Think Again" by Adam Grant: अपनी सोच को बदलें और जीवन को नया दिशा दें

Think Again" by Adam Grant



 नमस्ते दोस्तों! मैं हूं अनिल सहारण और आपका स्वागत है आज हम बात करेंगे एक बेहतरीन किताब 'Think Again' के बारे में, जो आपकी सोचने की प्रक्रिया को नया आयाम दे सकती है। तो चलिए, शुरू करते हैं और जानते हैं इस किताब से 



कमल अपने छोटे से बिजनेस को पूरी मेहनत और लगन से चलाता है। एक दिन जब वह अपने ऑफिस में ऑनलाइन काम कर रहा था, तो उसकी नजर "Think Again" by Adam Grant पर पड़ी। किताब का विषय और उसकी सोचने की प्रक्रिया को चुनौती देने वाला दृष्टिकोण उसे काफी आकर्षित करता है।


कमल एक समझदार और आत्म-विकास के प्रति समर्पित इंसान है। वह हमेशा नई चीजें सीखने और अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहता है। किताब के बारे में पढ़ने के बाद, उसने तुरंत इसे ऑनलाइन ऑर्डर कर दिया।


कमल बहुत उत्साहित था क्योंकि वह जानता था कि यह किताब उसे नई दृष्टि और सोचने के नए तरीकों से परिचित कराएगी। उसे विश्वास था कि "Think Again" उसकी व्यक्तिगत और पेशेवर जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाने में मददगार होगी।




शाम को जब कमल ने "Think Again" की बुक खोली, तो उसने देखा कि पहला अध्याय "जानकारी का पुनर्मूल्यांकन करें" पर आधारित है। इस अध्याय को पढ़ते हुए कमल को समझ में आया कि हमारी पुरानी मान्यताओं और धारणाओं पर सवाल उठाना कितना जरूरी है।


अध्याय में लिखा था कि हमें अपनी सोच को नई जानकारी के आधार पर लगातार अपडेट करते रहना चाहिए। यह हमें अपनी गलतियों से सीखने और बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है। कमल ने महसूस किया कि कई बार वह भी अपने पुराने अनुभवों और धारणाओं के आधार पर निर्णय लेता था, जो हमेशा सही नहीं होते।


इस अध्याय को पढ़ने के बाद, कमल ने निर्णय लिया कि वह अपने बिजनेस और व्यक्तिगत जीवन में भी इसी सिद्धांत को अपनाएगा। वह अपनी पुरानी मान्यताओं पर सवाल उठाएगा और नई जानकारी और अनुभवों के आधार पर अपनी सोच को अपडेट करेगा। कमल ने यह भी सोचा कि यह तरीका उसे अधिक लचीला और कुशल बनाएगा, जिससे वह अपने बिजनेस में नए अवसरों को पहचानने और अपनाने में सक्षम होगा।

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पहले अध्याय को अपनी जिंदगी में उतारने के बाद, कमल ने महसूस किया कि उसकी सोच में बदलाव आ रहा है। इसके बाद, उसने उत्सुकता से दूसरा अध्याय पढ़ना शुरू किया: "बौद्धिक विनम्रता अपनाएं"।


इस अध्याय में कमल ने सीखा कि यह जरूरी नहीं कि हमारे पास हर सवाल का जवाब हो। बौद्धिक विनम्रता का मतलब है यह स्वीकार करना कि हम गलत हो सकते हैं और दूसरों से सीखने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।


कमल ने इस बात को गहराई से महसूस किया कि कभी-कभी वह अपने विचारों और अनुभवों को ही अंतिम सत्य मान लेता था। लेकिन अब उसे यह समझ आया कि दूसरों के अनुभव और विचार भी महत्वपूर्ण हो सकते हैं।


इस अध्याय को अपनी जिंदगी में अपनाने के लिए कमल ने निर्णय लिया कि वह अपने बिजनेस में टीम के साथियों की राय को भी महत्व देगा। वह खुले मन से उनके सुझाव सुनेगा और अपने निर्णयों में उन्हें शामिल करेगा।


कमल ने महसूस किया कि बौद्धिक विनम्रता न केवल उसे एक बेहतर इंसान बनाएगी, बल्कि उसके बिजनेस को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद करेगी। इस नए दृष्टिकोण के साथ, कमल ने अपने जीवन और काम में दूसरों से सीखने की प्रक्रिया को अपनाया, जिससे उसकी सोच और अधिक समृद्ध हो गई।


कमल अपनी जिंदगी में आए बदलावों से बेहद खुश था। उसने दूसरे अध्याय में सीखी गई "बौद्धिक विनम्रता" को अपनी दिनचर्या में उतार लिया था। अब वह अपने बिजनेस में अपने टीम मेंबर्स की राय को ध्यान से सुनता और उनकी सलाह को भी महत्व देता था।


एक बार एक क्लाइंट प्रोजेक्ट पर चर्चा के दौरान, कमल की राय से विपरीत एक जूनियर कर्मचारी ने एक नया सुझाव दिया। पहले के कमल ने शायद इसे नजरअंदाज कर दिया होता, लेकिन अब उसने खुले मन से उस सुझाव को सुना और अपनाया। परिणामस्वरूप, प्रोजेक्ट की गुणवत्ता में सुधार हुआ और क्लाइंट बेहद खुश हुआ।


इस बदलाव ने कमल को एहसास कराया कि दूसरों से सीखना और अपनी गलतियों को स्वीकार करना उसे और अधिक सक्षम बना रहा है।


अब कमल ने तीसरे अध्याय पर ध्यान केंद्रित किया: "सही होने के बजाय सीखने पर ध्यान दें"।


इस अध्याय में उसने सीखा कि अपनी सोच को सही साबित करने से अधिक महत्वपूर्ण है सीखने और विकसित होने पर ध्यान देना। कमल ने महसूस किया कि कई बार वह अपनी सोच को सही साबित करने में इतना उलझ जाता था कि वह नए विचारों और दृष्टिकोणों को अपनाने से चूक जाता था।


एक दिन, एक महत्वपूर्ण बिजनेस निर्णय लेते समय, कमल ने अपनी राय को सही साबित करने की बजाय अपने साथी बिजनेस पार्टनर की सलाह पर ध्यान दिया। उस सलाह ने उन्हें एक नई रणनीति अपनाने के लिए प्रेरित किया, जिससे उनकी कंपनी को बड़े मुनाफे की ओर बढ़ने में मदद मिली।


इस अनुभव ने कमल को सिखाया कि सीखने की प्रक्रिया में नए विचारों को अपनाना कितना महत्वपूर्ण है। उसने यह समझ लिया कि सही होने की जिद से ज्यादा महत्वपूर्ण है सीखते रहना और खुद को लगातार बेहतर बनाना।


अब कमल ने अपने जीवन में सीखने की इस प्रक्रिया को और भी अधिक महत्व देना शुरू कर दिया था, जिससे उसका जीवन और व्यवसाय दोनों नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहे थे।


कमल ने तीसरे अध्याय के अनुभवों से सीखने के बाद, चौथे अध्याय पर ध्यान केंद्रित किया: "संदेह को गले लगाएं"।


इस अध्याय में कमल ने सीखा कि संदेह एक शक्तिशाली उपकरण है जो हमें अपनी सोच को सुधारने में मदद करता है। यह हमें चीजों को नए और अलग दृष्टिकोण से देखने के लिए प्रेरित करता है, जिससे हम बेहतर और सूझबूझ भरे निर्णय ले सकते हैं।


कमल को इस अध्याय का एक उदाहरण अपने बिजनेस में जल्द ही देखने को मिला। एक नया प्रोडक्ट लॉन्च करने की योजना बनाते समय, उसकी टीम के अधिकतर सदस्य बहुत उत्साहित थे और तुरंत लॉन्च करना चाहते थे। लेकिन कमल को थोड़ी शंका हुई कि शायद बाजार में पहले से मौजूद प्रतिस्पर्धा को लेकर उन्होंने पर्याप्त रिसर्च नहीं की है।


इस संदेह के कारण, कमल ने अपनी टीम से कहा कि वे एक बार फिर बाजार का गहराई से विश्लेषण करें। रिसर्च करने पर पता चला कि बाजार में एक बड़ा प्रतिस्पर्धी पहले से ही इसी तरह का प्रोडक्ट पेश कर चुका है, जिससे उनकी योजना को संशोधित करने की आवश्यकता पड़ी।


कमल ने महसूस किया कि यदि वह अपने संदेह को नजरअंदाज कर देता, तो यह एक बड़ा नुकसान हो सकता था। इस अनुभव ने उसे सिखाया कि संदेह को गले लगाना और अपने निर्णयों पर पुनर्विचार करना कितना जरूरी है।


इस से कमल ने सीखा कि संदेह हमें सतर्क रहने और चीजों को नए नजरिए से देखने में मदद करता है, जिससे हम अधिक विवेकपूर्ण और प्रभावी निर्णय ले सकते हैं। संदेह को गले लगाकर, कमल ने अपने बिजनेस में संभावित जोखिमों से बचने और बेहतर रणनीतियाँ अपनाने का तरीका सीखा।



कमल के सहकर्मी और दोस्त उसकी जिंदगी में हो रहे सकारात्मक बदलावों को देखकर हैरान थे। वे उससे पूछने लगे कि वह इतनी जल्दी इतना परफेक्ट कैसे हो रहा है। कमल ने उन्हें "Think Again" बुक के बारे में बताया और समझाया कि वह इसमें से सीखे गए पाठों को अपनी जिंदगी में उतार रहा है।


इसके बाद, कमल ने पांचवे अध्याय पर ध्यान केंद्रित किया: "गहन बातचीत करें"।


इस अध्याय में कमल ने सीखा कि अपनी सोच को सुधारने के लिए दूसरों के साथ गहन बातचीत करना बेहद जरूरी है। गहन बातचीत हमें अलग-अलग दृष्टिकोणों को समझने में मदद करती है और हमारी सोच को और गहराई से परखने का अवसर देती है।


कमल ने इस सिद्धांत को अपने जीवन में अपनाने के लिए एक कदम उठाया। एक बार ऑफिस में एक नई मार्केटिंग रणनीति पर चर्चा हो रही थी। पहले कमल सिर्फ अपनी राय रखता और आगे बढ़ जाता था, लेकिन इस बार उसने अपनी टीम के सभी सदस्यों से उनके विचार पूछे। उसने हर किसी के दृष्टिकोण को गहराई से सुना और उनके सुझावों पर चर्चा की।


इस गहन बातचीत के दौरान, कमल ने पाया कि एक टीम सदस्य ने एक बहुत ही अनूठा और प्रभावी विचार प्रस्तुत किया, जो पहले नजरअंदाज हो सकता था। इस विचार ने उनकी मार्केटिंग रणनीति को और भी प्रभावी बना दिया।


इस अनुभव से कमल ने सीखा कि गहन बातचीत न केवल विभिन्न दृष्टिकोणों को सामने लाती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि निर्णय अधिक विचारशील और व्यापक हों। उसने यह समझ लिया कि जब हम दूसरों के साथ गहराई से बातचीत करते हैं, तो हम अपनी सोच को और अधिक समृद्ध बना सकते हैं और बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।


कमल ने अपने सहकर्मियों और दोस्तों को भी यह सुझाव दिया कि वे गहन बातचीत को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं, ताकि वे भी अपने विचारों को सुधार सकें और नए दृष्टिकोण अपनाकर आगे बढ़ सकें।


कमल ने अपनी किताब "Think Again" का अगला अध्याय पढ़ना शुरू किया: "आलोचना को स्वीकार करें"।


इस अध्याय में कमल ने सीखा कि आलोचना को नकारात्मक रूप में देखने की बजाय इसे एक अवसर के रूप में देखना चाहिए। आलोचना हमें अपनी कमजोरियों को पहचानने और सुधारने का मौका देती है। खासकर जब यह रचनात्मक और सही इरादे से की गई हो, तो यह हमारे व्यक्तिगत और पेशेवर विकास के लिए बेहद उपयोगी हो सकती है।



 आलोचना से बचने की बजाय उसे अपनाएं। यह हमें अपनी गलतियों और कमियों को पहचानने में मदद करती है, जिससे हम बेहतर बन सकते हैं।



 रचनात्मक आलोचना हमारे काम में सुधार लाने का एक जरिया है। हमें इसे स्वीकार करके अपनी क्षमताओं को और मजबूत बनाना चाहिए।



 आलोचना को व्यक्तिगत रूप से लेने की बजाय, इसे एक सीखने का अनुभव मानें। यह हमें बेहतर बनने के लिए प्रेरित करती है।




कमल ने इस अध्याय को पढ़ते हुए अपने जीवन के कई अनुभवों को याद किया, जहां उसने आलोचना को नकारात्मक रूप में लिया था और उससे बचने की कोशिश की थी। लेकिन अब, उसने समझा कि आलोचना को अपनाने से वह अपनी कमजोरियों को सुधार सकता है और अपने बिजनेस में नई ऊंचाइयों को छू सकता है।



इस विचार को अपनाने के लिए कमल ने अपने ऑफिस में एक नई पहल शुरू की। उसने अपनी टीम के सदस्यों से आग्रह किया कि वे उसके काम पर ईमानदारी से रचनात्मक आलोचना दें। एक दिन, एक वरिष्ठ कर्मचारी ने उसकी प्रेजेंटेशन के कुछ पहलुओं पर आलोचना की, जिसे पहले कमल शायद अनदेखा कर देता। लेकिन अब उसने उस आलोचना को खुले दिल से स्वीकार किया और अपने प्रेजेंटेशन को सुधारने के लिए उस फीडबैक का उपयोग किया।


इस बदलाव का परिणाम यह हुआ कि उनकी अगली प्रेजेंटेशन में बड़े सुधार देखे गए और क्लाइंट्स से भी बेहतरीन प्रतिक्रिया मिली। कमल ने महसूस किया कि आलोचना को स्वीकार करना न केवल उसे व्यक्तिगत रूप से बेहतर बना रहा था, बल्कि उसके बिजनेस को भी नई दिशा में ले जा रहा था।



कमल ने यह भी महसूस किया कि आलोचना से डरने की बजाय, हमें इसका स्वागत करना चाहिए। यह हमें अपनी सीमाओं से बाहर निकलने और नए कौशल सीखने में मदद करती है। अब वह हर आलोचना को एक सीखने के अवसर के रूप में देखता और अपने जीवन में लागू करता।


इस नए दृष्टिकोण ने कमल को अधिक आत्मविश्वासी, सहनशील, और अपने कार्य में कुशल बना दिया। उसने अपनी टीम को भी यह सिखाया कि आलोचना से घबराने की बजाय, इसे अपनाना चाहिए ताकि वे भी अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में सुधार कर सकें।



 सातवें अध्याय की ओर कदम बढ़ाया: "नए दृष्टिकोण अपनाएं"।


इस अध्याय में कमल ने सीखा कि हमें हमेशा नए दृष्टिकोण और विचारों के प्रति खुला रहना चाहिए। तेजी से बदलती दुनिया में सफलता पाने के लिए यह जरूरी है कि हम अपनी सोच को लचीला बनाएं और नवाचारी दृष्टिकोण अपनाने के लिए तैयार रहें।


 अपनी पारंपरिक सोच को चुनौती दें और नए दृष्टिकोणों के लिए जगह बनाएं। यह बदलाव की दिशा में पहला कदम है।



 नई सोच और दृष्टिकोण हमें तेजी से बदलते परिवेश में अधिक अनुकूलनीय और नवाचारी बनाते हैं, जिससे हम चुनौतियों का सामना बेहतर तरीके से कर सकते हैं।



 विभिन्न विचारों और दृष्टिकोणों को अपनाने से हम अधिक समृद्ध और व्यापक दृष्टिकोण प्राप्त करते हैं, जो हमें नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद करता है।




कमल ने इस अध्याय से प्रेरित होकर अपने बिजनेस में एक नई पहल शुरू की। उसने अपनी टीम को निर्देश दिया कि वे हर महीने एक नए दृष्टिकोण या विचार पर चर्चा करें। एक मीटिंग के दौरान, एक जूनियर कर्मचारी ने एक नई मार्केटिंग तकनीक पेश की, जिसे पहले किसी ने नहीं आजमाया था। कमल ने इस विचार को खुले दिल से स्वीकार किया और इसे लागू करने का निर्णय लिया।


यह नया दृष्टिकोण उनके बिजनेस के लिए बेहद सफल साबित हुआ। उनकी कंपनी को नए क्लाइंट्स मिले और उनकी मार्केटिंग रणनीति में भी सुधार हुआ। कमल ने महसूस किया कि नए विचारों को अपनाने से उन्हें प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने में मदद मिली।



कमल ने अपने व्यक्तिगत जीवन में भी इस सिद्धांत को अपनाया। वह पहले कई बार अपनी सोच में अड़े रहते थे, लेकिन अब उन्होंने नए अनुभवों और विचारों को अपनाने की आदत डाल ली थी। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में किताबें पढ़ना शुरू किया, जिससे उनकी सोच और अधिक व्यापक और गहरी हो गई।




कमल ने सीखा कि नए दृष्टिकोण अपनाने से न केवल हमें नई संभावनाएं मिलती हैं, बल्कि यह हमें अधिक रचनात्मक और समस्या-समाधान में कुशल बनाता है। उन्होंने अपने दोस्तों और सहकर्मियों को भी यह सुझाव दिया कि वे अपने जीवन में नए दृष्टिकोण अपनाने की कोशिश करें, ताकि वे भी अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकें।


इस नए दृष्टिकोण ने कमल को अधिक लचीला और नवाचारी बना दिया, जिससे वह अपने बिजनेस और व्यक्तिगत जीवन में तेजी से बढ़ने लगा। कमल ने महसूस किया कि नए विचारों को अपनाने से उसकी सोच में न केवल गहराई आई है, बल्कि उसे अधिक सफल और आत्मविश्वासी भी बना दिया है।




कमल अपनी जिंदगी में हो रहे सकारात्मक बदलावों से बेहद खुश था। वह जानता था कि यह सब "Think Again" के पाठों को अपनी वास्तविक जिंदगी में उतारने का ही नतीजा है। अब वह अगले अध्याय की ओर बढ़ा: "पुनर्विचार की आदत विकसित करें"।




 हमें नियमित रूप से अपनी सोच और विश्वासों की समीक्षा करनी चाहिए। यह हमें यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि हम हमेशा सही दिशा में बढ़ रहे हैं।



 समय-समय पर अपनी धारणाओं और विश्वासों पर पुनर्विचार करने से हम अपने ज्ञान को बेहतर बना सकते हैं और नई परिस्थितियों के लिए तैयार रह सकते हैं।



 पुनर्विचार की आदत हमें अपने अहंकार को छोड़ने और अपनी गलतियों को स्वीकार करने में मदद करती है, जिससे हम लगातार सीखते और सुधारते रहते हैं।




इस अध्याय को पढ़ने के बाद, कमल ने फैसला किया कि वह नियमित रूप से अपनी सोच और विश्वासों की समीक्षा करेगा। उसने अपनी दिनचर्या में हर हफ्ते एक घंटे का समय निकाला, जिसमें वह अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के फैसलों पर पुनर्विचार करता।


एक दिन, उसने अपने बिजनेस की एक पुरानी रणनीति की समीक्षा की, जिसे वह काफी समय से इस्तेमाल कर रहा था। इस पुनर्विचार के दौरान, कमल ने महसूस किया कि बाजार की नई परिस्थितियों को देखते हुए यह रणनीति अब उतनी प्रभावी नहीं रही। उसने तुरंत नई जानकारी और अनुभवों के आधार पर अपनी रणनीति को अपडेट किया, जिससे उनके बिजनेस में और अधिक प्रगति हुई।




कमल ने महसूस किया कि पुनर्विचार की आदत सिर्फ बिजनेस के लिए ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत जीवन में भी बेहद महत्वपूर्ण है। उसने अपने पुराने विचारों और धारणाओं को चुनौती देना शुरू किया और पाया कि कई जगहों पर सुधार की गुंजाइश थी। उसने अपने रिश्तों, स्वास्थ्य, और आत्म-विकास की दिशा में नए कदम उठाए, जो उसकी जिंदगी में बड़े बदलाव लाए।



कमल ने यह भी सीखा कि पुनर्विचार की आदत हमें अधिक जागरूक और लचीला बनाती है। यह हमें नई संभावनाओं को देखने और अधिक रचनात्मक समाधान खोजने में मदद करती है। उसने अपने दोस्तों और सहकर्मियों को भी यह सलाह दी कि वे अपनी सोच और विश्वासों की नियमित समीक्षा करें ताकि वे भी अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकें


कमल ने महसूस किया कि पुनर्विचार की आदत ने उसे एक बेहतर इंसान और बिजनेस लीडर बनने में मदद की। अब वह हर निर्णय और सोच पर दोबारा विचार करता, जिससे उसकी समझ और ज्ञान में लगातार सुधार हो रहा था। कमल ने महसूस किया कि यह आदत उसे अपने जीवन के हर पहलू में अधिक सक्षम और सफल बना रही है।


"Think Again" खत्म करने के बाद कमल की जिंदगी में असली बदलाव की शुरुआत हुई। उसने सीखे गए हर पाठ को अपने जीवन में अपनाया और महसूस किया कि सीखने की प्रक्रिया कभी खत्म नहीं होती।


अब वह नियमित रूप से अपनी सोच और फैसलों पर पुनर्विचार करता, दूसरों से सीखता और नई चीजों के लिए खुला रहता। उसकी इस नई सोच ने बिजनेस और व्यक्तिगत जीवन दोनों में उसे सफल और खुशहाल बना दिया।


कमल की यह नई यात्रा उसे लगातार आगे बढ़ने और बेहतर बनने की ओर ले जा रही थी।

यह थी 'Think Again' से सीखी गई कुछ अहम बातें। अगर आपको यह post पसंद आया हो और आपने कुछ नया सीखा हो, तो लाइक और शेयर जरूर करें। ऐसी और भी post के लिए 'Anil Saharan' को follow करना न भूलें। मिलते हैं, तब तक के लिए धन्यवाद!



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