Build an Epic Career by Ankur Warikoo | किताब से सीखें करियर के राज़

 क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी ज़िंदगी में कोई बदलाव आ सकता है? क्या आप कभी खुद से यह सवाल करते हैं कि आप अपने सपनों को हकीकत बना सकते हैं?






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मैंने भी यही सवाल पूछा था, और उस सवाल का जवाब मुझे एक किताब में मिला।

आज हम बात करेंगे एक ऐसी ही किताब की, 'Build an Epic Career' by अंकुर वारिकू। इस किताब ने मेरे जीवन को पूरी तरह से बदल दिया और मुझे एक नई दिशा दी।

अगर आप भी अपनी ज़िंदगी में बदलाव लाना चाहते हैं, तो इस को अंत तक जरूर देखें।

मैं हूं अनिल सहारण, और आज हम बात करेंगे 'Build an Epic Career' by अंकुर वारिकू की, जो आपके करियर और जीवन को बेहतर बनाने की राह पर आपको ले जाएगा।



परवीन, एक छोटे से गाँव का लड़का, जिसकी ज़िंदगी में न तो ज़्यादा विकल्प थे और न ही कोई बड़ा मार्गदर्शन। लेकिन उसके दिल में हमेशा एक सवाल रहता, "क्या मेरी ज़िंदगी भी बदल सकती है?" वो 20 साल का था और कॉलेज में नई-नई चीज़ें सीखने की कोशिश कर रहा था।


कॉलेज में उसकी मुलाकात स्नेहा से हुई। स्नेहा एक समझदार और आत्मनिर्भर लड़की थी, जो हमेशा दूसरों को प्रेरित करने में विश्वास रखती थी। वो किताबों की बहुत शौकीन थी और अपने अनुभवों से दूसरों को सिखाने का जुनून रखती थी।

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एक दिन, परवीन और स्नेहा कैंटीन में बैठे थे। परवीन ने स्नेहा से पूछा, "स्नेहा, तुम्हें हमेशा इतना आत्मविश्वास कहाँ से मिलता है? मैं तो अक्सर अपने ही सपनों को लेकर कन्फ्यूज रहता हूँ।"


स्नेहा मुस्कुराई और कहा, "परवीन, मैंने एक ऐसी किताब पढ़ी है जिसने मेरी ज़िंदगी बदल दी। उसका नाम है 'Build an Epic Career'। यह किताब सिर्फ एक करियर गाइड नहीं है, यह तुम्हारे सोचने का तरीका बदल देती है।"


परवीन ने जिज्ञासा से पूछा, "इस किताब में ऐसा क्या खास है?"


स्नेहा ने जवाब दिया, "यह किताब बताती है कि कैसे अपने सपनों को हकीकत में बदला जा सकता है। इसमें करियर से जुड़ी चुनौतियों, गलतियों और आदतों पर गहराई से बात की गई है। तुम इसे एक बार पढ़ोगे तो तुम्हें खुद में बदलाव महसूस होगा।"



स्नेहा की बातें परवीन के दिल को छू गईं। अगले ही दिन, परवीन ने इस किताब को खरीदने का फैसला किया। किताब को हाथ में पकड़ते हुए उसने सोचा, "यह किताब दिखने में तो साधारण लग रही है, लेकिन शायद इसके अंदर कुछ खास है।"


घर पहुँचने पर परवीन ने किताब को पढ़ना शुरू किया। शुरुआत में उसे यह सामान्य लग रही थी, लेकिन जैसे-जैसे उसने पढ़ना शुरू किया, उसे एहसास हुआ कि यह किताब उसकी ज़िंदगी के कई सवालों का जवाब दे रही है।

जब परवीन ने पहले अध्याय का शीर्षक पढ़ा—"WTF Is a Career, Anyway?", तो उसे लगा कि यह अध्याय कुछ अलग और बेहद दिलचस्प होगा। जैसे-जैसे उसने पढ़ना शुरू किया, उसे समझ में आने लगा कि करियर का मतलब केवल नौकरी करना या पैसा कमाना नहीं है।


लेखक ने लिखा था, "करियर केवल वह नहीं है जो आप करते हैं, बल्कि यह वह है जो आपको संतोष और उद्देश्य प्रदान करता है। सही करियर वह होता है जो आपके मूल्यों और जुनून के साथ मेल खाता हो।"


परवीन ने एक गहरी सांस ली और खुद से पूछा, "मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है? क्या मैं अभी जो कर रहा हूँ, वह मेरे मूल्यों और जुनून से मेल खाता है?"


उसने अपनी अब तक की जिंदगी पर नजर डाली। कॉलेज में उसने कई बार सोचा था कि वह क्या बनना चाहता है, लेकिन हर बार यह सोचकर रुक जाता कि उसके पास विकल्प नहीं हैं। उसने खुद को एक नौकरी पाने तक सीमित कर लिया था, बिना यह सोचे कि वह कौन-सी चीज़ करना पसंद करता है या उसमें जुनून है।


लेकिन अब, इस किताब ने उसे सोचने पर मजबूर कर दिया। उसने अपनी नोटबुक निकाली और लिखा:




मुझे किस चीज़ में सबसे ज्यादा मज़ा आता है?

मैं कौन-से काम में खुद को बेहतर कर सकता हूँ?

क्या मेरा वर्तमान पढ़ाई और मेहनत मेरे भविष्य के उद्देश्य से मेल खाती है?


किताब के इस हिस्से ने उसे याद दिलाया कि स्नेहा ने हमेशा कहा था, "जो भी करो, उसमें दिल लगाकर करो। ऐसा काम करो जो तुम्हें हर सुबह उत्साह से भर दे।"


उसने सोचा कि स्नेहा कितनी सही थी। स्नेहा ने अपने करियर को केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं रखा था। वह दूसरों को प्रेरित करती थी, अपने जुनून को समझती थी, और हमेशा अपनी जिंदगी में संतुलन बनाए रखती थी।


परवीन ने किताब का पहला अध्याय खत्म करते हुए महसूस किया कि उसे खुद की खोज शुरू करनी होगी। उसे अपने अंदर झांकना होगा और यह समझना होगा कि उसकी असली खुशी और जुनून कहां है। उसने तय किया कि अगले दिन वह अपनी पुरानी आदतों और सोच पर काम करना शुरू करेगा।


परवीन अपने जुनून को खोजने के लिए हर दिन 30 मिनट का समय देगा।

वह किताब के अगले अध्याय को पढ़ने के बाद उसमें दिए गए सुझावों को तुरंत अपनी जिंदगी में लागू करेगा।

स्नेहा से वह अपने विचार साझा करेगा और उससे मार्गदर्शन मांगेगा।

यह यात्रा परवीन के लिए एक नया मोड़ थी, जहाँ उसने अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने की शुरुआत की।


रात का समय था। परवीन अपने कमरे में बैठा था, किताब उसके हाथ में थी। उसने अध्याय का शीर्षक पढ़ा—"Finding Your Passion"। पढ़ते-पढ़ते एक वाक्य ने उसका ध्यान खींचा:


"जुनून हमेशा स्पष्ट नहीं होता; इसे खोजने के लिए प्रयोग करें।"


इस वाक्य ने परवीन को अतीत में ले जाकर खड़ा कर दिया। उसने अपनी आँखें बंद कीं और खुद से पूछा, "क्या मुझे याद है कि बचपन में मैं क्या बनना चाहता था?"


धीरे-धीरे, बचपन की धुंधली यादें ताजा होने लगीं।


उसे याद आया कि जब वह छोटा था, तो उसे कहानियाँ सुनाना और लिखना बेहद पसंद था। वह अपने दोस्तों को नए-नए किरदार और रोमांचक कहानियाँ सुनाया करता था।

वह फुटबॉल का दीवाना था और अक्सर अपनी गली के बच्चों के साथ पूरे दिन फुटबॉल खेला करता था।

उसे पेंटिंग का भी शौक था। वह अपने स्कूल के ड्रॉइंग कॉम्पिटिशन में कई बार हिस्सा ले चुका था।

लेकिन जैसे-जैसे समय बीता और पढ़ाई का दबाव बढ़ा, ये सारी चीज़ें कहीं पीछे छूट गईं। उसने खुद से कहा, "मैंने अपनी जिंदगी को केवल अच्छे नंबर लाने और एक नौकरी पाने तक सीमित कर दिया है। लेकिन क्या मैं वाकई इससे खुश हूँ?"


अध्याय में लेखक ने लिखा था:

"अपने बचपन के शौक, रुचियों और इच्छाओं का विश्लेषण करें। वे आपके जुनून की ओर संकेत करते हैं। यह जरूरी नहीं कि आपका जुनून वही हो जिससे शुरुआत में पैसा कमाएं, लेकिन यह वह है जो आपको हर दिन उत्साहित करता है।"


ये शब्द परवीन के दिल में उतर गए। उसने महसूस किया कि उसने अपनी जिंदगी को बस जिम्मेदारियों और सामाजिक अपेक्षाओं के आधार पर जिया है, लेकिन अब समय आ गया है कि वह खुद को फिर से खोजे।


उसने तय किया कि वह अपने पुराने शौकों और इच्छाओं को फिर से खोजना शुरू करेगा। उसने अपनी नोटबुक उठाई और लिखा:


फुटबॉल: क्या मैं फिर से इसे खेलना शुरू कर सकता हूँ, भले ही शौक के लिए?

कहानियाँ लिखना: क्या मैं अपने विचारों और अनुभवों को लिखने का समय निकाल सकता हूँ?

पेंटिंग: क्या मैं अपने अंदर की उस रचनात्मकता को फिर से जगा सकता हूँ?


उसने तय किया कि अगले दिन वह स्नेहा से इस बारे में बात करेगा। वह जानता था कि स्नेहा उसकी इस यात्रा में मदद कर सकती है। उसने सोचा, "शायद वह मुझे एक ऐसा तरीका बता सके जिससे मैं अपने जुनून को अपने जीवन का हिस्सा बना सकूँ।"



परवीन बचपन की यादों से प्रेरित होकर अपने जुनून को दोबारा जीने की कोशिश करेगा।

वह छोटे-छोटे प्रयोग करेगा, जैसे फुटबॉल खेलना, लिखने की शुरुआत करना और पेंटिंग करना।

वह किताब पढ़ते हुए अगले अध्याय से भी सीखने की कोशिश करेगा।

उस रात, परवीन ने महसूस किया कि यह किताब सिर्फ शब्दों का संग्रह नहीं थी, बल्कि उसकी जिंदगी को दिशा देने वाली गाइड थी। उसने खुद से कहा, "जुनून खोजना और उसे अपनाना मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा बदलाव होगा।"



अगले दिन, परवीन ने अपने दिन की शुरुआत एक नई ऊर्जा के साथ की। उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसने अपनी जिंदगी को दोबारा जीने का एक मौका पा लिया हो। उसने अपनी किताब को बैग में रखा और तय किया कि स्नेहा से अपनी बात जरूर साझा करेगा।

कॉलेज जाने से पहले, परवीन ने एक बदलाव किया। उसने सुबह जल्दी उठकर अपनी पुरानी आदतों को फिर से जीने की कोशिश शुरू की।


उसने 15 मिनट का समय लेकर एक कहानी लिखने की कोशिश की। यह कहानी एक छोटे बच्चे के साहस की थी जो अपने डर को हराकर जंगल में खोए खजाने को ढूंढता है।

फिर उसने फुटबॉल को लेकर अपना एक पुराना बैग देखा, जो धूल से भरा था। उसने तय किया कि वह अपने दोस्तों के साथ शाम को मैदान में खेलना शुरू करेगा।

पेंटिंग के लिए उसने बाजार से एक स्केच बुक खरीदी और सोचा कि वह रात में इसे इस्तेमाल करेगा।


कॉलेज में कैंटीन में, स्नेहा पहले से बैठी हुई थी। परवीन ने उसके पास जाकर कहा, "स्नेहा, मैं तुमसे कुछ शेयर करना चाहता हूँ। तुम्हारी बताई किताब पढ़ने के बाद मुझे ऐसा लगता है कि मैं अपने अंदर कुछ बदल सकता हूँ।"


स्नेहा मुस्कुराई और बोली, "यह तो बहुत अच्छी बात है, परवीन। क्या तुमने कुछ सोचा कि तुम्हारा अगला कदम क्या होगा?"




परवीन ने अपनी नोटबुक निकाली और स्नेहा को अपने लिखे हुए शौक दिखाए। उसने बताया कि वह फुटबॉल खेलना, कहानियाँ लिखना और पेंटिंग करना दोबारा शुरू कर रहा है।


स्नेहा ने खुशी से कहा, "यह बेहतरीन है! देखो, जुनून हमें खुश रखता है और हमें हमारी जिंदगी के सही उद्देश्य से जोड़ता है। लेकिन याद रखना, धीरे-धीरे शुरुआत करो। यह जरूरी नहीं कि सब कुछ एक ही दिन में बदल जाए।"



उस शाम, परवीन ने मैदान में अपने पुराने दोस्तों को बुलाया। वह कई साल बाद फुटबॉल खेल रहा था। शुरुआत में वह थोड़ा घबराया, लेकिन जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ा, उसे ऐसा लगा जैसे वह अपना पुराना समय जी रहा है।


घर लौटने के बाद, उसने स्केच बुक खोली और अपने बचपन के किसी दृश्य को याद करते हुए एक पेड़ और नदी का चित्र बनाया। यह साधारण था, लेकिन उसे बेहद खुशी महसूस हुई।



रात में सोने से पहले, परवीन ने किताब का वह हिस्सा फिर से पढ़ा, जहां लिखा था:

"जुनून को अपने जीवन का हिस्सा बनाना समय और धैर्य मांगता है। छोटे-छोटे कदम उठाओ और हर कदम का आनंद लो।"


उसने महसूस किया कि यह बदलाव उसे अंदर से मजबूत बना रहा है।


परवीन ने तय किया कि हर हफ्ते एक नई कहानी लिखेगा।

उसने अपने कॉलेज के एक पेंटिंग कॉम्पिटिशन में हिस्सा लेने का फैसला किया।

उसने स्नेहा से हर हफ्ते अपने अनुभव साझा करने का वादा किया ताकि वह अपने सफर को लेकर प्रेरित रह सके।

यह नई शुरुआत परवीन के लिए न केवल खुशी की वजह बनी, बल्कि उसे अपने अंदर छुपी संभावनाओं को पहचानने का मौका भी मिला। उसने महसूस किया कि जब हम अपने जुनून को अपनाते हैं, तो जिंदगी में न केवल उत्साह बढ़ता है, बल्कि उद्देश्य भी मिलता है।


अगली रात, जब परवीन ने किताब का अगला अध्याय पढ़ना शुरू किया, तो अध्याय का शीर्षक था: "Reset Your Mindset!"।

यह पढ़ते ही उसे अपनी पिछली असफलताएं याद आने लगीं। उसने महसूस किया कि उसकी असफलता का मुख्य कारण उसका अपनी मानसिकता को नहीं बदलना था।



परवीन को वह दिन याद आया जब उसने स्कूल के दौरान एक साइंस प्रोजेक्ट बनाया था।


वह प्रोजेक्ट बहुत मेहनत से तैयार किया गया था, लेकिन जब उसका प्रदर्शन हुआ, तो वह उम्मीद के अनुसार काम नहीं कर पाया।

उसे टीचर्स से सराहना मिलने की बजाय आलोचना का सामना करना पड़ा।

उस दिन परवीन ने खुद से कहा था, "मैं इसमें अच्छा नहीं हूँ। अब मैं कभी ऐसा कुछ नहीं करूंगा।"

यह सोचते-सोचते उसने कई सालों तक कुछ नया करने की कोशिश ही नहीं की। वह डर और असफलता के कारण अपने कम्फर्ट ज़ोन में रहना ही पसंद करने लगा।

लेखक ने लिखा था:

"असफलताएं आपको रोकने के लिए नहीं होतीं, बल्कि आपको सिखाने के लिए होती हैं। हर असफलता में एक पाठ छिपा होता है।"


यह वाक्य परवीन के दिल में उतर गया। उसने सोचा, "मैंने अपनी असफलताओं को क्यों विकास का अवसर नहीं माना? मैंने क्यों हार मान ली?"

उसने महसूस किया कि अगर उसने उस साइंस प्रोजेक्ट को एक और बार बनाने की कोशिश की होती, तो शायद उसे सफलता मिल सकती थी।




परवीन ने खुद से पूछा:


"मैं बार-बार वही आदतें क्यों दोहराता हूँ, जो मुझे आगे बढ़ने से रोकती हैं?"

"क्या मुझे अपने डर को चुनौती देनी चाहिए?"

"क्या मैं अपनी सोच को फिर से व्यवस्थित कर सकता हूँ?"


परवीन ने तय किया कि वह अब अपनी असफलताओं को विकास का हिस्सा मानेगा और हर असफलता से सीखेगा। उसने अपनी पुरानी आदतों को बदलने के लिए एक योजना बनाई:


छोटी शुरुआत करें: वह छोटे-छोटे लक्ष्य बनाकर उन्हें पूरा करने की कोशिश करेगा।

असफलताओं का जश्न मनाएं: अगर वह किसी काम में असफल होता है, तो वह यह सोचेगा कि उसने क्या सीखा और अगली बार कैसे बेहतर हो सकता है।

डर का सामना करें: वह उन चीजों को करने की कोशिश करेगा जिनसे वह हमेशा डरता था।

अगले दिन परवीन ने स्नेहा से बात की और कहा, "स्नेहा, मैं हमेशा अपनी असफलताओं से भागता रहा हूँ। लेकिन अब मैं अपनी सोच बदलना चाहता हूँ।"


स्नेहा ने परवीन को प्रेरित करते हुए कहा, "यह तो बहुत अच्छी बात है। जब हम अपनी असफलताओं से सीखते हैं, तो वही हमें मजबूत बनाती हैं। और याद रखना, बदलाव रातों-रात नहीं होता, लेकिन छोटे कदम भी बड़ा बदलाव ला सकते हैं।"


परवीन ने फैसला किया कि वह उस साइंस प्रोजेक्ट को दोबारा बनाएगा, जिसे उसने अधूरा छोड़ दिया था। उसने यूट्यूब पर वीडियो देखे, रिसर्च की और धीरे-धीरे अपनी स्किल्स को सुधारना शुरू किया।


कुछ ही हफ्तों में, परवीन ने महसूस किया कि उसकी सोच और आदतों में बदलाव आ रहा है।


वह असफलताओं से डरने के बजाय उनसे सीखने लगा।

उसकी आत्म-चेतना बढ़ने लगी और उसने महसूस किया कि वह किसी भी काम को कर सकता है।

वह अब अपनी किताब में लिखी हर बात को अपनी जिंदगी से जोड़ने की कोशिश करता था।

परवीन ने सीखा कि सही मानसिकता से न केवल असफलताओं का सामना किया जा सकता है, बल्कि उन्हें सफलता में बदला जा सकता है। उसने खुद से वादा किया, "मैं हर असफलता को अपनी सफलता की सीढ़ी बनाऊंगा।"


परवीन ने किताब के अगले अध्याय, "21 Habits for Highly Effective Careers," को पढ़ना शुरू किया। जैसे-जैसे उसने लेखक अनकुर वारिकू की बातें पढ़ीं, उसे एहसास हुआ कि उसकी जिंदगी में असली बदलाव लाने के लिए इन आदतों को अपनाना बेहद जरूरी है।


1. अनुशासन: नियमित आदतें विकसित करें

लेखक ने लिखा था:

"अगर आप अपने सपनों को हकीकत में बदलना चाहते हैं, तो अनुशासन आपका सबसे अच्छा साथी है।"


परवीन को एहसास हुआ कि उसने अपनी पढ़ाई और दिनचर्या में अनुशासन लाकर ही अब तक इतनी प्रगति की थी।


वह रोज सुबह उठकर किताब पढ़ने लगा।

दिनभर अपने समय को सही तरीके से बांटकर वह सभी जरूरी काम पूरे करता था।

उसने खुद से कहा, "अनुशासन मेरे जीवन का आधार बन रहा है। अब मैं इसे कभी टूटने नहीं दूंगा।"


2. सीखने की आदत: नई स्किल्स में निवेश करें

लेखक ने लिखा था:

"हर नई स्किल आपको बेहतर बनाती है और आपके करियर को नई ऊंचाइयों तक ले जाती है।"


परवीन को याद आया कि कैसे उसने एक बार वीडियो एडिटिंग सीखने की कोशिश की थी, लेकिन बीच में ही छोड़ दी थी।

अब उसने फैसला किया कि वह इसे पूरा करेगा। उसने यूट्यूब से मुफ्त में एडिटिंग सीखनी शुरू की और महसूस किया कि हर नई स्किल उसे और आत्मविश्वासी बना रही थी।


3. नेटवर्किंग: सही लोगों के साथ जुड़ें

लेखक का यह पॉइंट परवीन के दिल को छू गया।

"आप जिन लोगों के साथ समय बिताते हैं, वे आपकी सोच और करियर को बहुत हद तक प्रभावित करते हैं। सही लोगों से जुड़ना सफलता की कुंजी है।"


परवीन को स्नेहा के साथ हुई बातचीत याद आई।


अगर स्नेहा ने उसे किताब के बारे में न बताया होता, तो वह शायद अभी भी वही पुराना परवीन होता।

उसने महसूस किया कि स्नेहा जैसे लोगों के साथ दोस्ती ने उसकी सोच और जीवन को पूरी तरह बदल दिया था।

उसने यह भी सोचा, "मुझे और ऐसे लोगों से मिलना चाहिए जो प्रेरणादायक हों, ताकि मैं और बेहतर बन सकूं।"




4. अपने समय और ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं

लेखक ने लिखा था:

"आपके पास समय और ऊर्जा सीमित है। इसे व्यर्थ चीजों पर खर्च करने के बजाय सही दिशा में लगाएं।"


परवीन को याद आया कि कैसे वह पहले सोशल मीडिया पर घंटों बर्बाद करता था।

अब उसने फैसला किया कि वह:


अपने समय का इस्तेमाल सिर्फ किताब पढ़ने, नई स्किल्स सीखने और अपने सपनों की ओर बढ़ने में करेगा।

उसने अपनी दिनचर्या और भी व्यवस्थित कर ली।

5. दीर्घकालिक सोच विकसित करें

लेखक ने कहा था:

"तुरंत मिलने वाले परिणामों पर ध्यान न देकर दीर्घकालिक लक्ष्यों पर काम करें।"


परवीन ने खुद से पूछा:

"मैं अपने करियर और जीवन में 10 साल बाद कहां होना चाहता हूँ?"


उसने महसूस किया कि उसे अपने छोटे-छोटे लक्ष्यों को दीर्घकालिक दृष्टि से जोड़ना होगा।

उसने प्लान बनाया कि वह हर साल एक नई स्किल सीखेगा, जो उसे अपने करियर में आगे बढ़ने में मदद करेगी।


इस अध्याय ने परवीन की सोच को और गहराई दी। उसने खुद से वादा किया:


हर दिन नई चीज़ सीखूंगा।

अपने समय और ऊर्जा को सही कामों में लगाऊंगा।

सही लोगों के साथ दोस्ती करूंगा।

हर असफलता को एक सबक मानूंगा।

दीर्घकालिक दृष्टिकोण से काम करूंगा।

अगले दिन, परवीन ने स्नेहा से कहा, "स्नेहा, तुम्हारे साथ बातचीत और इस किताब ने मेरी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया है। मैं अब अपने समय, आदतों और नेटवर्किंग पर ज्यादा ध्यान दे रहा हूँ।"


स्नेहा मुस्कुराई और बोली, "परवीन, बदलाव कभी आसान नहीं होता, लेकिन तुम सही दिशा में बढ़ रहे हो। याद रखो, सफलता पाने के लिए हमें हर दिन थोड़ा-थोड़ा बेहतर बनने की कोशिश करनी चाहिए।"


अब परवीन अपने जीवन को पूरी तरह बदलने के रास्ते पर था।


उसने अपने जीवन के हर पहलू पर काम करना शुरू कर दिया।

उसे एहसास हो रहा था कि सही आदतें और सही सोच उसके जीवन को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती हैं।

परवीन ने किताब का अगला अध्याय "Career Choices" पढ़ना शुरू किया। यह अध्याय पढ़ते समय उसे लगा कि लेखक जैसे उसकी जिंदगी की बात कर रहे हैं। हर शब्द ने उसे गहराई तक सोचने पर मजबूर कर दिया।


लेखक ने लिखा था:

"करियर का चुनाव केवल पैसे के आधार पर न करें। यह आपके मूल्यों, रुचियों और स्किल्स के अनुरूप होना चाहिए।"


यह पढ़ते ही परवीन को अपने कॉलेज के दिनों का एक किस्सा याद आया।


जब उसने अपने दोस्तों के कहने पर इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया था।

लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, उसे महसूस हुआ कि उसे इस फील्ड में कोई रुचि नहीं है।

उसने यह भी सोचा कि अगर वह उस समय अपने दिल की सुनता, तो शायद वह कुछ और बेहतर कर सकता था।

अब परवीन ने फैसला किया:

"आगे जो भी करियर चुनूंगा, वह मेरी रुचि और स्किल्स के अनुसार होगा।"


लेखक का यह पॉइंट परवीन के लिए आंखें खोलने वाला था।

"गलत करियर का चुनाव भी कभी-कभी आपको सही रास्ता दिखा सकता है। यह अनुभव सिखाता है कि आपके लिए क्या सही नहीं है।"




परवीन ने महसूस किया कि:


इंजीनियरिंग में एडमिशन लेना उसकी एक गलती थी, लेकिन इसी गलती ने उसे अपनी रुचियों और पसंद को समझने का मौका दिया।

उसने सीखा कि उसे पढ़ाई और सीखने में मजा आता है, खासकर जब वह खुद को आत्मनिर्भर और स्वतंत्र महसूस करता है।

उसने खुद से कहा, "गलतियां सीखने का मौका देती हैं, और मुझे अपनी गलतियों को एक नई दिशा में ले जाने का प्रयास करना चाहिए।"


लेखक ने लिखा था:

"पैसा महत्वपूर्ण है, लेकिन करियर का असली उद्देश्य संतोष और खुशी लाना है।"


परवीन को याद आया कि उसके कई दोस्त सिर्फ मोटी सैलरी के चक्कर में नौकरियां करते थे, लेकिन वे कभी खुश नहीं लगते थे।


वह सोचने लगा, "क्या मैं भी सिर्फ पैसे के लिए काम करना चाहता हूँ, या मुझे ऐसा कुछ करना चाहिए जो मुझे सच्ची खुशी दे?"

स्नेहा के साथ बातचीत करते हुए उसने कहा,

"स्नेहा, इस किताब ने मुझे समझाया है कि पैसे से ज्यादा जरूरी है ऐसा काम करना जो मुझे खुश और संतोषजनक लगे।"


स्नेहा ने जवाब दिया, "बिल्कुल सही! अगर आपका करियर आपके जीवन के उद्देश्य के साथ मेल खाता है, तो पैसा अपने आप आ जाएगा।"


अध्याय पढ़ने के बाद परवीन ने खुद से वादा किया:


अपनी रुचियों और मूल्यों को प्राथमिकता दूंगा।

हर अनुभव को सीखने का मौका मानूंगा।

करियर को केवल पैसा कमाने के साधन के रूप में नहीं, बल्कि अपने सपनों को जीने के तरीके के रूप में देखूंगा।

परवीन अब अपनी जिंदगी को एक नई दिशा देने के लिए तैयार था।


उसने अपनी पुरानी रुचियों और स्किल्स का विश्लेषण करना शुरू किया।

उसने खुद से पूछा, "मुझे क्या करना सबसे ज्यादा पसंद है? मैं अपने जीवन में क्या योगदान देना चाहता हूँ?"

उसने फैसला किया कि वह एक ऐसा करियर चुनेगा जिसमें वह अपनी पसंद और जुनून को जी सके।

अगले दिन परवीन ने स्नेहा से कहा, "स्नेहा, मैंने फैसला किया है कि मैं अपनी जिंदगी में सिर्फ वही करूंगा जो मुझे पसंद है। मुझे अपने लिए सही करियर की तलाश करनी है।"


स्नेहा ने उसे प्रोत्साहित करते हुए कहा,

"यह बहुत बड़ी बात है, परवीन। तुम्हारी सोच सही दिशा में जा रही है। मैं तुम्हें एक सलाह दूंगी—तुम अपने जुनून और स्किल्स का एक लिस्ट बनाओ और उन पर काम शुरू करो।"


अब परवीन ने एक नोटबुक में अपनी रुचियों और स्किल्स की लिस्ट बनानी शुरू की। उसने अपने बचपन के शौक, कॉलेज के अनुभव, और स्नेहा के साथ हुई बातचीत से प्रेरणा लेते हुए:


लेखन में रुचि को विकसित करने का फैसला किया।

पढ़ाई और नई स्किल्स सीखने पर ध्यान केंद्रित किया।

यूट्यूब पर शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक वीडियो बनाने की योजना बनाई।

इस अध्याय ने परवीन को यह समझने में मदद की कि सही करियर का चुनाव जीवन को कितना बेहतर बना सकता है।


अब वह अपने हर कदम को सोच-समझकर उठाने के लिए तैयार था।

उसने महसूस किया कि करियर केवल पैसा कमाने का जरिया नहीं, बल्कि अपने सपनों को जीने का माध्यम है।

परवीन ने किताब का अगला अध्याय  The Power of Perseverance पढ़ना शुरू किया।


"सफलता के लिए धैर्य और लगातार प्रयास सबसे जरूरी हैं।"

लेखक अनकुर वारिकू ने इस अध्याय में लिखा:


असफलताओं से सीखें और आगे बढ़ें।

छोटे-छोटे कदम उठाएं, लेकिन उन्हें नियमित रखें।

धैर्य और लगन से ही बड़े सपने पूरे होते हैं।

यह अध्याय पढ़ते हुए परवीन को अपनी जिंदगी की कई घटनाएं याद आईं।


उसे याद आया कि एक बार उसने स्कूल में भाषण प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था, लेकिन वह पहला राउंड भी पास नहीं कर सका।

इस असफलता के बाद उसने कभी भाषण देने की हिम्मत ही नहीं की।

अब परवीन ने खुद से कहा,

"मैंने हर असफलता के बाद हार मान ली, लेकिन यह किताब मुझे सिखा रही है कि असफलता ही सबसे बड़ा शिक्षक है।"


परवीन ने लेखक के सुझाव पर अमल करने का फैसला किया:


छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएंगे।

हर दिन एक पेज पढ़ूंगा।

हर हफ्ते एक नई स्किल सीखूंगा।

धैर्य रखूंगा।

बदलाव तुरंत नहीं आता, लेकिन लगातार प्रयास से सब कुछ संभव है।

अपनी असफलताओं को स्वीकार करूंगा।

वह अपने पुराने अनुभवों से सीखने के लिए एक "जर्नल" लिखने लगा।

अगले दिन परवीन ने स्नेहा से कहा,

"स्नेहा, इस किताब ने मुझे सिखाया है कि धैर्य और लगन से ही मैं अपने सपनों को पूरा कर सकता हूँ। मुझे अब असफलताओं से डर नहीं लगता।"




स्नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा,

"परवीन, यह बहुत बड़ी बात है। सफल लोग वही होते हैं जो अपनी असफलताओं से सीखते हैं और हार नहीं मानते। तुम सही रास्ते पर हो।"


अब परवीन ने अपनी जिंदगी में कुछ नई आदतें शामिल कीं:


रोजाना किताब पढ़ना।

हर सुबह अपने लक्ष्य लिखना।

असफलताओं और उपलब्धियों का विश्लेषण करना।

धैर्य और अनुशासन बनाए रखना।

अब परवीन को हर सुबह उठने पर नई ऊर्जा महसूस होती थी।

किताब पढ़ना उसकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया था।

वह हर दिन खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करता था।



"करियर का असली उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना नहीं है, बल्कि वित्तीय स्वतंत्रता और स्थिरता हासिल करना है।"

लेखक अनकुर वारिकू इस अध्याय में लिखते हैं:


पैसे कमाने से ज्यादा महत्वपूर्ण है उसे सही तरीके से मैनेज करना।

खर्च, बचत और निवेश में सही संतुलन बनाना जरूरी है।

छोटी-छोटी बचत और नियमित निवेश दीर्घकालिक संपत्ति बनाते हैं।

इस अध्याय को पढ़ते हुए परवीन को अपने दोस्त राहुल की याद आई।


राहुल के पास अच्छी नौकरी और अच्छा वेतन था, लेकिन उसके फिजूलखर्च और ईएमआई के कारण वह हमेशा तनाव में रहता था।

राहुल को कई बार परवीन ने SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) में निवेश करने का सुझाव दिया था, लेकिन उसका जवाब हमेशा यही रहता था, "अभी पैसे नहीं हैं, अगले महीने देखता हूँ।"

परवीन ने सोचा, "राहुल जैसे लोग इस बात को नहीं समझते कि बचत और निवेश की शुरुआत छोटे कदमों से होती है। अगर वह समय पर शुरुआत करता, तो आज उसकी आर्थिक स्थिति बेहतर होती।"


परवीन ने इस अध्याय से प्रेरणा लेते हुए अपनी वित्तीय योजना तैयार की:


अनावश्यक खर्चों की लिस्ट बनाई और उन्हें कम करने का निर्णय लिया।

हर महीने अपनी आय का 20% बचाने का लक्ष्य रखा।

SIP में निवेश शुरू किया, भले ही छोटी राशि से।

निफ्टी 50 ETF और गोल्ड ETF में निवेश पर ध्यान दिया, जैसा उसने पहले सीखा था।

तीन महीने की आय के बराबर रकम अलग रखी।

अगले दिन परवीन ने राहुल से मुलाकात की और कहा,

"राहुल, तुम हमेशा कहते हो कि तुम्हारे पास बचत और निवेश के लिए पैसे नहीं हैं। लेकिन सच तो यह है कि जितनी जल्दी शुरुआत करोगे, उतना ही फायदा होगा।"

राहुल ने थका हुआ जवाब दिया, "समझता हूँ परवीन, लेकिन खर्चे बहुत ज्यादा हैं।"




परवीन ने मुस्कुराते हुए कहा,

"अगर तुम अपने फिजूलखर्च पर नियंत्रण पाओ और SIP जैसी योजनाओं में छोटे-छोटे कदम उठाओ, तो तुम्हें बाद में पछताना नहीं पड़ेगा। बस शुरुआत करो।"


परवीन ने अपनी वित्तीय योजना को अनुशासन के साथ लागू करना शुरू किया।

उसने देखा कि छोटे-छोटे निवेश दीर्घकालिक संपत्ति बनाने में कैसे मदद करते हैं।

अब वह खुद को पहले से अधिक आत्मविश्वासी और सुरक्षित महसूस कर रहा था।

राहुल परवीन की बातों से प्रेरित हुआ और उसने भी अपनी वित्तीय आदतों को सुधारने का निर्णय लिया।


उसने अनावश्यक खर्चों को कम किया।

SIP में निवेश की शुरुआत की।

इस अध्याय ने परवीन को सिखाया कि पैसा कमाना केवल करियर का हिस्सा है, लेकिन सही पैसे की समझ और उसका प्रबंधन ही असली सफलता की कुंजी है।

परवीन ने अगले दिन किताब का अगला अध्याय पढ़ना शुरू किया, जिसमें लिखा था Parents: Not the Villain


"माता-पिता हमारे दुश्मन नहीं होते; वे हमेशा हमारी भलाई के बारे में सोचते हैं।"

लेखक अनकुर वारिकू इस अध्याय में लिखते हैं:


माता-पिता का नजरिया अक्सर उनके अनुभवों और सुरक्षा की भावना से आता है।

हमें उनके विचारों को समझने और उनका सम्मान करने की जरूरत है।

हालांकि, हर व्यक्ति की जिंदगी उसके अपने फैसलों से बनती है, इसलिए अपने निर्णयों की जिम्मेदारी खुद लें।

माता-पिता के साथ अपनी योजनाओं को ईमानदारी और स्पष्टता से साझा करें।

इस अध्याय को पढ़ते ही परवीन के मन में बचपन की कई यादें ताज़ा हो गईं।


स्कूल के समय का एक अनुभव:

परवीन को याद आया कि जब उसने 11वीं कक्षा में आर्ट्स लेने की इच्छा जताई थी, तब उसके माता-पिता ने कहा था,

"तुम्हें साइंस लेना चाहिए, तभी तुम्हारा करियर सुरक्षित रहेगा।"

परवीन उस समय नाराज हुआ था। उसे लगता था कि माता-पिता उसकी इच्छाओं को नहीं समझते।


जब परवीन ने कॉलेज के पहले साल में थिएटर ग्रुप जॉइन करना चाहा, तो उसके पिता ने कहा,

"थिएटर से क्या होगा? ये समय पढ़ाई का है।"

परवीन को लगा कि माता-पिता हमेशा उसके सपनों के खिलाफ रहते हैं।


इस अध्याय की बातों ने परवीन को गहराई से सोचने पर मजबूर कर दिया।


उसे एहसास हुआ कि माता-पिता ने जो भी कहा, वह उसकी भलाई के लिए ही था।

उनके फैसले उनके जीवन के अनुभवों और डर से प्रभावित थे।

हालांकि, उन्होंने कभी उसे सपने देखने से नहीं रोका, बल्कि उसे सही दिशा में ले जाने की कोशिश की।

परवीन सोचने लगा,

"जब मैंने 11वीं में आर्ट्स नहीं लिया और साइंस ली, तो मुझे फायदा ही हुआ। मैंने जो सीखा, वह आज भी मेरे काम आ रहा है।"

वह यह भी समझ गया कि थिएटर ग्रुप में न जाने का मतलब यह नहीं था कि वह अपने सपनों को छोड़ दे। उसने बाद में अपनी रुचियों को समय दिया और संतुलन बनाना सीखा।




अध्याय में दिए गए सुझावों को अपनाते हुए परवीन ने अपने माता-पिता के साथ एक बातचीत की योजना बनाई।

रात के खाने के बाद उसने अपने माता-पिता से कहा,

"पापा-मम्मी, मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूँ। मैंने हाल ही में एक किताब पढ़ी है और उसमें सिखाया गया है कि हमें अपने माता-पिता के विचारों को समझना चाहिए।"


उसके पिता मुस्कुराए और बोले,

"बेटा, हम हमेशा तुम्हारे अच्छे के लिए ही सोचते हैं। अगर हमने कभी कुछ कहा, तो वह तुम्हारे भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए था।"


परवीन ने जवाब दिया,

"अब मैं समझता हूँ कि आप जो भी कहते थे, वह मेरी भलाई के लिए ही था। लेकिन कई बार मैंने सोचा कि आप मेरी इच्छाओं को नहीं समझते। अब मैं अपने फैसलों की जिम्मेदारी लेने और आपसे अपनी योजनाओं के बारे में ईमानदारी से बात करने की कोशिश करूंगा।"


परवीन ने माता-पिता के साथ अपने सपनों और योजनाओं को शेयर करना शुरू कर दिया।

उसने महसूस किया कि जब वह ईमानदारी से बात करता है, तो माता-पिता भी उसकी इच्छाओं को समझते हैं।

अब माता-पिता और परवीन के बीच का रिश्ता और मजबूत हो गया था।

इस अध्याय ने परवीन को यह सिखाया कि माता-पिता हमारे दुश्मन नहीं होते, बल्कि हमारे सबसे बड़े शुभचिंतक होते हैं। उनकी बातों को समझें और सम्मान करें, लेकिन अपनी जिंदगी के फैसले खुद लें।

परवीन ने अगले दिन किताब का अगला अध्याय पढ़ना शुरू किया, जिसमें लिखा था: My Epic Lessons

"सफलता की कुंजी है प्रयास, धैर्य और आत्म-आलोचना। गलतियाँ विकास का हिस्सा हैं।"

अंकुर वारिकू इस अध्याय में लिखते हैं:


हर इंसान अपनी ज़िंदगी में गलतियाँ करता है, लेकिन इनसे ही हमें सीखने का मौका मिलता है।

सच्ची सफलता उन लोगों को मिलती है जो लगातार प्रयास करते हैं, धैर्य रखते हैं, और अपनी गलतियों को स्वीकार करते हैं।

आत्म-आलोचना से हम अपनी कमजोरियों को पहचान सकते हैं और उन्हें सुधारने के रास्ते ढूंढ सकते हैं।

परवीन ने इस अध्याय को पढ़ते हुए महसूस किया कि


अब तक वह अपनी असफलताओं को एक बुरी बात मानता था, लेकिन अब उसे यह समझ में आया कि गलतियाँ ही सफलता की कुंजी हैं।

उसने अपने जीवन में कई बार हार मानी थी, लेकिन अब वह गलतियों को अपने विकास का हिस्सा मानने लगा था।

अब परवीन जानता था कि सही दिशा में कड़ी मेहनत और आत्मविश्लेषण से वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।

परवीन के जीवन में बदलाव आ चुका था। वह अब अपने माता-पिता से बात करता था, अपनी गलतियों को स्वीकार करता था, और लगातार अपनी आत्म-निर्माण की प्रक्रिया में लगा रहता था।


एक शाम, जब परवीन अपने कमरे में किताब पढ़ रहा था, उसकी बहन संजना कमरे में आई और हैरान होकर बोली,

"परवीन, तुझे क्या हो गया है? तुम तो अब पहले की तरह नहीं हो। तुम क्या कर रहे हो, और यह बदलाव कहां से आया?"




परवीन ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया,

"संजना, यह बदलाव मेरी किताब और उन सब चीज़ों से आया है जो मैंने सीखी हैं। अब मैं जानता हूँ कि सफल होने के लिए मुझे सिर्फ कड़ी मेहनत नहीं करनी, बल्कि अपनी गलतियों को समझकर उनसे सीखना भी जरूरी है।"


संजना ने चौंकते हुए कहा,

"यही बात! तू तो पहले अपनी गलतियों पर बहुत गुस्सा करता था, अब तू उन्हें अपना हिस्सा मान रहा है। मुझे गर्व है तुम पर, भाई!"


संजना के शब्दों ने परवीन को और भी प्रेरित किया।


अब वह हर दिन धैर्य से काम करता, अपनी गलतियों पर आत्म-आलोचना करता, और अपनी मेहनत को सही दिशा में लगा रहा था।

वह जानता था कि जीवन एक यात्रा है, और हर कदम पर सीखना और बदलाव जरूरी है।

परवीन के लिए अब सफलता का मतलब सिर्फ कड़ी मेहनत नहीं, बल्कि आत्म-सुधार और धैर्य भी था।

इस अध्याय ने परवीन को यह सिखाया कि गलतियाँ केवल असफलताएं नहीं होतीं, बल्कि ये सीखने का अवसर होती हैं। सफलता तब आती है जब हम निरंतर प्रयास करते हैं और अपने अनुभवों से सीखते हैं।

आत्म-आलोचना से हम अपनी कमजोरियों को सुधार सकते हैं और अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं।

परवीन ने अगले दिन किताब का अगला अध्याय पढ़ना शुरू किया, जिसमें लिखा था: Frameworks, Action Plans, Templates

"अपने करियर को डिजाइन करने के लिए व्यावहारिक फ्रेमवर्क और एक्शन प्लान्स। समय प्रबंधन, निर्णय लेने और आत्म-मूल्यांकन के लिए उपयोगी टेम्पलेट्स। अपने लक्ष्यों को ट्रैक करें और लगातार सुधार करें।"

अंकुर वारिकू ने इस अध्याय में यह बताया कि


सही ढंग से लक्ष्य निर्धारित करना और फिर उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक्शन प्लान बनाना जरूरी है।

समय प्रबंधन और निर्णय लेने की प्रक्रिया में मदद के लिए आपको फ्रेमवर्क्स और टेम्पलेट्स का उपयोग करना चाहिए।

आत्म-मूल्यांकन और निरंतर सुधार से ही हम अपने लक्ष्यों के करीब पहुंच सकते हैं।

जब परवीन ने यह अध्याय पढ़ा, तो उसे एहसास हुआ कि सिर्फ सपने देखना ही काफी नहीं होता, बल्कि सपनों को पूरा करने के लिए ठोस योजना और नियमित कदम उठाना बहुत ज़रूरी है।




वह समझ गया कि समय का सही उपयोग और निर्णय लेने की प्रक्रिया में व्यवस्थित तरीके से काम करना ही सफलता की कुंजी है।

टेम्पलेट्स और फ्रेमवर्क जैसे उपकरण, जिनका उपयोग वह अपने दिन-प्रतिदिन के कार्यों में करेगा, उसे अपने लक्ष्यों तक पहुँचने में मदद करेंगे।

परवीन ने एक एक्शन प्लान तैयार करना शुरू किया जिसमें वह दैनिक लक्ष्य, साप्ताहिक समीक्षा, और मासिक आकलन करता था।

संजना का सवाल और परवीन की प्रतिक्रिया

एक दिन संजना ने परवीन से पूछा,

"तू हर दिन कुछ नया कर रहा है, परवीन! तू इतना व्यवस्थित कैसे हो गया?"

परवीन मुस्कुराकर जवाब देता है,

"संजना, यह सब मैंने एक्शन प्लान्स और फ्रेमवर्क्स से सीखा है। अब मेरे पास एक सही दिशा है, और मैं हर दिन उसे पूरा करने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाता हूं।"


परवीन ने संजना को अपनी नई दिनचर्या और लक्ष्य-निर्धारण की प्रक्रिया बताई। उसने बताया कि अब वह अपनी प्राथमिकताएं तय करता है, समय का प्रबंधन करता है, और आत्म-मूल्यांकन के जरिए हर महीने अपने प्रदर्शन को सुधारता है।


परवीन ने अपनी नई आदतों को लागू करते हुए महसूस किया कि


स्मार्ट लक्ष्य बनाना और उन पर काम करना बहुत प्रभावी था।

सप्ताह के अंत में समीक्षा और दैनिक रूटीन ने उसे अपने समय का बेहतर उपयोग करने में मदद दी।

नियमित आत्म-मूल्यांकन से उसे अपनी ताकत और कमजोरियों का सही आकलन हुआ, जिससे वह अगले कदमों के लिए तैयार हो सका।

इस अध्याय ने परवीन को यह सिखाया कि केवल अच्छा इरादा और मेहनत ही काफी नहीं होती; एक व्यवस्थित योजना और लगातार सुधार के साथ ही सच्ची सफलता मिल सकती है।

वह अब हर दिन अपने लक्ष्यों को ट्रैक करता, समय का प्रबंधन करता और निर्णय लेने की प्रक्रिया में सुधार करता जा रहा था।


इस अध्याय ने परवीन को यह सिखाया कि सफलता का रास्ता केवल मेहनत से नहीं, बल्कि एक ठोस योजना, समय प्रबंधन और आत्म-मूल्यांकन से भी बनता है।

अपने लक्ष्यों को ट्रैक करना और निरंतर सुधार करना सफलता का राज है।


जब परवीन ने अपनी पसंदीदा किताब को पूरी तरह से पढ़ लिया, तो वह एक नई दिशा में कदम बढ़ाने के लिए तैयार था। उसने महसूस किया कि इस किताब ने उसे ना केवल अपने करियर, बल्कि अपने जीवन को भी नया दृष्टिकोण दिया था। किताब की हर एक लाइन ने उसे आत्मनिर्भरता, सकारात्मक सोच, और निरंतर विकास की ताकत दी थी।


अपनी किताब खत्म करने के बाद, परवीन ने स्नेहा को धन्यवाद देने का सोचा। उसने स्नेहा को एक संदेश भेजा:

"स्नेहा, मुझे यह किताब तुम्हारे कारण मिली। इससे मेरी ज़िंदगी पूरी तरह से बदल गई। अब मैं अपनी गलतियों से सीख रहा हूँ, और हर दिन कुछ नया करने की कोशिश करता हूँ। धन्यवाद, तुमने मेरी ज़िंदगी में एक नई रोशनी डाली है।"




स्नेहा ने जवाब दिया:

"परवीन, मुझे तुम पर गर्व है। तुमने जो बदलाव किए हैं, वह तुम्हारी मेहनत और संकल्प का परिणाम हैं। मैं जानती थी कि तुम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हो। अब तुम्हारी बारी है दूसरों की मदद करने की!"


किताब ने परवीन को इस बात का एहसास दिलाया कि ज्ञान से ही सच्ची शक्ति आती है। अब वह खुद को और अपनी जिंदगी को नए तरीके से जीने लगा था। उसने यह समझा कि कड़ी मेहनत, सकारात्मक सोच, और निरंतर सुधार से ही सफलता मिलती है। अब वह अपने जीवन को सिर्फ खुद के लिए नहीं, बल्कि अपने आसपास के लोगों की मदद करने के लिए जी रहा था।


परवीन ने जो बदलाव अपनी जिंदगी में किए थे, वह न सिर्फ उसकी खुद की ज़िंदगी में दिखाई दे रहे थे, बल्कि वह अपने दोस्तों, परिवार और अन्य लोगों की ज़िंदगी में भी गुणवत्ता जोड़ रहा था।


अब वह अपने दोस्तों को सलाह देता और उन्हें भी सफलता के नए रास्तों पर चलने के लिए प्रेरित करता।

राहुल जैसे दोस्तों को भी उसने आर्थिक समझदारी और सही खर्च की आदतें सिखाई।

संजना को भी अपने जीवन के उद्देश्य को ढूंढने और अपनी सकारात्मक सोच पर काम करने के लिए प्रेरित किया।

वह अपने माता-पिता के साथ और भी खुलकर बातें करता, और उनके विचारों को समझता।

परवीन अब सिर्फ खुद के लिए नहीं, बल्कि समाज और अपने आसपास के लोगों के लिए भी काम करने की सोच रहा था। उसने नए लक्ष्य तय किए थे, जैसे कि


अपने दोस्तों के लिए एक हेल्थ एंड फिटनेस ग्रुप बनाना,

अपने परिवार के साथ समय बिताना, और

नवीनतम कौशल सीखकर दूसरों को विकसित करना।

अब परवीन की ज़िंदगी एक प्रेरणा बन गई थी। वह जानता था कि ज्ञान का सही उपयोग न सिर्फ अपने जीवन को बदल सकता है, बल्कि यह दूसरों के जीवन में भी बदलाव ला सकता है।


मुझे उम्मीद है कि आप भी इस कहानी से कुछ न कुछ सीख पाए होंगे।

अब बारी है आप की! आप भी अपनी ज़िंदगी में सुधार लाकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ सकते हैं।


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