरी करने का तरीका बदलना चाहिए?"
अर्जुन: "बिल्कुल! नौकरी सिर्फ पैसे के लिए नहीं, बल्कि सीखने के लिए करो। अगर तुम किसी कंपनी में काम कर रहे हो, तो वहां से new skills सीको, business acumen सीखो, और देखो कि काम करने के नए तरीके क्या हैं। यही तुम्हारी सबसे बड़ी ताकत बनेगी।"
अर्जुन: "देखो, कई बार लोग नौकरी को सिर्फ एक साधन मानते हैं—‘पैसा कमाओ, फिर घर जाओ।’ लेकिन अमीर लोग नौकरी को एक प्लेटफार्म मानते हैं—यह एक रास्ता है जहां से वे अपनी क्षमताओं को बढ़ाते हैं और सीखते हैं कि कैसे बिजनेस किया जाता है, कैसे पैसों को मैनेज किया जाता है, और कैसे खुद को आगे बढ़ाया जाता है!"
मनोज (समझते हुए): "तो इसका मतलब है कि अगर हम अपनी नौकरी में कुछ नया सीखें, तो हम सिर्फ पैसा नहीं कमा रहे होंगे, बल्कि अपनी जिंदगी की स्किल्स भी बढ़ा रहे होंगे?"
अर्जुन: "बिल्कुल! यही एकमात्र तरीका है कि तुम अपनी नौकरी के जरिए खुद को बेहतर बना सको। जब तुम नए कौशल सीखोगे, तो अगले कदम पर तुम पैसा कमाने के नए रास्ते खोज पाओगे।"
प्रदीप (किसी विचार में): "तो क्या हम अपनी नौकरी के दौरान बिजनेस की स्किल्स सीख सकते हैं?"
अर्जुन: "हां, बिल्कुल! यह सिर्फ एक सोच की बात है—तुम जहां हो, वहां से सीखना शुरू करो। अगर तुम्हें बिजनेस करना है, तो business skills सीखो, अगर तुम्हें इन्वेस्टमेंट करना है, तो financial skills सीखो। तुम जितना सीखोगे, उतना ही पैसा खुद तुम्हारे पास आएगा!"
अब तक मनोज और प्रदीप को यह समझ में आ चुका था कि नौकरी सिर्फ पैसे के लिए नहीं, बल्कि स्किल्स सीखने के लिए करनी चाहिए।
मनोज के पापा – नौकरी के दौरान कभी कुछ नया नहीं सीखा। उनका काम केवल सैलरी तक सीमित था। वे रोज वही करते थे, जो उन्हें कहा जाता था।
प्रदीप के पापा – बिजनेस करते थे, लेकिन उनका ध्यान भी सिर्फ पैसे कमाने पर था। वे नए रास्तों और नए विचारों की तलाश नहीं करते थे।
मनोज (सोचते हुए): "तो क्या अगर हम अपनी नौकरी में कुछ नया सीखें, तो हम भी अपनी स्किल्स को बढ़ा सकते हैं?"
प्रदीप: "हां, अगर हम सीखे कि कैसे अच्छा निवेश करें, कैसे बिजनेस चलाएं, तो हम किसी भी समय अपना खुद का बिजनेस शुरू कर सकते हैं!"
अर्जुन: "बिल्कुल! यही तरीका है success का—स्किल्स सीखो, और पैसे को खुद अपने लिए काम करने दो!"
अब तक मनोज और प्रदीप ने सीखा था कि नौकरी सिर्फ पैसे के लिए नहीं, बल्कि स्किल्स सीखने के लिए करनी चाहिए। उन्होंने इस सबको समझा था, लेकिन अर्जुन के अगले पाठ ने उन्हें अपनी मानसिकता पर काम करने का भी एक नया रास्ता दिखाया।
एक दिन, जब वे सभी बैठकर पुराने विचारों पर चर्चा कर रहे थे, अर्जुन ने इस बारे में बात की—
अर्जुन (मुस्कुराते हुए): "ठीक है, अब तुम लोग समझ रहे हो कि पैसे को कैसे बनाना है, कैसे अपनी नौकरी में स्किल्स सीखनी हैं और टैक्स से बचना है, लेकिन असली मुश्किल तो तब आती है, जब हमें अपने अंदर के डर, आलस्य और लालच पर काबू पाना होता है।"
मनोज (चौंकते हुए): "क्या तुम कह रहे हो कि हमारे अंदर कुछ ऐसी भावनाएं हैं जो हमारी सफलता में रुकावट डालती हैं?"
अर्जुन: "जी हां! लालच, डर, आलस, और अहंकार ये सब हमारे असली दुश्मन होते हैं। अगर हम इन्हें नहीं समझेंगे और काबू नहीं करेंगे, तो हम कभी भी अमीर नहीं बन पाएंगे।"
प्रदीप (सिर झुकाते हुए): "मुझे समझ में आता है, लेकिन ये सब हमारी मानसिकता पर कैसे असर डालते हैं?"
अर्जुन: "देखो, Lesson सात Overcoming Obstacles यही कहता है—इन भावनाओं पर काबू पाकर ही हम असली सफलता हासिल कर सकते हैं।"
अर्जुन (गंभीर होकर): "लालच तब पैदा होती है जब हम सिर्फ पैसा कमाने के लिए चीजें करना शुरू करते हैं, लेकिन इस लालच में हम अपने अच्छे फैसले खो देते हैं। क्या तुम समझते हो?"
मनोज: "हां, जैसे कभी कभी बहुत जल्दी मुनाफा कमाने की उम्मीद करना?"
अर्जुन (सही कहते हुए): "बिल्कुल! और फिर डर—जब हमें लगता है कि कोई निर्णय लेने से हमें नुकसान होगा, हम डर के मारे कभी कदम नहीं उठाते।"
प्रदीप: "मुझे लगता है कि मैं हमेशा सोचता हूं कि क्या अगर मैंने किसी निवेश में गलत कदम उठा लिया तो?"
अर्जुन: "इसी डर से लोग कभी कुछ बड़ा नहीं करते! यही डर हमारी तरक्की की राह में दीवार बना देता है। लेकिन डर को पार करने के लिए कभी न कभी तो एक कदम उठाना ही होगा!"
मनोज: "और आलस?"
अर्जुन (हंसते हुए): "आलस्य तब होता है जब हम सोचते हैं, ‘कल से शुरू करेंगे’, और कभी नहीं करते। हम जितना देर करते हैं, उतनी ही देर हमारी तरक्की भी रुकती है।"
प्रदीप: "मतलब हमें आलस्य को भी खत्म करना होगा?"
अर्जुन: "बिल्कुल! और आखिरी चीज—अहंकार। जब हम यह सोचते हैं कि हम सब जानते हैं, तो हम कुछ नया सीखने का मौका खो देते हैं। हमेशा खुला दिमाग रखो!"
अब तक मनोज और प्रदीप ने समझा था कि इन आंतरिक रुकावटों को कैसे पार किया जाए, लेकिन अर्जुन ने उन्हें एक और महत्वपूर्ण उदाहरण दिया।
अर्जुन: "मान लो, तुम दोनों एक नया बिजनेस शुरू करने का सोच रहे हो। लेकिन तुम्हारे अंदर एक डर है—‘क्या अगर ये बिजनेस फ्लॉप हो गया तो?’ या तुम्हारे अंदर अहंकार है—‘मैंने तो इसे पहले ही जान लिया है, मुझे किसी से सीखने की ज़रूरत नहीं।’ ये सब रुकावटें हैं जो तुम्हें पीछे खींचेंगी।"
मनोज (सिर झुकाते हुए): "मैंने कभी ये नहीं सोचा कि आलस्य, डर और लालच मेरे रास्ते में आ सकते हैं।"
प्रदीप: "लेकिन अगर हम इन पर काबू पा लें, तो हम सच में कुछ बड़ा कर सकते हैं!"
अर्जुन: "बिल्कुल! तुम्हें समझना होगा कि ये मानसिक रुकावटें किसी बाहरी चीज़ की तरह नहीं होतीं। ये हमारे अंदर हैं और इन्हें जीतकर हम अपनी सफलता की राह पर बढ़ सकते हैं। अमीर लोग इन्हीं मानसिक बाधाओं को पार करके अमीर बनते हैं।"
अब तक मनोज और प्रदीप को यह समझ में आ चुका था कि लालच, डर, आलस, और अहंकार जैसे मानसिक रुकावटों को पार किए बिना कोई भी बड़ा काम नहीं कर सकता।
मनोज के पापा – हमेशा यही सोचते थे कि अगर नौकरी छोड़ दी, तो उनका भविष्य खतरे में पड़ सकता है। डर और आलस्य के कारण उन्होंने कभी भी नया कदम नहीं उठाया।
प्रदीप के पापा – हालांकि उन्होंने बिजनेस किया, लेकिन कभी भी किसी से कुछ सीखने का मौका नहीं लिया, और यही अहंकार उनके रास्ते में एक रुकावट बना।
मनोज (सोचते हुए): "क्या हमें अपने डर को स्वीकार कर उसपर काबू पाना चाहिए?"
प्रदीप: "हां, अब हम जानते हैं कि अगर हम डर, आलस्य, और लालच को हरा सकें, तो हम अपने रास्ते पर आगे बढ़ सकते हैं!"
अर्जुन: "सही कहा तुमने! जब तुम इन आंतरिक रुकावटों को पार करोगे, तो तुम्हारा रास्ता खुद साफ हो जाएगा। यही वो क्षण है जब तुम असली सफलता की ओर बढ़ सकते हो!"
अब तक मनोज और प्रदीप ने यह समझ लिया था कि लालच, डर, आलस और अहंकार जैसी मानसिक बाधाएं ही हमें आगे बढ़ने से रोकती हैं। लेकिन सवाल यह था—अब आगे क्या?
प्रदीप (सोचते हुए): “ठीक है, हमने ये तो समझ लिया कि हमें अपनी मानसिक बाधाओं से पार पाना है… लेकिन हम अमीर बनने की तरफ पहला कदम कैसे उठाएँ?”
मनोज: "हाँ, ये सब सुनने में अच्छा लगता है, लेकिन असल में शुरू कैसे करें?"
अर्जुन (मुस्कुराते हुए): "यही तो Lesson आठ Getting Started कहता है—अमीर बनने के लिए पहला कदम उठाना जरूरी है!"
प्रदीप: "लेकिन पहला कदम क्या हो सकता है?"
अर्जुन: "सबसे पहले खुद को फाइनेंशियली एजुकेट करना!"
अर्जुन: "देखो, अमीर बनने का पहला नियम है—पहले खुद को पैसों के बारे में शिक्षित करो। अगर तुम्हें यह नहीं पता कि पैसे को सही तरीके से कैसे मैनेज करना है, तो चाहे जितना भी पैसा कमा लो, सब बर्बाद हो जाएगा।"
मनोज (हैरानी से): "लेकिन स्कूल में तो हमें कभी पैसों की एजुकेशन नहीं दी गई?"
अर्जुन: "यही तो असली समस्या है! स्कूल हमें सिर्फ नौकरी करने की शिक्षा देता है, लेकिन पैसा बनाने की शिक्षा नहीं देता।"
प्रदीप: "मतलब हमें खुद ही सीखना होगा?
अर्जुन: "बिल्कुल! और इसका सबसे अच्छा तरीका है—अमीर लोगों की आदतें अपनाना!
अर्जुन: अगर तुम अपनी जिंदगी में बदलाव लाना चाहते हो, तो तुम्हें अमीर लोगों की तरह सोचना और करना होगा।
मनोज: जैसे?
अर्जुन: "देखो, अमीर लोग चार मुख्य चीजें करते हैं—
वे रोज़ सीखते हैं: वे किताबें पढ़ते हैं, सही लोगों से मिलते हैं, और खुद को लगातार बेहतर बनाते हैं।
वे पैसा बचाने और इन्वेस्ट करने की कला सीखते हैं: वे जानते हैं कि पैसा सिर्फ खर्च करने के लिए नहीं होता, बल्कि उसे बढ़ाने के लिए सही जगह लगाना होता है।
वे मौके पहचानते हैं: आम लोग किसी मौके को देखकर डर जाते हैं, लेकिन अमीर लोग जोखिम लेना जानते हैं।
वे एक्शन लेते हैं: वे सिर्फ सोचते नहीं, बल्कि पहला कदम उठाते हैं!
प्रदीप: "मतलब अगर हमें आगे बढ़ना है, तो सिर्फ सोचने से कुछ नहीं होगा, हमें कुछ करना पड़ेगा!
अर्जुन (मुस्कुराते हुए): "बिल्कुल! सोचने से कुछ नहीं बदलता, करने से बदलता है!
अब अर्जुन ने उन्हें एक असल जिंदगी की कहानी सुनाई, जिससे उन्हें यह समझ आए कि पहला कदम उठाना क्यों ज़रूरी है।
अर्जुन: "एक बार दो दोस्त थे—राहुल और विक्रम। दोनों ही नौकरी कर रहे थे और अच्छा कमा रहे थे। लेकिन राहुल हमेशा अपने पैसे को सेव करता और अलग-अलग इन्वेस्टमेंट के बारे में सीखता। वहीं, विक्रम सोचता कि ‘यार, इन सब चीजों में बहुत टाइम लगेगा, मैं बाद में सीख लूंगा।’
5 साल बाद
राहुल ने इन्वेस्टमेंट सीख लिया था, अपने पैसे को सही जगह लगाया और आज वह बिना नौकरी किए भी अच्छी कमाई कर रहा था।
विक्रम आज भी नौकरी कर रहा था और सोच रहा था कि काश उसने भी शुरुआत की होती!
मनोज (गहरी सांस लेते हुए): "ओह… मतलब अगर हम अभी शुरुआत नहीं करेंगे, तो हमारा भी हाल विक्रम जैसा हो सकता है?
अर्जुन: "बिल्कुल! आज का एक छोटा कदम कल की बड़ी सफलता बन सकता है!
प्रदीप: "तो हमें क्या करना चाहिए?
अर्जुन: "ठीक है, अब मैं तुम दोनों को तीन टास्क देता हूँ
पहला टास्क: एक अच्छी फाइनेंशियल एजुकेशन वाली किताब पढ़ो
दूसरा टास्क: हर महीने अपनी कमाई का कम से कम 10% इन्वेस्ट करना शुरू करो।
तीसरा टास्क: अपनी कमाई बढ़ाने के नए तरीके खोजो—एक साइड बिजनेस या नई स्किल सीखो।
मनोज: "क्या हमें ये सब अभी से करना चाहिए?
अर्जुन (हंसते हुए): "अगर तुम्हें अमीर बनना है, तो जितना जल्दी शुरू करोगे, उतना अच्छा!
मनोज और प्रदीप ने अर्जुन से Rich Dad Poor Dad की सभी महत्वपूर्ण सीखों को समझ लिया था।
उन्होंने जाना कि
अमीर लोग पैसे के लिए काम नहीं करते, बल्कि पैसा उनके लिए काम करता है।
असली खेल ज्यादा पैसा कमाने का नहीं, बल्कि उसे सही तरीके से मैनेज करने का है।
सिर्फ नौकरी पर निर्भर रहना सही नहीं, अपनी संपत्तियां (assets) बनानी चाहिए।
टैक्स सिस्टम और कंपनियों का सही उपयोग करने से वित्तीय आज़ादी पाई जा सकती है।
नए अवसरों को पहचानकर पैसा बनाया जा सकता है।
नौकरी सिर्फ पैसे के लिए नहीं, स्किल्स सीखने के लिए भी की जानी चाहिए।
डर, लालच, आलस और अहंकार जैसी भावनाओं पर काबू पाकर ही अमीर बना जा सकता है।
पहला कदम उठाना सबसे जरूरी है!
और अब… वे किताब के आखिरी अध्याय तक पहुँच चुके थे—Lesson नौ Still Want More? Here Are Some To-Do’s
प्रदीप (किताब बंद करते हुए): "तो अब ये किताब पूरी हो गई… लेकिन असल जिंदगी में क्या करना है?
मनोज: "हाँ! अब हमें क्या करना चाहिए?
अर्जुन (मुस्कुराते हुए): "यही तो इस किताब की सबसे बड़ी सीख है—सीखना कभी मत छोड़ो! सिर्फ पढ़कर कुछ नहीं होगा, अब एक्शन लेने का समय है!
प्रदीप: "लेकिन शुरुआत कैसे करें?
अर्जुन: "बहुत आसान है! अमीर बनने के लिए तीन ज़रूरी चीजें याद रखो
हमेशा सीखते रहो, इन्वेस्ट करना शुरू करो, तुरंत एक्शन लो!
अर्जुन: "सीखने की प्रक्रिया कभी खत्म नहीं होती! अगर तुमने Rich Dad Poor Dad पढ़ ली, तो अगली फाइनेंशियल एजुकेशन वाली किताब पढ़ो। दुनिया में हज़ारों किताबें हैं जो अमीर बनने के सीक्रेट्स बताती हैं!
मनोज: "मतलब सिर्फ एक किताब पढ़ना काफी नहीं?
अर्जुन: "बिल्कुल नहीं! देखो, अमीर लोग रोज़ कुछ नया सीखते हैं—वे पढ़ते हैं, सेमिनार में जाते हैं, सफल लोगों से मिलते हैं। तुम्हें भी यही करना है!
प्रदीप: "तो कौन-कौन सी किताबें पढ़ सकते हैं?
The Psychology of Money - पैसे को समझने की कला
Think and Grow Rich - मानसिकता बदलो, अमीर बनो
The Millionaire Fastlane - तेजी से अमीर बनने के रास्ते
The Richest Man in Babylon - पुराने समय की अमीरी के नियम
मनोज (जोश में): "वाह! अब मैं और भी किताबें पढ़ूंगा!
अर्जुन: "सीखने के साथ-साथ इन्वेस्ट करना भी शुरू करना होगा! अगर तुमने पैसा सही जगह नहीं लगाया, तो वह खुद ब खुद खत्म हो जाएगा!
प्रदीप: "लेकिन हमें इन्वेस्टमेंट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है?
अर्जुन: "तो सीखो! आज के जमाने में बहुत से लोग शेयर बाजार, रियल एस्टेट, बिजनेस और डिजिटल एसेट्स में इन्वेस्ट करके अमीर बन रहे हैं।
Stock Market - लंबी अवधि के लिए Nifty 50 ETFs में निवेश करो।
Real Estate - सही जगह प्रॉपर्टी खरीदो और किराए से कमाई करो।
Side Business - नौकरी के साथ-साथ अपना खुद का बिजनेस शुरू करो।
Self-Investment - अपनी स्किल्स में इन्वेस्ट करो ताकि ज्यादा पैसा कमा सको।
मनोज: "लेकिन क्या हमें तुरंत लाखों रुपये लगाने चाहिए?
अर्जुन: "नहीं! शुरुआत छोटी रखो, लेकिन अभी शुरू करो। अगर इंतजार करते रहे, तो कभी शुरू नहीं कर पाओगे!
अर्जुन: "अब सबसे जरूरी चीज़—तुरंत एक्शन लो! ज्यादातर लोग सिर्फ सोचते रहते हैं लेकिन कुछ नहीं करते।
प्रदीप: "लेकिन अगर गलती हो गई तो?
अर्जुन: "तो सीखोगे! अमीर बनने की राह में गलती करना आम बात है। अगर गलती से डरोगे, तो कभी आगे नहीं बढ़ोगे!
मनोज: "मतलब हमें डर को छोड़कर बस शुरुआत करनी है?
अर्जुन (मुस्कुराते हुए): "बिल्कुल! एक छोटा कदम भी तुम्हें आम आदमी से अलग कर सकता है।
अब तुम दोनों के लिए तीन टास्क:
हर महीने एक नई फाइनेंशियल बुक पढ़ो।
कम से कम 10% इन्वेस्ट करना शुरू करो।
अपनी इनकम बढ़ाने के लिए कोई नया स्किल सीखो या साइड बिजनेस शुरू करो।
प्रदीप और मनोज (जोश में): "हम ऐसा ही करेंगे!
"अगर तुम अमीर बनना चाहते हो, तो सीखना कभी मत छोड़ो, इन्वेस्ट करो और तुरंत एक्शन लो!
अर्जुन: "अब तुम दोनों के पास वह ज्ञान है जो ज्यादातर लोगों के पास नहीं होता। लेकिन याद रखना, ज्ञान से ज्यादा जरूरी एक्शन है!
मनोज: "अब हम सिर्फ सोचेंगे नहीं, करके दिखाएंगे!
प्रदीप: "हाँ, आज से ही शुरुआत करेंगे!
अर्जुन (मुस्कुराते हुए): "बस यही सही माइंडसेट है! अब तुम्हें कोई नहीं रोक सकता!
मैं जानता हूँ, जब मैंने पहली बार Rich Dad Poor Dad पढ़ी थी, तो मेरे अंदर भी बहुत सारे सवाल थे।
क्या सच में पैसे को समझकर अमीर बना जा सकता है?
क्या ये बातें हमारी असली जिंदगी में भी काम करेंगी?
लेकिन जैसे-जैसे मैंने इन सीक्रेट्स को अपनाया, मैंने महसूस किया कि "हां! ये सच में काम करता है।
अगर तुम आज सिर्फ सुनकर चले जाओगे, तो कुछ नहीं बदलेगा। लेकिन अगर आज से ही पहला कदम उठाओगे, तो 5 साल बाद जब पीछे मुड़कर देखोगे, तो खुद पर गर्व होगा।
याद रखना—हर अमीर इंसान ने कभी न कभी छोटा कदम उठाया था! अब तुम्हारी बारी है!
अगर तुम्हें यह वीडियो पसंद आई, तो इसे अपने उन दोस्तों के साथ शेयर करो, जो अपनी फाइनेंशियल लाइफ बदलना चाहते हैं।
और हां, कमेंट में बताओ—तुम पहला कदम कब और कैसे उठाने वाले हो?
मैं अनिल सहारण, तुम्हारा दोस्त, तुम्हारा भाई! मिलता हूँ अगले वीडियो में, तब तक—सीखते रहो, बढ़ते रहो!
चैनल को सब्सक्राइब करो और बेल आइकन दबाओ, क्योंकि यहाँ हर हफ्ते ऐसी ही लाइफ चेंजिंग कहानियाँ मिलेंगी!
तुम्हारी अमीरी की यात्रा शुरू हो चुकी है! अब एक्शन लो!
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें